प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने UPA के कार्यकाल के दौरान एम्ब्रेयर (Embraer) विमान की खरीद में कथित रिश्वतखोरी के संबंध में रक्षा डीलर विपिन खन्ना के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के सम्बन्ध में एक आरोप पत्र दायर किया है, जिसमें दावा किया गया है कि उन्हें रिश्वत के रूप में 25 करोड़ रूपए मिले। विपिन खन्ना मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पहली यूपीए सरकार में विदेश मंत्री और कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता कुँवर नटवर सिंह के करीबी सहयोगी हैं।
ब्राजील की विमान निर्माता कंपनी एम्ब्रेयर से विमान खरीद यूपीए के तहत किया गया तीसरा रक्षा सौदा है, जिसकी जाँच परवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है। एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी भी इटली से अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टरों और स्विट्जरलैंड से 75 पिलाटस विमानों की खरीद में कथित तौर पर घूसखोरी की जाँच कर रही है। एम्ब्रेयर खरीद मामले में, ईडी ने भारतीय एजेंटों को मिली 26 करोड़ रूपए की रिश्वत के कथित लेनदेन के मिलने के बाद 16 करोड़ रूपए की संपत्ति अटैच की है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में, भारत ने DRDO के एयरबोर्न रडार सिस्टम के लिए ब्राजील के एम्ब्रेयर से तीन विमान खरीदे थे। ब्राजील के निर्माता पर 210 मिलियन डॉलर के सौदे में 5 मिलियन डॉलर से अधिक का कमीशन देने का आरोप है। कथित अदायगी पंजाब के संगरूर के एक प्रमुख चावल निर्यातक, केआरबीएल के खातों का इस्तेमाल कर प्राप्त की गई थी, जहाँ से रक्षा डीलर विपिन खन्ना का बेटा कभी कॉन्ग्रेस का विधायक चुना गया था। केआरबीएल लिमिटेड (KRBL Ltd) इंडिया गेट बासमती चावल की निर्माता कंपनी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ईडी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जाँच से पता चला है कि ब्राजील विमान निर्माता कम्पनी एम्ब्रेयर एसए ने 210 मिलियन डॉलर में भारतीय वायु सेना को एयरक्राफ्ट की आपूर्ति का कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया और इस कॉन्ट्रेक्ट को अपने पक्ष में प्रभावित करने के लिए विपिन खन्ना नाम के एक बिचौलिए को 5.76 मिलियन डॉलर का कमीशन दिया।
भारत के रक्षा खरीद नियमों के अनुसार, रक्षा सौदों में बिचौलियों को रोकने के कठोर प्रावधान हैं। ब्राजील के एक समाचार पत्र की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि कंपनी (एम्ब्रेयर) ने सऊदी अरब और भारत में सौदों के लिए बिचौलियों की सहायता ली थीं।
प्रवर्तन निदेशालय ने स्पष्ट किया कि रिश्वत को कथित रूप से एम्ब्रेयर ने अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से इंटरदेव एविएशन सर्विसेज पीटीई लिमिटेड (आईएएसपीएल), सिंगापुर को एक ‘फर्जी समझौते’ के रूप में भेजा था।