Saturday, November 16, 2024
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मनमोहन सिंह फिर बने बलि का बकरा: कॉन्ग्रेसी युवा सांसदों ने UPA सरकार पर फोड़ा ठिकड़ा, सोनिया की बैठक में हंगामा

"10 वर्षों तक सत्ता से बाहर रहने के बावजूद एक भी भाजपा नेता ने अटल बिहार वाजपेयी की सरकार की आलोचना नहीं की। इसके विपरीत यूपीए को उसके अंदर के लोगों ने ही जानबूझ कर नुकसान पहुँचाया।"

कॉन्ग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह की वजह से बुरी स्थिति है। गुरुवार (जुलाई 30, 2020) को पार्टी के राज्यसभा सांसदों की बैठक बुलाई गई थी, जिसके बाद से ही कलह और तेज़ हो गई है। जहाँ कई युवा नेता 10 साल की यूपीए सरकार के मत्थे सारा दोष मढ़ रहे हैं वहीं वरिष्ठ नेता पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह के पक्ष में गोलबंदी कर रहे हैं। ताज़ा राजनीतिक स्थित पर रणनीति बनाने के लिए कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने 34 सांसदों के साथ बैठक की थी।

लेकिन, एक वरिष्ठ सांसद ने सोनिया गाँधी के सामने ही पार्टी में महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सहमति न होने की बात कह कर हंगामा मचा दिया। वर्चुअल बैठक में उक्त नेता ने कहा कि पार्टी को आत्ममंथन की ज़रूरत है। वहीं बैठक में मौजूद युवा सांसदों ने मनमोहन सिंह की सरकार पर सारा ठिकड़ा फोड़ दिया। उनका कहना है कि पार्टी की मौजूदा स्थिति के लिए यूपीए सरकार ही दोषी है।

मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे दो नेताओं के बीच भी झगड़ा हुआ, जो बताता है कि 2014 में सत्ता जाने के बाद से ही पार्टी में बड़ी फूट पड़ी हुई है। मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि यूपीए को उसके अंदर के लोगों ने ही जानबूझ कर नुकसान पहुँचाया, जिससे उसे 2019 के लोकसभा चुनावों में बुरी हार मिली। शनिवार को मनीष तिवारी ने बयान दिया कि 10 वर्षों तक सत्ता से बाहर रहने के बावजूद एक भी भाजपा नेता ने अटल बिहार वाजपेयी की सरकार की आलोचना नहीं की।

उन्होंने मनमोहन सिंह पर आरोप लगाने वाले कॉन्ग्रेस नेताओं को अज्ञानी करार दिया। सबसे बड़ी बात ये कि उन्होंने ट्विटर पर ये बयान दिया, कॉन्ग्रेस की बैठक में नहीं। कॉन्ग्रेस नेताओं मिलिंद देवड़ा, शशि थरूर और आनंद शर्मा ने मनीष तिवारी का समर्थन किया। देवड़ा ने कहा कि डॉक्टर मनमोहन सिंह ने पद छोड़ते समय कहा था कि इतिहास उनके साथ न्याय करेगा लेकिन किसने सोचा था कि उनकी उपस्थिति में उनकी अपनी ही पार्टी के नेता उन पर निशाना साधेंगे।

वहीं शशि थरूर ने कहा कि यूपीए सरकार का एक दशक बदलाव का वाहक था लेकिन अलग नैरेटिव बना कर उसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। उन्होंने हार से सीख लेकर कॉन्ग्रेस के पुनरुत्थान की बात कही। उन्होंने सलाह दी कि कॉन्ग्रेस वैचारिक दुश्मनों के हाथों में न खेलें। वहीं आनंद शर्मा ने तो सोनिया-मनमोहन की तारीफों के पुल ही बाँध दिए। उन्होंने विकास के लिए उन्हें ही श्रेय दिया।

उन्होंने कहा कि भाजपा अब यूपीए को श्रेय दे, ऐसा किसी की आकंक्षा नहीं है लेकिन पार्टी के नेताओं को अपनी ही सरकार की आलोचना से बचना चाहिए। वहीं सातव ने कहा कि सोशल मीडिया पर पार्टी के कुछ नेता इन मुद्दों पर बात कर रहे हैं, जो सही नहीं है। उन्होंने बैठक में टकराव की बात को नकारते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस ने समय-समय पर पार्टी नेताओं को बोलने के लिए मंच मुहैया कराया है।

बैठक में शामिल होने वाले एक और नेता का कहना था कि राहुल गाँधी पूरा प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद हालात वैसे के वैसे ही बने हुए हैं। कॉन्ग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री पी चिदंबरम ने कहा “पार्टी का संगठन ज़िला और मंडल स्तर पर कमज़ोर है।” वहीं दूसरी तरफ कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी को इसकी अंतिम पंक्ति तक निरीक्षण की ज़रूरत है। उनके मुताबिक़ संगठन के हर व्यक्ति को सिरे से सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है।  

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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