समाजवादी पार्टी ने डॉक्टर कफील खान को देवरिया-कुशीनगर सीट से MLC (विधान पार्षद) का उम्मीदवार बनाया है। हाल ही में उन्होंने पार्टी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी। उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव 2022 में सपा की तरफ से प्रत्याशी बनाए गए डॉक्टर कफील खान गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की हुई मौत के बाद चर्चा में आए थे।
मंगलवार (15 मार्च, 2022) को सपा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद उनके नाम का ऐलान किया गया। इस दौरान उन्होंने गोरखपुर ऑक्सीजन कांड पर लिखी अपनी पुस्तक भी अखिलेश यादव को भेंट की। बता दें कि बच्चों की मौत मामले में उनका नाम आने के बाद यूपी सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। बुधवार को वो अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 36 सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया 15 मार्च से शुरू हो गई है।
19 मार्च तक 30 सीटों के लिए पर्चे भरे जाने हैं, जबकि 6 सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया 22 मार्च तक चलेगी। 9 अप्रैल को सभी 36 सीटों के लिए मतदान की तारीख़ तय की गई है। 12 अप्रैल को मतगणना के बाद परिणाम जारी कर दिए जाएँगे। भाजपा और सपा की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उनके प्रत्याशी जीतें। विधान परिषद में फ़िलहाल सपा की 48 सीटें हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी के पास 36 MLC हैं।
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन से बच्चों की मौत के मामले में चर्चा में आये डॉ कफील खान को सपा ने देवरिया स्थानीय निकाय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है। #MLCelection
— NBT Uttar Pradesh (@UPNBT) March 15, 2022
हालाँकि, सपा के 8 विधान पार्षद पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा का लक्ष्य है कि ज़्यादा सीटें प्राप्त कर के वो उत्तर प्रदेश के उच्च सदन में भी बहुमत प्राप्त करे। बता दें कि स्थानीय निकाय की सीटों के लिए सांसद, नगरीय निकायों, विधायक, कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायतों के सदस्यों के अलावा ग्राम प्रधान भी वोट डालते हैं। अटकलें हैं कि डॉक्टर कफील खान के सहारे सपा मुस्लिमों को लुभाना चाहती है।
बता दें कि गोरखपुर के ‘बाबा राघव दास (BRD) हॉस्पिटल’ में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से 60 से अधिक बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। इस मामले में डॉक्टर कफील खान पर लगे आरोपों की जाँच के लिए एक समिति का गठन किया गया था। डॉक्टर कफील खान पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगे थे। डॉक्टर कफील खान इस मामले में जेल भी जा चुके हैं। वो CAA और NRC के विरुद्ध हुए विरोध प्रदर्शनों में भी खासे सक्रिय रहे थे और शाहीन बाग़ जैसे उपद्रवों में हिस्सा लिया था। उन पर सरकारी नौकरी के इतर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप भी थे।