Monday, December 23, 2024
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ऑपइंडिया Exclusive: अजित पवार के पक्ष में 27 विधायक, मतदान से दूर रह सकते हैं कॉन्ग्रेस MLA

170 विधायकों के समर्थन को लेकर भाजपा पूरी तरह आश्वस्त है। फ्लोर टेस्ट के दौरान अजित पवार के समर्थक एनसीपी विधायक और शिवसेना के असंतुष्ट विधायकों के उसके पाले में आने के आसार हैं। इसके अलावा कई निर्दलीयों का भी उसे समर्थन हासिल है।

महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम पल-पल बदल रहा है। चुनाव से पहले भाजपा-शिवसेना एक साथ लड़ी और कॉन्ग्रेस ने एनसीपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा। चुनाव के बाद शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद लेने के लिए अड़ गई और उसने कॉन्ग्रेस व एनसीपी के साथ बातचीत शुरू कर दी। पहले आदित्य ठाकरे को सीएम बनाने की बात कही गई, बाद में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बनी। तभी अजित पवार के साथ एनसीपी का एक धड़ा भाजपा से जा मिला और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अजित पवार उप-मुख्यमंत्री बने। अब एनसीपी द्वारा अजित पवार को मनाने की कोशिशें जारी हैं।

ऑपइंडिया को सूत्रों ने बताया है कि एनसीपी के 27 विधायक अजित पवार के साथ हैं। सूचना मिली है कि ये 27 विधायक फ्लोर टेस्ट के दौरान भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में वोट करेंगे। अजित पवार लगातार ट्विटर पर मिल रही बधाइयों का धन्यवाद दे रहे हैं, इसीलिए लगता नहीं है कि उन्हें मनाने की कोशिशें कामयाब होंगी। पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल ने अजित पवार को बताया है कि पार्टी में 30-35 ऐसे विधायक हैं, जो अजित की अनुपस्थिति में असहज महसूस कर रहे हैं। ये आँकड़ा बढ़ भी सकता है।

मिलिंद नार्वेकर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के पर्सनल असिस्टेंट हैं। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे पूर्व मंत्री हैं। ऑपइंडिया के सूत्रों ने पुष्टि की है कि शनिवार (नवंबर 23, 2019) की देर शाम ये दोनों नेता आपस में ही लड़ बैठे। नार्वेकर ने शिंदे पर भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाया। इससे पहले भी ख़बर आ चुकी है कि शिवसेना के कई विधायक उद्धव ठाकरे से असंतुष्ट हैं और भाजपा के साथ गठबंधन के पक्षधर हैं। एनसीपी और शिवसेना के इस आंतरिक कलह से कॉन्ग्रेस भी सकते में आ गई है। उद्धव ने सोनिया से मुलाक़ात के दौरान भी उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी पार्टी में सब ठीक है।

मीडिया लगातार ऐसी ख़बरें चला रही है कि एनसीपी की बैठक उसके कुछ ही विधायक अनुपस्थित थे, जबकि उस बैठक में एनसीपी के कई विधायक नहीं पहुँचे थे। उस बैठक में उद्धव ने भी एनसीपी के विधायकों को ढाँढस बँधाया कि सब ठीक हो जाएगा।

कॉन्ग्रेस की स्थिति और भी बुरी है। राहुल गाँधी, सोनिया गाँधी और अहमद पटेल विधायक दल के नेता के चुनाव को लेकर एकमत नहीं हैं। कॉन्ग्रेस के विदर्भ क्षेत्र के कई विधायक असंतुष्ट हैं। हो सकता है कि वो फ्लोर टेस्ट के दौरान सदन में आएँ ही नहीं। राहुल गाँधी धड़ा चाहता था कि शिवसेना के साथ किसी भी तरह की बातचीत नहीं हो, जबकि सोनिया गाँधी का धड़ा गठबंधन के पक्ष में था। अहमद पटेल इस धड़े का नेतृत्व कर रहे थे। पटेल की इच्छा है कि बीएमसी में कॉन्ग्रेस का प्रभाव बने। इसका कारण बीएमसी का भारी-भरकम बजट है। उद्धव ने भी सोनिया को आश्वस्त किया था कि बीएमसी में कॉन्ग्रेस को हिस्सा दिया जाएगा।

ऑपइंडिया ने भाजपा के विश्वस्त सूत्रों से बातचीत की, जिसके बाद पता चला कि पार्टी सदन में बहुमत साबित करने को लेकर एकदम आश्वस्त है। विश्वासमत के दौरान 170 वोट हासिल करने का उसे पूरा यकीन है। भाजपा न सिर्फ़ एनसीपी और निर्दलीय, बल्कि शिवसेना के कई विधायकों को भी अपने पाले में मान रही है। चूँकि शिवसेना के कई विधायकों की आपस में लड़ाई की ख़बरें सार्वजनिक हो चुकी हैं, भाजपा की उधर भी नज़रें हैं। ख़बर आई थी कि कई शिवसेना विधायकों ने उस होटल को छोड़ दिया था, जिसमें वो पहले रुके हुए थे।

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