दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने रविवार (2 जून, 2024) को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। चुनाव प्रचार के लिए मिली उनकी अंतरिम जमानत रविवार को खत्म हो रही थी। इससे पहले उन्हें किसी भी अदालत से राहत नहीं मिली थी। उनके सरेंडर के बाद खबर आई कि उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट ने 5 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। जेल जाते-जाते उन्होंने कहा- “मैं देश बचाने के लिए जेल जा रहा हूँ। मुझे नहीं पता कब वापस आऊँगा। वहाँ मेरे साथ क्या-क्या होगा, मुझे नहीं पता।”
#WATCH | Delhi CM and AAP national convenor Arvind Kejriwal reaches Tihar Jail in Delhi to surrender after the end of his interim bail granted by the Supreme Court to campaign for Lok Sabha elections on May 10.
— ANI (@ANI) June 2, 2024
He was asked to surrender to Tihar jail on June 2. pic.twitter.com/pJ7SA7mZs9
दिल्ली CM केजरीवाल रविवार को अपने घर से निकल कर पहले महात्मा गाँधी की समाधि पर गए, इसके बाद दिल्ली कनॉट प्लेस स्थित हनुमान जी के मंदिर पहुँचे। यहाँ से उन्होंने आम आदमी पार्टी के पार्टी ऑफिस का रुख किया जहाँ उन्होंने एक भाषण दिया और इसके बाद वह तिहाड़ के लिए निकल गए।
CM केजरीवाल को 10 मई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार करने के लिए 1 जून, 2024 तक की अंतरिम जमानत दी थी। उन्हें 2 जून को सरेंडर करने को कहा गया था। इस जमानत के दौरान ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर वृद्धि की माँग की थी, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था।
केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिन की वृद्धि जमानत अवधि में करने की माँग की थी। उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य कारण बताए थे। उन्होंने कहा था कि शरीर के चेकअप के लिए उन्हें 7 दिन की जमानत चाहिए। हालाँकि, उनकी इन दलीलों को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना था।
उन्होंने दिल्ली की एक निचली अदालत में भी इस मामले में 7 दिन की अंतरिम जमानत और शराब घोटाला मामले में नियमित जमानत की याचिका लगाई थी। इस मामले में भी उन्हें राहत नहीं मिली थी और कोर्ट ने 5 जून के लिए यह निर्णय सुरक्षित रख लिया था। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर फैसला सुरक्षित है।
गौरतलब है कि CM केजरीवाल को मार्च, 2024 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया था। एजेंसी ने उन्हें इस मामले में सरगना बताया था। एजेंसी ने उन्हें किसी भी प्रकार की राहत देने का विरोध किया था और स्वास्थ्य आधार को भी नकारा था।