कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने पार्टी को बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि कॉन्ग्रेस पार्टी भाजपा लाइट (भाजपा का नरम संस्करण) बनने का ख़तरा मोल नहीं ले सकती। ऐसा करने पर कॉन्ग्रेस पार्टी का अस्तित्व ख़त्म हो जाएगा।
शशि थरूर के अनुसार कॉन्ग्रेस में धर्म निरपेक्षता का सिद्धांत हमेशा से जीवंत है और सभी इसका अनुसरण करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका संगठन भाजपा के संदेश का कमज़ोर स्वरूप नहीं पेश करता है। तिरुअनंतपुरम सांसद ने कहा:
“मैं पिछले काफी समय से यह बात कहता रहा हूँ कि पेप्सी लाइट का अनुसरण करते हुए ‘भाजपा लाइट’ बनाने के किसी भी प्रयास का नतीजा ‘कोक ज़ीरो’ की तरह कॉन्ग्रेस ज़ीरो ही होगा। कॉन्ग्रेस किसी भी दृष्टिकोण से भारतीय जनता पार्टी की तरह नहीं है, न तो हम असल मायनों में ऐसे हैं और न ही हमें उनका कमज़ोर वर्जन बनने का प्रयास करना चाहिए। मेरे अनुसार हम ऐसा कर भी नहीं रहे हैं।”
इसके बाद उन्होंने कहा, “हमारे देश में धर्म निरपेक्षता बतौर सिद्धांत और परंपरा ख़तरे में है। सत्ताधारी दल इस शब्द को संविधान से हटाने का प्रयास कर सकता है। नफ़रत फैलाने वाली ताकतें इस देश के धर्म निरपेक्ष स्वभाव को नहीं बदल सकती हैं।”
शशि थरूर ने अपनी नई किताब ‘द बैटल ऑफ़ बिलॉन्गिंग’ पर बात करते हुए पीटीआई/भाषा को साक्षात्कार दिया। साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “संविधान अपने मूल स्वरूप की वजह से हमेशा धर्म निरपेक्ष बना रहेगा, भले वर्तमान सरकार इस शब्द को हटा ही क्यों न दे। अंततः यह सिर्फ और सिर्फ एक शब्द है।”
पिछले कुछ समय में कॉन्ग्रेस पर नरम हिंदुत्व का सहारा लेने का आरोप लगता रहा है। इस आरोप का जवाब देते हुए शशि थरूर ने कहा कि यह विषय देश की एक बड़ी उदारवादी आबादी के लिए चिंता का वास्तविक और ठोस विषय है। उन्होंने इस बिंदु पर ज़ोर देते हुए कहा:
“कॉन्ग्रेस पार्टी में हम सभी के बीच एक बात को लेकर राय बिलकुल स्पष्ट है कि हम भाजपा का दूसरा स्वरूप नहीं बन सकते हैं। कॉन्ग्रेस हिंदुत्व और हिंदूवाद के बीच अंतर समझती है। हम हिंदूवाद का सम्मान करते हैं, यह आलोचनात्मक नहीं बल्कि समावेशी है। वहीं दूसरी तरह हिंदुत्व एक विशुद्ध राजनीतिक सिद्धांत है, जो लोगों को बाँटने की बात करता है।”
इसके बाद शशि थरूर ने कहा, “यह मूल कारण है कि हम भाजपा के राजनीतिक संदेश का दुर्बल स्वरूप पेश नहीं कर रहे हैं। इस पहलू पर राहुल गाँधी पहले ही सफाई दे चुके हैं कि मंदिर जाना उनका निजी हिंदुत्व है। वह हिंदुत्व के किसी भी चेहरे का किसी भी लिहाज़ से समर्थन नहीं करते हैं, चाहे वह कट्टर हिंदुत्व हो या नरम हिंदुत्व।”
इसके बाद उनके सामने एक और प्रश्न उठाया गया कि क्या ‘धर्म निरपेक्ष’ शब्द ख़तरे में है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक शब्द है, अगर सरकार इसे संविधान से ख़त्म करने का प्रयास करती है, फिर भी संविधान धर्म निरपेक्ष बना रहेगा।
उनका कहना था कि हमारे देश में धर्म के स्थान पर अनेक प्रकार की गतिविधियाँ हैं। धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता, पूजा-पाठ करने की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभी नागरिकों के लिए समानता, अल्पसंख्यकों के लिए अधिकार। इस तरह के तमाम अधिकार भारतीय संविधान के बुनियादी ढाँचे का हिस्सा हैं, सिर्फ एक शब्द हटा देने से यह गायब नहीं होने वाले हैं।
अंत में उन्होंने कहा, “देश का सत्ताधारी दल इस तरह के प्रयास कर सकता है कि देश में धर्म निरपेक्षता को समाप्त कर दिया जाए। सांप्रदायिकता को कायम करने के प्रयास लगातार हो रहे हैं। इसका एक मतलब यह भी है कि देश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का तिरस्कार किया जाता है।”