दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे। संक्रमितों के नंबर में इजाफे के साथ इससे निपटने को लेकर दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के दावे भी बढ़ रहे हैं। लेकिन, हकीकत में केजरीवाल सरकार कितनी तत्पर है और उसने अस्पतालों से लेकर तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं की कैसी व्यवस्थाएँ की है, इसकी पोल सोशल मीडिया में लगातार खुल रहे हैं। ये दर्द उन लोगों का है जो गुहार लगाते रहे, लेकिन उन तक मदद नहीं पहुॅंची।
हालात ये है कि दिल्ली में कई मंत्रालयों सहित दिल्ली के एम्स के स्टाफ तक कोरोना वायरस का संक्रमण पहुँच गया है। ऐसे में आम आदमी को जाँच और इलाज को लेकर किस प्रकार की असुविधाएँ हो रही है, इसका अंदाजा सबसे पहले राधिका अग्रवाल के ट्वीट से लगाया जा सकता है।
01 – ‘हम एक पहले से ही हारी लड़ाई लड़ रहे हैं, शायद अब और कुछ भी अपडेट करने की जरूरत बाकी नहीं रह गई है’
राधिका अग्रवाल नाम की महिला ने ट्विटर पर अपनी व्यथा के बारे में बताया है कि उनकी मामी कोरोना वायरस से संक्रमित थीं। उन्होंने और उनके परिवार ने टेस्टिंग और जरूरी मदद जुटानी चाही लेकिन दिल्ली के किसी भी अस्पताल से उन्हें कोई मदद नहीं मिली। आखिर में उनकी मामी चल बसी।
ट्विटर पर राधिका अग्रवाल ने एक थ्रेड में लिखा है;
दिल्ली में रहने वाली मेरी मामी और उनके परिवार में कुछ लोगों को 2 जून के तीन दिन पहले से ही कोरोना वायरस के लक्षण दिख रहे थे। उनका पूरा परिवार अपने फैमिली डॉक्टर की सलाह पर टेस्टिंग कराने के लिए खेत्रपाल अस्पताल (Khetarpal Hospital) गया, जहाँ बहुत बहस के बाद अस्पताल बस मेरी मामी की टेस्टिंग के लिए तैयार हुआ। जबकि पूरे परिवार में सभी को लक्षण दिख रहे थे।
लेकिन किसी की भी न ही टेस्टिंग की गई न ही उन्हें एडमिट किया गया। दुर्भाग्य से मेरी मामी की उसी दिन घर पर ही रात 11 बजे मौत हो गई। 43 घंटे बाद बृहस्पतिवार की सुबह 10 बजे उनके कोरोना वायरस जाँच का नतीजा पॉजिटिव आया।
अब उनके 15 सदस्यों के परिवार में, जिसमें 2 लोग 80 से ऊपर की उम्र और दो लोग 20 साल से कम उम्र के हैं, हर हेल्पलाइन पर कॉल करे रहे हैं, पुलिस से मदद माँग रहे हैं। वो कई हॉस्पिटल भी जा चुके हैं ताकि उन्हें स्वास्थ्य सुविधा मिल पाए। लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली है और सारे प्रयास व्यर्थ सिद्ध हुए। यहाँ तक कि उनके इलाके को भी अभी तक कंटेन नहीं किया गया है। मैं ट्विटर पर मदद माँग रही हूँ, क्योंकि सभी अथॉरिटीज़ ने ‘हॉस्पिटल भरे हुए हैं’ कहकर हाथ खड़े कर दिए हैं।
THREAD:
— Radhika (@Radhikagrwal) June 4, 2020
My maami (aunt) and her family in Delhi were showing covid symptoms from 3 days on 2nd June. Entire family went to Khetarpal Hospital to get themselves tested after consulting their family doctor. Authorities there tested only her aunt after so many arguments. 1/n
इस ट्वीट के बाद राधिका अग्रवाल ने एक और ट्वीट में बताया कि शाहदरा के विधायक रामनिवास गोयल ने उनसे संपर्क किया है और उत्तम नगर के विधायक नरेश बलियान ने भी उनसे बात की है। राधिका ने लिखा है कि परिवार के सभी लोगों की शुक्रवार तक जाँच कराने का भरोसा दिलाया है।
राधिका अग्रवाल के इस ट्वीट को कुमार विश्वास ने भी रीट्वीट करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए लिखा है कि अब दिल्ली वालों को अपनी मदद खुद करनी होगी और अपना ख्याल खुद रहना होगा।
