जो हमारी सरकार है वो इस तरह की है कि उधार का सिंदूर लेकर सुहागन बने हैं हम। जब उधार का सिंदूर लेकर सुहागन बनेंगे तो वो सुहाग कब तक चलेगा।
यह कहना है कि कॉन्ग्रेस नेता संजय निरुपम का। टाइम्स नाउ से बातचीत में उन्होंने यह बात कही। उनसे महाराष्ट्र में चल रही शिवसेना-कॉन्ग्रेस-एनसीपी की महाविकास अघाड़ी सरकार के भविष्य को लेकर सवाल किया गया था। उन्होंने कहा कि यह सरकार बेहद कमजोर विकेट पर खेल रही है और किसी भी वक्त गिर सकती है।
उल्लेखनीय है कि जब से मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कॉन्ग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा है, तभी से राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकार को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। बताया जाता है कि राजस्थान में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपनी उपेक्षा से आहत हैं और देर-सबेर सिंधिया की राह चल सकते हैं। वहीं, महाराष्ट्र में साझेदार दलों के मतभेद हर मसले पर उभरकर सामने आ जाते हैं।
बकौल निरुपम महाविकास अघाड़ी की सरकार अस्थिर है और यह लंबे समय तक नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस को इस सरकार में कभी शामिल नहीं होना चाहिए था। इस गठबंधन के बनने के समय से ही निरुपम इसका विरोध करते रहे हैं। हालॉंकि कॉन्ग्रेस आलाकमान से उनके संबंधों में तल्खी बीते साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले ही आ गई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सोनिया गॉंधी के करीबी ही राहुल गॉंधी के खिलाफ साजिश रच रहे हैं और इससे पार्टी तबाह हो जाएगी।
सिंधिया के पार्टी छोड़ने के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए निरुपम ने कहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जो 70 साल से ज्यादा के हैं, उन्हें जबरन रिटायर कर देना चाहिए। इन्हें मार्गदर्शक मंडल की तरह सलाहकार समिति में भेज दिया जाना चाहिए। पुरानी पीढ़ी को नई पीढ़ी का सहयोग करने का काम दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सिंधिया पार्टी का चेहरा थे। काफी लोकप्रिय थे। अच्छे वक्ता थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उनकी उपेक्षा और मॉंग से अनजान था। शीर्ष नेतृत्व को मध्य प्रदेश में उनके और कमलनाथ के बीच के मतभेद को दूर करना चाहिए था। दिल्ली के नेतृत्व को सिंधिया की बात सुननी चाहिए थी। मुंबई कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे निरुपम का कहना है कि सिंधिया का जाना पार्टी के लिए बड़ा नुकसान है।