पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, “अफसोस की बात है कि जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश में आधिकारिक तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। जरूरत इस बात की है कि कॉन्ग्रेस बीजेपी पर सर्जिकल स्ट्राइक करे न कि अपनों पर हमले करके अपनी ऊर्जा बर्बाद करे।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के खिलाफ कॉन्ग्रेसियों के विरोध-दर्शन के बाद यह ट्वीट आया है। इससे स्पष्ट है कि भले सोनिया गॉंधी को कॉन्ग्रेस ने छह और महीने के लिए अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया हो पर पार्टी की अंदरूनी लड़ाई खत्म नहीं हुई है।
Unfortunate that Jitin Prasada is being officially targeted in UP
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 27, 2020
Congress needs to target the BJP with surgical strikes instead wasting its energy by targeting its own
जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने कॉन्ग्रेस नेतृत्व में बदलाव को लेकर सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिखी थी। दरअसल बुधवार (26 अग्गास्त 2020) को लखीमपुर खीरी जिला कॉन्ग्रेस कमेटी की बैठक में जितिन प्रसाद समेत अन्य नेताओं की कड़ी आलोचना की गई थी। इन सभी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की माँग की गई थी। साथ ही इस संबंध में सोनिया गाँधी को प्रस्ताव भी भेजा गया था।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाध्यक्ष प्रह्लाद पटेल ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया था। उनका कहना था कि सोनिया गाँधी एक सर्वमान्य नेता हैं। साथ ही दल के लोग राहुल और प्रियंका पर पूरा भरोसा करते हैं। बैठक में शामिल अन्य नेताओं का कहना था कि जिस वक्त यह सब हुआ उस दौरान सोनिया गाँधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं था। राजस्थान और मध्य प्रदेश की सरकार पर भाजपा हमलावर थी। ऐसे कठिन समय में जितिन प्रसाद समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पत्र लिख कर हस्ताक्षर किया। पत्र के माध्यम से सोनिया गाँधी की कार्यशैली पर ऊँगली उठाई। शीर्ष नेताओं की इस हरकत से यह साफ़ हो गया था कि वह सोनिया गाँधी पर बिलकुल भरोसा नहीं करते हैं। जो काम असल में भाजपा का था वह दल के ही लोग कर रहे थे, इससे दल की नींव ही कमज़ोर हुई।
जितिन प्रसाद के विरोध में जारी किए गए निंदा प्रस्ताव में एक और अहम बात कही गई थी। निंदा प्रस्ताव के मुताबिक़ जितिन प्रसाद का पारिवारिक इतिहास गाँधी परिवार के विरोध का रहा है। जितिन प्रसाद के पिता ने खुद सोनिया गाँधी के विरोध में चुनाव लड़ा था। इसके बावजूद सोनिया गाँधी ने उन्हें पार्टी में जगह दी, लोकसभा का टिकट दिया और मंत्री भी बनाया था। लिहाज़ा जितिन प्रसाद की यह हरकत अनुशासनहीनता मानी जाएगी। इस बात का ज़िक्र करते हुए प्रस्ताव के अंत में जितिन प्रसाद पर कड़ी कार्रवाई की माँग उठाई गई थी। इसके अलावा बैठक के दौरान जितिन प्रसाद के विरोध में नारे भी लगाए गए थे।
कॉन्ग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गाँधी ने भी इस पत्र के समय पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने इस मुद्दे पर सवाल करते हुए कहा था कि पार्टी नेताओं द्वारा यह पत्र ऐसे वक्त में लिखा गया जब सोनिया गाँधी अस्पताल में भर्ती थीं। नेतृत्व पर सवाल करते हुए यह पत्र ऐसे समय में लिखा गया जब राजस्थान कॉन्ग्रेस सरकार पर संकट था। राहुल ने कथित तौर पर इसमें बीजेपी के साथ मिलीभगत की बात भी कही थी।
इसके बाद कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा था, “राहुल गाँधी कहते हैं कि हमारी बीजेपी के साथ साँठ-गाँठ है, राजस्थान हाईकोर्ट में पार्टी को सफलता दिलाई। मणिपुर में बीजेपी के खिलाफ पूरी ताकत से पार्टी का बचाव किया। पिछले 30 सालों में बीजेपी के पक्ष में एक भी बयान नहीं दिया। फिर भी हम पर बीजेपी से साँठ-गाँठ का आरोप लग रहा है।” हालॉंकि बाद में उन्होंने यह कहते हुए यह ट्वीट वापस ले लिया था कि उनकी राहुल से बात हुई है और उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही थी।