कुमार विश्वास ने केजरीवाल सरकार द्वारा अखबारों और टीवी पर दिए गए विज्ञापनों को निशाना बनाते हुए अपने ट्वीट में लिखा;
यह तार (Thread) धूरतेश्वर द्वारा चैनलों-अख़बारों को दिए करोड़ों रुपए वाले थोबड़ा-दिखाऊ विज्ञापनों के पीछे छिपी उसकी निकम्मी असलियत को ‘तार-तार’ करता है ! दिल्ली के नागरिकों से प्रार्थना है कि स्वयं ही अपना खूब ख़्याल रखें।
इस तार (Thread) धूरतेश्वर द्वारा चैनलों-अख़बारों को दिए करोड़ों रुपए वाले थोबड़ा-दिखाऊ विझापनों के पीछे छिपी उसकी निकम्मी असलियत तो “तार-तार” करता है ! दिल्ली के नागरिकों से प्रार्थना है कि स्वयं ही अपना खूब ख़्याल रखें 🙏 https://t.co/ESVQEvsbBW
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) June 4, 2020
आज तकरीबन आधे घंटे पहले ही राधिका अग्रवाल ने इस थ्रेड में एक नई जानकारी जोड़ते हुए लिखा है –
और भी परेशान करने वाली खबर- विधायक (शाहदरा) ने उन्हें सीधे दीनदयाल अस्पताल जाने के लिए पास दिया और वहाँ 5 सदस्यों का परीक्षण किया। सभी 4 सदस्य और मेरे मामा वहाँ गए, एक घंटे तक कोरोना की जाँच के लिए इंतजार कर रहे थे और फिर उनसे कहा गया, ‘किट खतम हो गई, कल आना’।
यानी, अस्पताल में किट की कमी के चलते शाहदरा विधायक विधायक रामनिवास गोयल द्वारा दिया गया आश्वासन भी राधिका के सम्बन्धियों के किसी काम नहीं आया है।
“Sarkaar hume 50 kits hi deti h daily ki, so ab kal aana”
— Radhika (@Radhikagrwal) June 5, 2020
“Kal kya guarantee h?”
“Agar kits bachi hogi, toh ho jaega”.
Guys, we are talking about a family where already 1 has succumbed to Covid. I guess this battle is already lost now, maybe no point to update more here..
इसके साथ ही एक दूसरे ट्वीट में राधिका ने अस्पताल प्रशासन के साथ अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए लिखा है,
“सरकार हमें रोजाना की 50 किट्स ही देती हैं, सो अब कल आना।’
‘कल क्या गारंटी है?’
‘अगर किट्स बची होंगी, तो हो जाएगा’
दोस्तों, हम एक ऐसी फैमिली के बारे में बात कर रहे हैं जिसने पहले ही एक सदस्य को कोरोना वायरस के कारण खो दिया है। मुझे लगता है कि हम एक पहले से ही हारी लड़ाई लड़ रहे हैं। शायद अब और कुछ भी अपडेट करने की जरूरत बाकी नहीं रह गई है।
02 – कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद भी सुध नहीं ले रही सरकार – जैपलीन पसरीचा
दिल्ली सरकार और इसके मुख्यमंत्री केजरीवाल में से किसी ने भी राधिका अग्रवाल की इस दलील (या आरोप) पर कोई की प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस तरह की मुसीबत का सामना करने वालों में राधिका अकेली नहीं हैं, बल्कि जैपलीन पसरीचा (Japleen Pasricha) ने भी ट्विटर पर इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे परिवार के कुछ सदस्यों की कोरोना वायरस रिपोर्ट पॉजिटिव निकलने के बाद भी सरकार द्वारा कोई मदद नहीं की गई।
यही नहीं, पसरीचा ने कहा कि एक लैब ने उसे बताया कि उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा सैंपल लेने से मना करने के भी निर्देश दिए गए हैं, और ऐसी अफवाहें थीं कि दिल्ली सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए संख्या नहीं बढ़ाना चाहती है जिस वजह से इस तरह के निर्देश दिए जा रहे हैं।
Some of my family members have COVID symptoms & I have been trying to book a test. Today, a lab told me that they have been instructed by the Delhi govt to stop collecting samples.
— Japleen Pasricha (@japna_p) June 4, 2020
Rumour is that the govt doesn’t want to increase numbers.
