Tuesday, November 19, 2024
Homeराजनीतिआलू और लौकी का फर्क नहीं समझने वाले हुड्डा के बेटे निर्दलीय विधायकों से...

आलू और लौकी का फर्क नहीं समझने वाले हुड्डा के बेटे निर्दलीय विधायकों से कह रहे- जनता जूतों से मारेगी

साल 2012 में दीपेंद्र सिंह हुड्डा मैकडॉल्ड को न्योता दे चुके हैं कि वे हरियाणा आएँ और अंबाला के किसान उन्हें 24 इंच का आलू पैदा करके देंगे। जिसके बाद उनकी काफी फजीहत हुई थी। सुषमा स्वराज ने उन्हें इस पर आईना दिखाया था।

कॉन्ग्रेस के एक युवा तुर्क हैं दीपेंदर सिंह हुड्डा। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे। तीन बार लोकसभा के सांसद रहे हैं जूनियर हुड्डा। कुछ दिनों पहले तक पिता के साथ बगावती तेवर में थे। नाराज थे कि राहुल गॉंधी उनके पिता की मान, अशोक तंवर को हरियाणा प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद से नहीं हटा रहे। राहुल की जगह जैसे ही सोनिया आईं उन्होंने हुड्डा पिता-पुत्र की मुराद पूरी कर दी। विधानसभा चुनावों से ठीक पहले तंवर बुझे मन से कॉन्ग्रेस से चले गए।

जाते-जाते तंवर छोड़ गए थे वो मेहनत, जो उन्होंने बतौर प्रदेश अध्यक्ष संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश में की थी। इसका नतीजा 24 अक्टूबर को आए हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजों में भी दिखा। कॉन्ग्रेस को 31 सीटें मिली। सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा अकेले दम पर बहुमत के आँकड़े से पीछे रह गई।

नतीजों के बाद सीनियर हुड्डा ने सबसे पहले काम किया तंवर के पसीने की कमाई को अपने जलवे के तौर पर पेश करने का। फिर वे सरकार बनाने की कोशिशों में जुट गए। निर्दलीय और अन्य विपक्षी दलों को साथ आने का न्योता दिया। लगे हाथ भाजपा पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप भी मढ़ दिया। हुड्डा के पास 2009 में इसी तरह सरकार बनाने का अनुभव था। लेकिन, वे भूल गए थे कि यह 2019 है। इसलिए उनका दॉंव नाकाम रहा और किसी ने कॉन्ग्रेस के समर्थन का ऐलान नहीं किया।

ये भी पढ़ें- 40 सीटें ला 2009 में हुड्डा बने थे सीएम, आज 40 वाले खट्टर की बारी

अब जबकि राज्य में एक बार फिर भाजपा की ही सरकार बनती दिख रही है, जूनियर हुड्डा ​फट पड़े हैं। भाजपा को समर्थन देने वाले विधायकों को धमकाते हुए दीपेंदर हुड्डा ने कहा है, “जो निर्दलीय विधायक खट्टर सरकार का हिस्सा बनने जा रहे हैं, वे अपनी राजनीतिक कब्र खोद रहे हैं। वे जनता के विश्वास को बेच रहे हैं। हरियाणा की जनता ऐसा करने वालों को कभी माफ नहीं करेगी। जनता उन्हें जूतों से पीटेगी।”

राजनीतिक वंशवाद के प्रतीक दीपेंदर अतीत में 24 इंच का आलू भी उगा चुके हैं। दिसंबर 2012 में लोकसभा में एफडीआई पर बहस चल रही थी। उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार थी और नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। दीपेंदर हुड्डा ने बहस में भाग लेते हुए मैकडॉनल्डस को न्योता दिया किया वे हरियाणा आएँ और उन्हें अंबाला के किसान 24 इंच का आलू पैदा करके देंगे।

उस समय विपक्ष की नेता रहीं सुषमा स्वराज ने दीपेंदर को आईना दिखाते हुए कहा था, “उन्होंने मैकडॉनल्ड्स को दावत दे दी हम 24 इंच का आलू यानी 2 फीट का आलू उन्हें उगा कर देंगे। वो कहते हैं कि मैं किसान का बेटा हूॅं। अरे बेटा, किसान के बेटे हो, लौकी और आलू का अंतर तो समझ लो।” वैसे, जिस अंबाला के भरोसे दीपेंदर ने आलू उत्पादन में चमत्कार कर देने का दावा दिया था, वहॉं की जनता ने इस चुनाव में भी कॉन्ग्रेस पर यकीन नहीं जताया है। अंबाला सिटी और अंबाला कैंट दोनों विधानसभा सीटों पर कॉन्ग्रेस उम्मीदवार बड़े अंतर से हारे हैं।

ऊपर के वीडियो में सुषमा स्वराज का वह जवाब आप भी सुन सकते हैं – 11 से 12 मिनट के बीच।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मणिपुर में बिहार के लोगों से हफ्ता वसूली, हिंसा के लिए महिला ब्रिगेड: रिपोर्ट से कुकी संगठनों की साजिश उजागर, दंगाइयों को छुड़ाकर भी...

मणिपुर में हिंसा फैलाने के लम्बी चौड़ी साजिश रची गई थी। इसके लिए कुकी आतंकी संगठनों ने महिला ब्रिगेड तैयार की।

404 एकड़ जमीन, बसे हैं 600 हिंदू-ईसाई परिवार: उजाड़ना चाहता है वक्फ बोर्ड, जानिए क्या है केरल का मुनम्बम भूमि विवाद जिसे केंद्रीय मंत्री...

एर्नाकुलम जिले के मुनम्बम के तटीय क्षेत्र में वक्फ भूमि विवाद करीब 404 एकड़ जमीन का है। इस जमीन पर मुख्य रूप से लैटिन कैथोलिक समुदाय के ईसाई और पिछड़े वर्गों के हिंदू परिवार बसे हुए हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -