अर्थव्यवस्था पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ‘चिंता’ की हवा उनकी ही पार्टी के एक युवा नेता जितिन प्रसाद ने निकाल दी है। मनमोहन की कैबिनेट में रह चुके जितिन ने मंदी और बेरोजगारी का कारण बढ़ती जनसंख्या को बताया है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री ने इसे ‘मानव रचित संकट’ बताते हुए मोदी सरकार से बदले की राजनीति छोड़ अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कदम उठाने को कहा था।
जितिन प्रसाद ने कहा, “जनसंख्या नियंत्रण पर देशभर में व्यापक बहस होनी चाहिए। इस पर क़ानून भी बनाया जाना चाहिए। अगर देश को आगे बढ़ना है तो ठोस क़दम उठाने होंगे। मैं सरकार से माँग करता हूँ कि इस मुद्दे पर जो भी क़ानून लाना है, वह लाए।”
J Prasada, Congress: There should be a nationwide discussion on population control, a law should be made for the same. If country has to move forward, concrete steps have to be taken. I demand the govt that whatever laws have to be brought in on this issue, should be brought in. pic.twitter.com/lxt7vlkhfK
— ANI (@ANI) September 1, 2019
उन्होंने कहा, “अर्थव्यवस्था डूब रही है, बेरोज़गारी बढ़ रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आबादी को नियंत्रित नहीं किया गया। पर्यावरण पर इसका प्रभाव पड़ रहा। जल संकट, प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भारत में आबादी बढ़ने के कारण हैं।”
J Prasada:Economy is sinking,unemployment is rising. It happened because population wasn’t controlled. Effect on environment,water crisis,pressure on natural resources is due to rise in India’s population.On issues of national interest, we should rise above politics&work together https://t.co/b7NRzSmOGb
— ANI (@ANI) September 1, 2019
जितिन प्रसाद ने सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें जनसंख्या नियंत्रण जैसे गंभीर मुद्दे पर एकसाथ खड़े होना चाहिए। बता दें कि इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसंख्या का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि जो लोग छोटा परिवार रख रहे हैं, वे भी एक तरह से देशभक्ति कर रहे हैं।
लाल किले की प्राचीर से जनसंख्या विस्फोट को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए पीएम मोदी ने देशवासियों से छोटे परिवार की अपील की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जताते हुए कहा था कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए नयी चुनौतियाँ पेश करता है। इससे निपटने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को क़दम उठाने चाहिए।