What is happening? @ArvindKejriwal
न होंगे टेस्ट न बढ़ेंगे केस – दिल्ली सरकार
लेकिन लगता है कि यह सिर्फ एक आरोप नहीं बल्कि दिल्ली सरकार की नई गाइडलाइन का हिस्सा है, जिसमें अब COVID-19 के नमूनों की जाँच में ही कलाकारी दिखाई गई है। यानी इसके अनुसार, दिल्ली सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि अब सिर्फ उन्हीं लोगों का सैंपल लिया जाएगा, जिनमें कोरोना वायरस से संक्रमण के लक्षण दिखते हों।
ऐसे में एक नया सवाल यह उठता है कि जब उनकी सरकार अपनी बात कह पाने में सक्षम और प्रभावशाली लोगों तक को जवाब देना जरूरी नहीं समझती तो ऐसे में उन लोगों का क्या हाल होगा, जिनकी व्यथा को सामने आने तक का भी मौक़ा नहीं मिल पाया है।
03 – दिल्ली के अस्पताल से लेकर सरकारी हेल्पलाइन तक बेहाल
ऐसा ही एक और केस ‘हफ़िंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट में वर्णित है। संयोगवश, खेत्रपाल अस्पताल दिल्ली सरकार द्वारा सूचीबद्ध अस्पतालों की सूची में नहीं है। हालाँकि, अपोलो और गंगाराम अस्पताल हैं, और इस रिपोर्ट के अनुसार 01 जून को उन्होंने मंदीप सिंह नाम के एक व्यक्ति के 67 वर्षीय ससुर को बेड देने से इनकार कर दिया।
अस्पतालों ने मंदीप सिंह से कहा कि उनके पास पर्याप्त बिस्तर नहीं है। हालाँकि, दिल्ली सरकार की वेबसाइट, 4 जून की तारीख के आँकड़ों से पता चलता है कि मंदीप सिंह द्वारा उल्लिखित सभी अस्पताल शायद भरे हुए थे।
इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि ये जानने के बाद कि अस्पतालों की मदद अब उन्हें नहीं मिल सकती, किस प्रकार से थक हार कर आखिर में मंदीप सिंह ने जब दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन को कॉल किया और तो वह निरंतर व्यस्त बताती रही और उन्हें कोई भी जवाब नहीं मिला।
वर्तमान में, दिल्ली सरकार ने 8,512 बिस्तर सूचीबद्ध किए हैं, जिनमें से 5,183 बिस्तर खाली हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली में कोरोना वायरस के 25,000 से अधिक मामले सामने आए हैं।
04 – अस्पताल में जगह ना मिलने से अमरप्रीत के पिता ने गँवा दी जान, अब परिवार की जाँच से लैब ने किया मना
अमरप्रीत ने ट्विटर पर जून 04 की सुबह 8:05 AM पर अपने पिता को हुए तेज बुखार का जिक्र करते हुए मदद माँगते हुए लिखा;
मेरे पिताजी को तेज बुखार हो रहा है। हमें उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करने की आवश्यकता है। मैं LNJP दिल्ली के बाहर हूँ और वे उसे अंदर नहीं ले जा रहे हैं। उन्हें कोरोना, तेज बुखार और साँस लेने में समस्या हो रही है। वह मदद के बिना जीवित नहीं रहेंगे। कृपया मदद करें।
अमरप्रीत ने इस ट्वीट में तिमारपुर के विधायक के साथ ही मनीष सिसोदिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री को भी टैग किया था।
He is no more. The govt failed us. https://t.co/uFJef9JxSA
— Amarpreet (@amar_hrhelpdesk) June 4, 2020
लेकिन दुर्भाग्यवश 9:08 AM पर अमरप्रीत ने एक और ट्वीट में बताया कि उनके पिता अब नहीं रहे। साथ ही उन्होंने लिखा कि हमारे परिवार की भी जाँच की जाए, लेकिन लैब ऐसा नहीं कर रही है। मेरी माँ, भाई, उनकी पत्नी और दो बच्चे। कृप्या मदद करें।
अमरप्रीत के ट्वीट के जवाब में उनकी मदद की जगह उनसे संवेदना व्यक्त करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। लेकिन वास्तविकता यही है कि उनसे सहानुभूति जताने के अलावा और कोई उपाय भी नहीं है और हर कोई किसी ना किसी तरह से पीड़ित और लाचार ही है।
05 – पूरे परिवार में नजर आ रहे हैं संक्रमण के लक्षण, अस्पताल भेज देते हैं वापस
