खनन लीज मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand CM Hemant Soren) को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को भेज दी है। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग ने इस मामले में हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की रिपोर्ट दी है।
कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन अब मुख्यमंंत्री की कुर्सी अपनी पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpna Soren) को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं। सोरेन ने अपने सभी विधायकों को शाम तक राँची पहुँचने का निर्देश दिया है।
मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि हालात को देखते हुए हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही महागठबंधन दलों की राँची में बैठक हुई थी, जिसमें कहा गया था कि हर परिस्थिति में सोरेन को समर्थन जारी रहेगा।
चुनाव आयोग ने झारखंड के CM @HemantSorenJMM की सदस्यता रद्द की.
— Shivam Pratap (@journalistspsc) August 25, 2022
चर्चा है कि CM सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन अब CM का पद संभाल सकती हैं.
BJP सांसद @nishikant_dubey ने पहले ही बताया था, अगस्त का महीना पार नहीं होगा.
बता दें कि झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस गुरुवार (25 अगस्त 2022) को दिल्ली से राँची के लिए रवाना हो चुके हैं। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि राज्यपाल 2 बजे राँची पहुँचेंगे और वहाँ 3 बजे इसे राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा।
Jharkhand Raj Bhawan has received the opinion of Election Commission of India on Chief Minister Hemant Soren on the office of profit matter: Sources
— ANI (@ANI) August 25, 2022
(file pic) pic.twitter.com/8BfduNVR8s
झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 18 अगस्त 2022 को ही कह दिया था कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता जाने वाली है। वे अगस्त का महीना पार कर लें, वही बड़ी बात है। दुबे ने अगले दिन कहा था, “झारखंड में भाभी जी के ताजपोशी की तैयारी, परिवारवादी पार्टी का बेहतरीन नुस्ख़ा गरीब के लिए।” उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpna Soren) की ओर इशारा किया।
दरअसल, खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी है। सोरेन पर विभागीय मंत्री होते हुए अपने नाम से खनन लीज लेने का आरोप है। मामला राज्यपाल कार्यालय से होते हुए चुनाव आयोग तक पहुँचा और आयोग ने इस पर कई दिनों तक सुनवाई की।