राजस्थान के कोटा में, इस क्षेत्र के मतदान से 48 घंटे पहले, शहर के कुठा बस्ती क्षेत्र में कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता कॉन्ग्रेस के ‘NYAY’ योजना के फ़र्ज़ी फॉर्म बाँटते देखे गए, जिससे शहर में हलचल मच गई। फॉर्म में निजी जानकारी माँगी गई थी और लोगों से 72,000 रुपए प्राप्त करने के लिए ख़ुद को पंजीकृत करने के लिए ई-मित्र पर फॉर्म जमा करने के लिए कहा गया था। भाजपा ने आधिकारिक तौर पर चुनाव आयोग को इस बारे में शिकायत दर्ज कराई है।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का चौथा चरण पास आ रहा है वैसे-वैसे कॉन्ग्रेसी खेमें में नए-नए प्रयोग करना लगातार जारी है। कॉन्ग्रेस, NYAY योजना के फ़र्ज़ी फॉर्म ग्रामीणों के बीच बाँट कर रही है जिसका एकमात्र उद्देश्य अपने पक्ष में वोट देने के लिए वोटरों को लुभाना है। इस फॉर्म में 72,000 रुपये वार्षिक प्राप्त करने के लिए मतदाताओं की व्यक्तिगत जानकारी माँगी गई है।
ट्विटर यूज़र @yash1m, जो अपने ट्विटर प्रोफाइल के अनुसार भाजपा के आईटी सेल का एक हिस्सा हैं, ने भी इस घटना का एक वीडियो शेयर किया।
Congress making fool of villagers by filling fake forms of Nyay Yojna. This desperation on Congress shows #ModiAaneWalaHai pic.twitter.com/igRMizNW01
— Chowkidar Yashwant Mandawara (@yash1m) April 27, 2019
इस वीडियो में देखा जा सकता है, कई ग्रामीणों, जिनमें विशेषतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की भोली-भाली महिलाएँ शामिल थे उन्हें NYAY योजना के फॉर्म दिए गए थे, इस पर कॉन्ग्रेस के चुनाव चिन्ह के साथ-साथ कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की भी फोटो छपी थी। जब ग्रामीण-जन स्थानीय सरकारी कार्यालय में अपने फॉर्म जमा करने के लिए पहुँचे, तो उन्हें पता चला कि उन्हें जो फॉर्म वितरित किए गए वो नकली थे और इनका वितरण केवल उन्हें धोखा देने के लिए किया गया था।
अपनी चुनावी नौटंकी के रूप में, राहुल गाँधी ने घोषणा की थी कि अगर कॉन्ग्रेस केंद्र में सरकार बनाती है, तो वे गरीबी दूर करने के लिए NYAY योजना को लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके तहत 5 करोड़ परिवार या 25 करोड़ लोगों को इस योजना से फ़ायदा मिलेगा। हालाँकि, यह योजना अभी तक स्पष्ट नहीं हैं कि आख़िर राहुल गाँधी इस योजना की धनराशि कहाँ से लाएँगे। कई वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों ने इस योजना के व्यवहारिक रूप पर भी सवाल उठाए थे।
जबकि कॉन्ग्रेस के गुरू सैम पित्रोदा ने इस योजना के लिए मध्यम वर्ग को अतिरिक्त बोझ यानी अधिक टैक्स देने के लिए तैयार रहने की बात तक कह डाली थी। इसके अलावा इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तो चुनाव आयोग को नोटिस भेजकर पूछा था कि क्या इस योजना को मतदाताओं के लिए चुनावी रिश्वत कहा जा सकता है।