अमरप्रीत के इस ट्वीट में ही एक और युवक विनोद कुमार भी अपने मित्र के लिए मदद माँग रहे हैं। विनोद कुमार ने लिखा है कि मयूर विहार में उनके मित्र और उनके पूरे परिवार में कोरोना वायरस के लक्षण दिख रहे हैं। वे अपनी जाँच के लिए यहाँ-वहाँ दौड़ रहे हैं, हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल उन्हें वापस भेज देते हैं।
My friend in mayur vihar is ill with covid like symptoms with entire family. They are running pillar to post to get tested. Hospitals turn them back. @ArvindKejriwal @raghav_chadha @LtGovDelhi
— Vinod Kumar (@vinod1981delhi) June 4, 2020
06 – मरीजों से संक्रमित होने के बावजूद बिना जाँच के ही घर पर कैद रहने को मजबूर फिजियोथेरेपिस्ट
अशोक सिंह ने ट्विटर पर लिखा है कि वे एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं। उन्होंने अपनी दुविधा को ट्विटर पर शेयर करते हुए स्पष्ट किया है कि किस तरह से उन्हें लोगों का इलाज करते हुए कोरोना वायरस से संक्रमित होने का पता चला।
एक तस्वीर में उन्होंने अपने क्रम को लिखकर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को टैग करते हुए लिखा है,
एक टैक्स पेयर होने के नाते, जिसने, दिल्लीवासियों को लेकर आपकी चिंता, आपके विजन को देखते हुए आपको वोट दिया, उस पर भरोसा करते हुए मैं चाहता हूँ कि आप मेरी जिज्ञासाओं का जवाब दें, क्योंकि आप ही जवाबदेह हैं।
इस तस्वीर में अशोक सिंह ने जिक्र किया है कि वो एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं और रोजाना की भाँति ही एक डॉक्टर होने के नाते वे फरवरी से ही अपने मरीजों को देखते आ रहे थे।
अशोक सिंह ने बताया है कि 29 फरवरी को उनका एक मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित मिला। इसके बाद उन्होंने फ़ौरन अपने को क्वारंटाइन करते हुए आरोग्य सेतु ऐप में अपनी स्थिति दर्ज की। इसके बाद 29 मई को जब अशोक ने हेल्पलाइन पर अपने इलाज के बारे में कहा तो उनसे कहा गया कि उनका कोई जाँच या इलाज नहीं किया जा सकता, जब तक कि उनमें कोई लक्षण नजर नहीं आ जाते।
दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन निरंतर व्यस्त ही प्राप्त हुई। अशोक सिंह ने लिखा है कि 02 जून से उन्हें खाँसी होनी शुरू हो गई जो कि लगातार बढ़ती चली गई। उनके शरीर का तापमान आश्चर्यजनक रूप से बढ़ने लगा और पिछले पाँच दिनों की अपनी हालत को देखकर वो भयभीत हो गए।
‘क्या इंसान की जिंदगी की कीमत इतनी कम है? ‘
इस बीच अशोक सिंह ने तमाम हेल्पलाइन नम्बर्स पर सम्पर्क किया, लेकिन उनमें से किसी ने भी उनको जवाब नहीं दिया। 03 जून को जब उन्होंने प्राइवेट लैब से भी जाँच के लिए सम्पर्क किया तो उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया कि उनके पास पहले से ही बहुत सैंपल बाकी हैं।
As a tax paying citizen who voted for you,trusting your vision for Delhiites’ well being I want you to answer my concerns as you are answerable @ArvindKejriwal @DrKumarVishwas pic.twitter.com/TnWy1KMpSH
— Ashok Singh (@AshokSi19500433) June 5, 2020
04 जून को आखिरकार निराशा में अशोक सिंह ने लिखा;
एक टैक्स पेयर नागरिक होने के बावजूद, मैं हेल्पलेस हूँ, अपने भविष्य को लेकर आशंकित हूँ, डरा हुआ, घबराया, चला गया हूँ। मैं नहीं जानता कि मेरा भविष्य क्या होगा? क्या मुझे इस तरह से बस निराशा में इन्तजार करना चाहिए? इस तरह से घर पर बैठकर इस जानलेवा वायरस की जाँच के बिना ही क्वारंटाइन रहना चाहिए? क्या ये मेरे परिवार के लिए भी सही है? क्या मेरी और अन्य इंसानों की जिन्दगी की कीमत बस इतनी ही है?
