महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री (डिप्टी CM) व NCP नेता अजित पवार की मुश्किलें सिंचाई घोटाले को लेकर एक बार फिर बढ़ गई हैं। इस बार, ED ने नागपुर में VIDC (विदर्भ सिंचाई विकास निगम) से संबंधित सिंचाई घोटाले में एक एन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट दर्ज की है। साथ ही संदिग्ध अनियमितताओं को लेकर मनी-लॉन्ड्रिंग की जाँच शुरू कर दी है। ये जाँच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है।
ख़बर आई थी कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे अजित पवार को सिंचाई घोटाले में क्लीनचिट मिल गई है। यह घोटाला अजित के महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री रहते हुआ था। 27 नवंबर को कहा गया था कि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने बॉम्बे हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अजित पर लगे सारे आरोप वापस ले लिए हैं। हलफनामा दाखिल होने वाली ख़बर से एक दिन पहले ही भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। अजित पवार के उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर वापस एनसीपी में लौट जाने पर फडणवीस ने अपना पद छोड़ा था।
गौरतलब है कि साल 1999 से 2009 तक जल संसाधन मंत्री रहे अजित पवार के ख़िलाफ़ ये हलफनामा कई आरोपों से जुड़ा हुआ है। इसमें विदर्भ में शुरू हुई 32 सिंचाई परियोजनाओं का मामला भी शामिल है, जिनकी लागत 3 महीनों के भीतर 17,700 करोड़ रुपए तक बढ़ गई थी। साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी है।
आपको बता दे कॉन्ग्रेस और एनसीपी गठबंधन में अजीत पवार 1999-2009 उपमुख्यमंत्री रहे थे। इसी दौरान प्रमुख विभागों के बीच जल संसाधन विकास विभाग भी संभाला था। जिसमें विदर्भ सिंचाई विकास निगम के अध्यक्ष पद पर थे। बाद में इस पर कथित रूप से 35,000 करोड़ रुपये की अनियमितता बरतने का आरोप लगा। सूत्रों के अनुसार अब ED की नागपुर यूनिट ने भंडारा जिले में गोसीखुर्द परियोजना की जाँच शुरू कर दी है। इसकी जाँच एसीबी द्वारा दर्ज मामलों पर आधारित है।
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने इस पर कहा कि महाराष्ट्र सिंचाई घोटाले पर ED द्वारा आज (2 मई 2020) पंजीकृत 2 ECIR / शिकायतों का मैं स्वागत करता हूँ। मुझे यकीन है कि वे भ्रष्ट आचरण, मनी लॉन्ड्रिंग आदि पर गहराई से जाएँगे और वास्तविक लाभार्थियों को भी ढूँढेंगे।