Sunday, December 22, 2024
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‘…चाकू जरा तेज रखो’: हिंदुओं को साध्वी प्रज्ञा ने पढ़ाया आत्मरक्षा की तैयारी का पाठ, ‘मुस्लिम-मुस्लिम’ कर नफरत फैला रहा लिबरल गिरोह

साध्वी प्रज्ञा ने जिस 'लव जिहाद' की बात की है, उसके तहत तो हिन्दू लड़कियों को निशाना बना कर अधिकतर मामलों में उनकी हत्याएँ कर दी जाती हैं ना?

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सांसद एवं भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने ‘मुस्लिमों के नरसंहार’ की बात कही है। उनके जिस भाषण के बारे में बात की जा रही है, वो रविवार (25 दिसंबर, 2022) को ‘हिन्दू जागरण वेदिके’ के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। जैसे ही उनका वीडियो सामने आया, उनकी बातें सुन कर भी लिबरल गिरोह उसे गलत तरीके से पेश करने में लग गया।

‘The South First’ नामक न्यूज़ पोर्टल की राजनीतिक संपादक अनुषा रवि सूद इसमें आगे रहीं। उन्होंने दावा कर दिया कि भोपाल की ‘आतंकवाद की आरोपित सांसद’ ने कर्नाटक में भाषण के दौरान ‘मुस्लिमों की हत्या’ की बात कही है। उन्होंने दावा किया कि साध्वी प्रज्ञा हिंसा फैलाने की बात खुलेआम कह रही हैं। असल में क्या सांसद ने ऐसा कहा? कोई भी व्यक्ति, भले ही वो किसी भी पद पर हो, भारत का संविधान किसी समुदाय की एकतरफा नरसंहार की अनुमति तो नहीं ही देता है।

आइए, सबसे पहले देखते हैं कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा क्या था, “लव जिहाद करने वालों को लव जिहाद जैसा उत्तर दो। अपनी लड़कियों को सुरक्षित रखो। अपनी लड़कियों को संस्कारित करो। अपने घर में हथियार रखो। कुछ नहीं, तो सब्जी काटने वाली चाकू जरा तेज़ रखो। स्पष्ट बोल रही हूँ कि हमारे घरों में भी सब्जी काटने के लिए हथियार तेज़ होने चाहिए। उन्होंने चाकू से हमारे हर्षा को गोदा था, हिन्दू कार्यकर्ताओं को गोदा है, काटा है।”

इसके बाद भाजपा सांसद ने सब्जी काटने वाली चाकू की धार तेज़ रखने की अपील करते हुए हिन्दुओं से कहा कि जब हमारी सब्जी अच्छे से कटेगी तो निश्चित रूप से दुश्मनों के मुँह भी और सिर भी अच्छे से करेंगे। इस पूरे बयान में आपको कहीं ‘मुस्लिम’ शब्द दिखा क्या? इसका सीधा अर्थ है कि लिबरल गिरोह के पत्रकार इस बयान का खुद इ अर्थ लगा कर झूठी खबर फैला रहे हैं। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का सिर्फ इतना कहना था कि आत्मरक्षा के लिए हथियार घर में रखे रहो।

अगर उन्हें मुस्लिमों की एकतरफा हत्या के लिए उकसाना होता तो वो कह सकती थीं कि तुम्हें जो भी मुस्लिम दिखे उसे मार डालो, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा। खुद की सुरक्षा के लिए और आत्मरक्षा के लिए उन्होंने हथियार रखने की बात कही। हैदराबाद से प्रकाशित होने वाले मुस्लिमों के अख़बार ‘The Siasat Daily’ तक ने भी अपनी शीर्षक में ऐसा नहीं लिखा कि भोपाल की सांसद ने ‘मुस्लिमों के नरसंहार’ की बात कही है।

‘इस्लामी अख़बार सियासत’ तक ने नहीं लिखा कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने ‘मुस्लिमों के नरसंहार’ की बात कही है

‘सियासत’ का शीर्षक है – ‘हिन्दुओं के पास उन्हें प्रतिक्रिया देने का अधिकार है, जो उनके इज्जत पर हाथ डालते हैं’: प्रज्ञा ठाकुर। पूरे भाषण में कहीं ‘मुस्लिम’ शब्द उन्होंने नहीं कहा, लेकिन लिबरल गिरोह इसका अर्थ ‘मुस्लिम’ निकाल कर उन्हें बदनाम करने में जुट गया है। साध्वी प्रज्ञा ने जिस ‘लव जिहाद’ की बात की है, उसके तहत तो हिन्दू लड़कियों को निशाना बना कर अधिकतर मामलों में उनकी हत्याएँ कर दी जाती हैं ना?

क्या ये कहना कि हिन्दू मारे जा रहे हैं, ऐसे में उन्हें आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की ज़रूरत है – नरसंहार के लिए उकसाना है? कश्मीर से लेकर बंगाल तक हिन्दुओं का नरसंहार हुआ और समय-समय पर उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा, ऐसे में आज के समय में जब एक तथाकथित बुद्धिजीवियों का गिरोह उनका साथ दे रहा है, क्या आत्मरक्षा हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत बन के नहीं उभरा है? ये हमारी ज़रूरत नहीं, बल्कि जान बचाने है तो एक अनिवार्यता बन गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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