दिल्ली में रहने वालों के लिए निर्देश यही है कि तब तक घर पर बैठे रहें जब तक कि लक्षण दिखने शुरू नहीं हो जाते। मैं कोरोना वायरस से पीड़ितों के सम्पर्क में आने के बावजूद और संक्रमण के लक्षणों के बाद भी किसी तरह की मदद नहीं पा रहा हूँ। कोई अस्पताल या लैब मेरे सेम्पल की जाँच के लिए तैयार नहीं है। सरकार ने हमें घर पर बैठे रहने के लिए कहा है, क्या हम किसी महल में रह रहे हैं जिसमें एक व्यक्ति के लिए अलग से कमरा और वाशरूम की सुविधा हो?
07 – गंभीर अवस्था में संक्रमित भाई के लिए अस्पताल तलाशती काजल प्रजापति
कोरोना वायरस से संक्रमित भाई के लिए प्लाज्मा थेरेपी की माँग कर रही काजल प्रजापति ने ट्विटर ने लिखा है, “हमें तत्काल ऐसे अस्पताल में एक सीट की आवश्यकता है, जहाँ मेरे भाई के लिए प्लाज्मा थेरेपी की जा सकती हो, वह वर्तमान में गंभीर स्थिति में है और बत्रा अस्पताल में भर्ती है। जिन अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी की जाती है, उनमें से किसी में भी सीट उपलब्ध नहीं है।”
We URGENTLY need a seat in hospital where plasma therapy is being done for my brother , he is presently in critical situation and is admitted in Batra Hospital currently .
— Kajal Prajapati (@KajalPr1307) June 4, 2020
There is no availability of seats in any of the hospitals where plasma therapy is done. @ArvindKejriwal
काजल ने इस ट्वीट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी टैग किया है, लेकिन इसमें भी दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
08 – बीबीसी कर्मचारी ने बताया कि दिल्ली सरकार के अस्पताल में बेड की जानकारी हकीकत से अलग
बीबीसी इंडिया में काम करने वाले विकास पाण्डेय ने एक ट्वीट में जिक्र किया है कि उनके भाई में कोरोना वायरस के गंभीर लक्षण हैं। जब उन्होंने मैक्स, अपोलो और गंगाराम अस्पताल से संपर्क किया, तो तीनों ने कहा कि कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं है। विकास पाण्डेय ने केजरीवाल को टैग करते हुए लिखा है, “लेकिन आपकी वेबसाइट से पता चलता है कि उनके पास बिस्तर हैं। इस बारे में देखिए कि आखिर क्या चल रहा है?”
My brother has severe Covid symptoms. We contacted Max, Apollo and Gangaram – all three said no beds. But your website shows they have beds. Pleasw look into this – @ArvindKejriwal @AnkitLal @msisodia what’s going on?
— Vikas Pandey (@BBCVikas) June 3, 2020
विकास पाण्डेय के इस ट्वीट के जवाब में एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि आपके एकाउंट में ब्लू टिक है, इसलिए उम्मीद करते हैं कि आपको जवाब मिल जाएगा। लेकिन दुःख की बात यह है कि कई लोग ट्विटर पर नहीं हैं, जबकि केजरीवाल कहते हैं कि बेड उपलब्ध हैं।
aapke account ke aage ‘blue tick’ hai. Aasha hai aapko bed mil gaya hoga… Dukh ki baat yeh hain ki kayi aise log to Twitter pe nhi nahi hai.. .Aur Kejriwal ji keh rahein hain ki beds khali padein hain…
— Reshu Manglik (@reshumanglik) June 3, 2020
09 – GTB अस्पताल के बाहर लेटे हुए पीड़ित की सुध लेने वाला कोई नहीं
अतुल सिंघल ने एक वृद्ध का वीडियो ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा है, “कोरोना सन्दिग्ध मरीज की हालत गंभीर है। जीटीबी अस्पताल के बाहर है। बच्चे कल से धक्के खा रहे हैं। 1031 पर दो बार फोन किया। कोरोना DSO शाहदरा डॉक्टर सुशील नायक 87******08, 98******30 फोन ही नहीं उठा रहे।”
इस वीडियो में वृद्ध व्यक्ति को स्ट्रेचर पर लेते हुए देखा जा सकता है कि उन्हें साँस लेने में परेशानी हो रही है।
