कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा एसपीजी सुरक्षा हटा लिए जाने के बाद भी दिल्ली के लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगले में जमी हुईं हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी की बेटी प्रियंका को यह बंगला एसपीजी, गृह मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय की सुरक्षा सलाह के बाद दिया गया था। गौरतलब है कि कानूनी रूप से एक सामान्य नागरिक प्रियंका को वर्ष 1997 के फरवरी माह में टाइप IV का सरकारी आवास अलॉट किया गया था।
हाल ही में मोदी सरकार ने सोनिया गाँधी, उनके बेटे, वायनाड सांसद और कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी व प्रियंका गाँधी को मिला हुआ एसपीजी सुरक्षा कवच हटाने का निर्णय लिया था। अब उनकी सुरक्षा का स्तर घटा कर ज़ेड प्लस कर दिया गया है। यानी इनकी सुरक्षा अर्द्धसैनिक बल सीआरपीएफ (सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स) की ज़िम्मेदारी है। सोमवार (11 नवंबर, 2019 को) को सीआरपीएफ़ ने एसपीजी जवानों से तीनों की सुरक्षा के संबंध में जानकारी ली थी। फिलहाल एसपीजी सीआरपीएफ़ के सहायक की भूमिका में है।
Delhi: CRPF is reviewing the security arrangement of Congress Interim President Sonia Gandhi’s house after SPG was removed from the protection of Gandhi family and they were accorded Z Plus security of CRPF. pic.twitter.com/DQpuYhh3vX
— ANI (@ANI) November 13, 2019
इजरायली हथियारों एक्स-95, एके सीरीज़ और एमपी-5 गनों से लैस केंद्रीय अर्धसैनिक बल के स्पेशल वीवीआईपी सिक्योरिटी यूनिट के कमांडोज़ की एक टुकड़ी राहुल गाँधी के तुग़लक़ लेन स्थित आवास पर तैनात है। प्रियंका गाँधी के लोधी एस्टेट के घर पर भी एक दूसरी टीम ने सुरक्षा-व्यवस्था का ज़िम्मा सँभाल लिया है।
मीडिया खबरों के अनुसार सोनिया गाँधी के 10 जनपथ स्थित आवास पर भी सीआरपीएफ के कमांडोज़ ने सुरक्षा का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया है। जेड प्लस सिक्योरिटी का अर्थ 100 सीआरपीएफ़ कमांडोज़ की सुरक्षा घेरा है, जो उनके साथ देश भर में रहेगा। इसके अलावा उनके आवासों की भी सुरक्षा इसी एजेंसी के हाथ में होगी।
इसके अलावा उनके साथ एक डॉग स्क्वाड भी होगा, जो उनके आगमन के पहले किसी भी स्थान की सुरक्षा पड़ताल इन कमांडोज़ के साथ करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ दिन तक एसपीजी और सीआरपीएफ की मिलीजुली सुरक्षा इन तीनों को मिलेगी और उसके बाद राज्य पुलिस की सहायता से सीआरपीएफ इनकी सुरक्षा का पूरा जिम्मा अपने हाथ में ले लेगी।
इन तीनों की सुरक्षा घटाने का निर्णय इंटेलिजेंस एजेंसियों के इनपुट पर गृह मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय द्वारा बनाई गई एक कमेटी ने लिया था। सुरक्षा प्राप्त लोगों की सुरक्षा और खतरे की समीक्षा सालाना तौर पर होती है।