मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का बुधवार (अगस्त 20, 2019) को भोपाल में ह्रदय गति रुकने के कारण निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन का समाचार सुनते ही अस्पताल के बाहर भाजपा के कार्यकर्ता जुटने लगे। बाबूलाल गौर पिछले 15 दिनों से नर्मदा अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। उनकी किडनी भी पूरी तरह काम नहीं कर रही थी। हाल ही में दिल्ली में भी उनका इलाज हुआ था। 1946 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे गौर 1974 में जनता पार्टी के समर्थन से पहली बार निर्दलीय विधायक बने थे।
दिग्विजय सिंह के दूसरे मुख्यमंत्रित्व काल में बाबूलाल गौर मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे थे और राज्य भाजपा के प्रमुख के रूप में वे अपनी पार्टी का अहम चेहरा बने रहे। बाद में उमा भारती जब मुख्यमंत्री बनीं तो गौर ने कई अहम मंत्रालय संभाला। वो मुख्यमंत्री भी काफ़ी कठिन परिस्थितियों में बने थे। 1994 स्वतंत्रता दिवस के दौरान कर्नाटक के हुबली में स्थित ईदगाह मैदान में उमा भारती ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। उनके ख़िलाफ़ अदालत में मामला दर्ज किया गया था। बाद में कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने यह मामला फिर से खोल दिया, जिस कारण उमा भारती ने इस्तीफा दिया और गौर मुख्यमंत्री बने।
बाबूलाल गौर जी का लम्बा राजनीतिक जीवन जनता-जनार्दन की सेवा में समर्पित था। जनसंघ के समय से ही उन्होंने पार्टी को मज़बूत और लोकप्रिय बनाने के लिए मेहनत की। मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश के विकास के लिए किए गए उनके कार्य हमेशा याद रखे जाएंगे।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 21, 2019
यह भी जानने लायक बात है कि बाबूलाल गौर का असली नाम बाबूराम यादव था और उनका जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था। एक बार स्कूल में एक शिक्षक ने कहा कि जो भी लड़का उनकी बात ध्यान से सुनेगा, उसके नाम में ‘गौर’ लगा दिया जाएगा। बाबूराम ने शिक्षक के सवालों को ध्यान से सुन कर उनका जवाब दे दिया और शिक्षक ने उनका नाम बाबूराम गौर रख दिया क्योंकि उन्होंने शिक्षक की बात ‘गौर’ से सुनी थी। इसके बाद धीरे-धीरे लोग
बाबूराम की जगह बाबूलाल कहने लगे। बाद में उन्होंने मध्य प्रदेश को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया। उनके निधन के बाद पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम नेताओं ने शोक जताया।