कोरोना सन्दिग्ध मरीज की हालत गंभीर है। जीटीबी अस्पताल के बाहर है। बच्चे कल से धक्के खा रहे हैं। 1031 पर दो बार फोन किया। Corona DSO Shahdara Dr Susank Nayak 8745011008, 9811451030 फोन ही नही उठा रहे। @CMODelhi @MoHFW_INDIA @PMOIndia @RahulSinhaZee pic.twitter.com/aauJ9eNpyr
— Atul Singhal (@atulsinghal25) June 4, 2020
हालाँकि अतुल सिंघल के इस ट्वीट के जवाब में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के COVID-इंडिया सेवा के आधिकारिक एकाउंट ने संज्ञान लेते हुए मरीज की जानकारी माँगी है और उपचार का आश्वासन दिया है।
@atulsinghal25 जी, कृपया हमें मरीज़ का फ़ोन/मोबाइल नंबर DM कर दी जिए ताकि हम मरीज़ की जल्द से जल्द मदद कर सकें। @MoHFW_INDIA @drharshvardhan @DrHVoffice
— Covid India Seva (@CovidIndiaSeva) June 4, 2020
10 – कोरोना संक्रमित पिता को एडमिट करने से अस्पताल कर रहे हैं इनकार
आज ही आयुष श्रीवास्तव नाम के एक ट्विटर यूजर ने एक ट्वीट में केजरीवाल को टैग करते हुए लिखा है, “दिल्ली के जनकपुरी में मेरे दोस्त के पिता कल ही कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। उनमें कोरोना वायरस के सभी लक्षणों के साथ ही बलगम के साथ खून निकलने की भी शिकायत है। वह डायबिटिक भी हैं। वे उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं करवा पा रहे हैं, क्योंकि अस्पताल असमर्थता जताते हुए उन्हें मना कर रहे हैं।”
My frnd’s Dad in Delhi Janakpuri tested +ve for covid last night, he’s shwing all d symptoms & coughing blood as well. He’s diabetic too They r unable to get him admitted as hospitals r refusing
— Ayush Shrivastava (@thevideoguyy) June 5, 2020
Pls help @ArvindKejriwal @msisodia @AamAadmiParty https://t.co/kRN6HYJ46M 9650877113
कहाँ व्यस्त हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल?
इन सभी ट्वीट में और व्यक्तिगत तौर पर संपर्क करने पर मिली जानकारी से यही निष्कर्ष निकला है कि दिल्ली में कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने में अरविंद केजरीवाल और उनका पूरा तन्त्र असमर्थ तो है ही, साथ में वह स्वीकार करने को भी राजी नहीं हैं कि वास्तव में दिल्ली की जनता किस दुविधा में खुद को इतना असहाय और निराश महसूस कर रही है। ना ही उन्हें इन सभी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों से कोई फर्क पड़ता दिख रहा है।
दिल्ली सरकार की रोजाना बदलती गाइडलाइंस और सैंपल ना लेने की नीतियाँ यही साबित करती हैं कि उनके लिए जनता की जान से जायदा मीडिया मैनेजमेंट की चिंता है। मीडिया में अपनी व्यक्तिगत छवि के अलावा केजरीवाल को खासतौर से उस वर्ग की चिंता ज्यादा नजर आती है, जिसने उसे दिल्ली की सत्ता सौंपने के लिए पूरी मेहनत से प्रोपेगेंडा रचा, उसे गोद में बिठाया, और केजरीवाल की जीत के दिन कहा था कि अब दिल्ली हँस, खेल रही है।
अस्पतालों के चक्कर काट रहे लोग, संक्रमण के बावजूद घरों में असहाय बैठे लोग, जाँच से इनकार कर घर भेज दिए गए लोगों को नजरअंदाज कर केजरीवाल यही बेहतर समझते हैं कि ट्विटर पर सागरिका घोष को हेयर कटिंग की शुभकामना दे सकें। शायद उनकी आस्था और संवेदना बस इसी एक वर्ग तक सीमित भी हैं।
दिल्ली की जनता को असहाय और लाचार छोड़कर केजरीवाल उन मीडियाकारों के सलून की चिंता में डूबे हैं, जिन्होंने उन्हें आज दिल्ली की सत्ता सौंपने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। आज वह लड़का खो गया, जिसने अपनी यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप केजरीवाल के राजनीतिक करियर के लिए दान दे दी थी। साथ ही वह सभी आशाएँ भी धूमिल हो चुकी हैं जो समाज ने केजरीवाल में परिवर्तन की चाह में देखी थी।