राजस्थान में बसपा का पूरा का पूरा विधायक दल ही कॉन्ग्रेस में जा मिला। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कॉन्ग्रेस पार्टी को इसके लिए जम कर कोसा। बसपा के सभी 6 विधायक कल सोमवार (सितम्बर 16, 2019) की रात कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए। 2009 में भी ऐसा हुआ था और तब भी राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री थे। यह भी जानने लायक बात है कि तब भी बसपा विधायक दल के नेता राजेंद्र सिंह गुढ़ा ही थे।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान में तगड़ा झटका लगने के कारण कॉन्ग्रेस की आलोचना की है। उन्होंने कॉन्ग्रेस को एक ग़ैर-भरोसेमंद और धोखेबाज पार्टी करार दिया। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ने बसपा विधायकों को तोड़ कर इसका प्रमाण दे दिया है। उन्होंने 2009 में इसी प्रकार की घटना को याद करते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस द्वारा दोबारा ऐसा किया गया है और वो भी तब, जब बसपा कॉन्ग्रेस की सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी। मायावती ने कहा:
“कॉन्ग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टियों व संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुँचाने का काम करती है, जो उन्हें सहयोग या समर्थन देते हैं। कॉन्ग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी, ओबीसी विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है।”
यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कहा कि कॉन्ग्रेस डॉक्टर बाबासाहब भीमराव आंबेडकर और उनकी मानवतावादी परंपरा की सदा से विरोधी रही है। उन्होंने इतिहास को याद करते हुए कहा था कि कॉन्ग्रेस के कारण ही मायावती को केंद्रीय क़ानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने बाबासाहब के चुनाव हारने के पीछे भी कॉन्ग्रेस को ही ज़िम्मेदार ठहराया।
2. कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती है जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं। कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी,ओबीसी विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है।
— Mayawati (@Mayawati) September 17, 2019
बता दें कि बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर ने 1952 में उत्तरी मुंबई सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। यह देश का पहला लोकसभा चुनाव था। तब कॉन्ग्रेस के एनएस काजोलकर ने बाबासाहब को हराया था, जो उनके ही पूर्व सहयोगी रहे थे। बाबासाहब कॉन्ग्रेस से मतभेदों के कारण सितम्बर 1951 में ही नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे चुके थे। इसके बाद बंडारा लोकसभा उपचुनाव में भी आंबेडकर प्रत्याशी थे लेकिन उन्हें उसमें भी हार मिली और वह तीसरे स्थान पर रहे थे।
3.कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही। इसी कारण डा अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया। अति-दुःखद व शर्मनाक।
— Mayawati (@Mayawati) September 17, 2019
मायावती ने कॉन्ग्रेस पर इस बात के लिए भी निशाना साधा कि उसने बाबासाहब अम्बेडकर को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया। प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार ने मार्च 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।