हाल ही में असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा ने मदरसों पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि धार्मिक शिक्षा सरकारी पैसों पर प्रदान नहीं की जा सकती है। उनके मुताबिक़ अगर सरकारी पैसे से कुरान पढ़ाई जा रही है तो गीता और बाइबल भी पढ़ाई जानी चाहिए। इस पर अक्सर अपने बयानों के चलते विवादों में बने रहने वाले कॉन्ग्रेस नेता उदित राज ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि इस हिसाब से उत्तर प्रदेश सरकार का 4200 करोड़ रुपए खर्च करके कुम्भ मेले का आयोजन कराना भी गलत है।
ट्विटर पर उदित राज ने लिखा, “सरकार द्वारा किसी भी धार्मिक शिक्षा या अनुष्ठान का खर्च वहन नहीं किया जाना चाहिए। सरकार का खुद का कोई धर्म नहीं होता है। यूपी सरकार इलाहाबाद में कुंभ मेले के आयोजन में 4200 करोड़ रुपये खर्च करती है, वह भी गलत है।”
कॉन्ग्रेस नेता उदित राज द्वारा इस ट्वीट के कुछ ही समय बाद इसकी जम कर आलोचना हुई और अंत में उन्होंने खुद अपना यह ट्वीट डिलीट कर दिया। ट्वीट डिलीट करने के बाद उदित राज ने कहा कि धर्म को राजनीतिक ताकतों से दूर रखना चाहिए और सरकार को किसी भी धर्म में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके अलावा न तो उसे बढ़ावा देना चाहिए और न ही उसे हतोत्साहित करना चाहिए। मैंने कुम्भ मेले का उदाहरण इसलिए दिया था क्योंकि इसका खर्च बहुत ज़्यादा था।
Religion should be separate from political power & state shouldn’t interfere/encourage/discourage any religion. In this context, I cited example of Kumbh fair expenditure, it was huge: Congress leader Udit Raj on his now-deleted tweet questioning UP govt’s spending on Kumbh fair pic.twitter.com/I9fxkPeupg
— ANI (@ANI) October 15, 2020
फिर इस मुद्दे पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “कुछ लोगों के पास विकास के लिए न तो कोई अवधारणा है और न ही इच्छाशक्ति। जब एक ऐसे धार्मिक आयोजन में करोड़ों लोग शामिल होते हैं तब सरकार को इसके लिए बुनियादी संरचना प्रदान करनी ही होगी। इस तरह के व्यापक आयोजन आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने में मददगार साबित होते हैं।”
Some people don’t have ideas & will for development. When crores of people attend an event, govt has to develop infrastructure & provide facilities. Such events provide opportunities to develop infrastructure: Union Minister Anurag Thakur on Udit Raj’s remark on Kumbh fair https://t.co/ANkfsDIJF1 pic.twitter.com/wN37DTcFH8
— ANI (@ANI) October 15, 2020
इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बृजेश पाठक ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया। उन्होंने कहा, “कुम्भ एक वैश्विक आयोजन बन चुका है। किसी को ऐसे धार्मिक आयोजन पर इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए जिसमें देश और दुनिया से करोड़ों लोग शामिल होते हैं।”
उनके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी इस पर बयान दिया। उन्होंने कहा, “इस प्रश्न का उत्तर भाजपा को नहीं बल्कि प्रियंका गाँधी वाड्रा और कॉन्ग्रेस को देना चाहिए कि सरकार को कुम्भ पर खर्च करना चाहिए या नहीं। हमने साल 2019 के कुम्भ में जितना भी खर्च किया हमें उस पर गर्व है, अगला कुम्भ और व्यापक होगा और उसमें दोगुना खर्च किया जाएगा।”
क्योंकि कॉन्ग्रेस नेता ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था, इसके पहले और बाद में तमाम ट्विटर यूज़र ने प्रतिक्रिया दी।
इस पर एक ट्विटर यूज़र ने लिखा, “उदित जी, वह पर्व गरीब हिन्दू दलितों के लिए भी है। आप नहीं जाते इसका मतलब, अन्य भी आपके भाँति अपनी आस्था त्याग दें?”
उदित जी, वह पर्व गरीब हिन्दू दलितों के लिए भी है। आप नहीं जाते इसका मतलब, अन्य भी आपके भाँति अपनी आस्था त्याग दें? https://t.co/GrSoV8Ps1L
— ਪੰਜਾਬੀ (@HasdaaPunjab) October 15, 2020
वहीं अन्य ट्विटर यूज़र्स ने बताया कि भले कुम्भ के आयोजन में इतनी बड़ी राशि खर्च होती है लेकिन इससे होने वाले फ़ायदे की राशि भी कई गुना ज़्यादा है।
Every investment in Hindu religion gives 5 to 10 times return for govt while whatever goes into chuslam remains there for eternity pic.twitter.com/BlI0lAoGaz
— 🐾 Adhigamya ➐ (@megaattron) October 15, 2020
— Dhruv Mehta (ध्रुव मेहता) (@Dhruv_Sanghi_) October 15, 2020
यह बात वाकई में हैरान करने वाली थी कि इतने बड़े हिन्दू आयोजन से होने वाला मुनाफ़ा इसमें होने वाले खर्च से कहीं ज्यादा है।