ईवीएम एक ऐसा मुद्दा है, जिसे पिछले कुछ चुनावों के नतीजों के बाद से जमकर उछाला जा रहा है। चुनाव आयोग से विपक्ष लगातार इस बात की गुहार लगा रहा है कि इसके प्रयोग पर आगामी चुनाव में रोक लगा दी जाए, क्योंकि इसमें छेड़छाड़ की आशंका जताई जाती रही है। हालाँकि, चुनाव आयोग ने इस बात को एक सिरे से नकारते हुए कहा है कि राजनैतिक पार्टियाँ चुनाव में हारने पर ईवीएम के मुद्दे को फुटबॉल की तरह उछालती हैं, ताकि खुद की हार को छिपा सकें।
मायावती से लेकर अखिलेश और राहुल से लेकर केजरीवाल तक की शिकायत बीते चुनावों के नतीजे आने के बाद यही रही है कि उनकी पार्टी ईवीएम मशीन में गड़बडी के कारण चुनाव हार गई। इनका कहना है कि ईवीएम मशीन पर किसी भी बटन को दबाने से सिर्फ बीजेपी को ही वोट जाता है।
सोचने वाली बात यह है कि विपक्ष ईवीएम में गड़बड़ी सिर्फ उसी समय बताता है जब बीजेपी चुनाव जीतती है, फिर चाहे वो 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की बात हो या 2017 में यूपी चुनाव की। बहुमत के साथ बीजेपी सरकार जब भी चुनाव जीतती है तब ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा गर्माने लगता है, लेकिन जब चुनावों में कोई अन्य सरकार जीतती है तो ईवीएम पर बात तक नहीं की जाती।
ईवीएम में गड़बड़ी होने का रोना 2019 के आते-आते अब भी शांत नहीं हुआ है। चुनावों के आते ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने ईवीएम को हटाकर दुबारा से पेपर बैलट द्वारा चुनाव किए जाने पर बात की है। उनका मानना है कि इस तरह से चुनाव की पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष ढंग से की जा सकेगी।
फारुख अबदुल्ला ने ईलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को एक ‘चोर’ कहा है, उनका कहना है कि विश्व में कोई भी देश इस मशीन का इस्तेमाल नहीं करता है।
कोलकाता ब्रिगेड परेड ग्राउंड पर तृणमूल कॉन्ग्रेस द्वारा आयोजित “यूनाईटिड इंडिया रैली” में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री कहा कि ईवीएम एक ‘चोर’ मशीन है, हमें चुनाव आयोग और राष्ट्रपति से मिलकर चुनावों में इसके इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए।
अबदुल्लाह ने अपनी बातचीत में जम्मू कश्मीर की हालिया स्थिति पर बीजेपी पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि पिछले साढ़े चार साल में बीजेपी ने हमें सिर्फ दर्द दिया है। उनका कहना है कि बीजेपी सरकार को जाना ही चाहिए और सबको मिलकर एक ऐसी सरकार की कामना देश के लिए करनी चाहिए, जो एक नए हिन्दुस्तान का निर्माण कर सके। अब्दुल्लाह ने इस दौरान यह भी कहा कि बीजेपी को आने वाले चुनावों में हराने के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को एक हो जाना चाहिए। उनका मानना है कि बीजेपी देश के लोगों को धर्म के आधार पर बाँट रही है।
2019 के लोकसभा चुनावों के लिए अधिकतर विपक्षी पार्टियों ने इस बात का समर्थन किया कि आगामी चुनावों में पेपर बैलट द्वारा मतदान होना चाहिए क्योंकि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।
हालांँकि बता दें कि चुनाव आयोग के प्रमुख सुनील अरोड़ा ने इस बाता का दावा किया है कि राजनैतिक पार्टियाँ चुनाव हारने की वजह से ईवीएम के मुद्दे को फुटबॉल की तरह इधर से उधर उछालते रहते हैं। सुनिल अरोड़ा से पहले उनके पूर्वाधिकारी ओपी रावत का भी यही कहना था कि राजनैतिक पार्टियाँ ईवीएम पर सवाल तभी उठाती हैं, जब वो चुनाव हारती हैं।
ओपी रावत के कहे अनुसार आज के समय में जैसे इसका प्रचलन हो चुका है कि जब वो लोग जीतते हैं, तो ईवीएम को साभार नहीं देते लेकिन जब हारते हैं तो सबसे पहले ऊँगली ईवीएम पर ही उठाते हैं।
चुनाव आयोग ने पेपर बैलट वाली प्रक्रिया से किए जाने वाले मतदान को एक सिरे से यह कहकर नकार दिया है कि पेपर बैलट की प्रक्रिया मतदान के लिए वापस लाने का कोई मतलब नहीं है।
बीजेपी का इस पूरे मामले पर कहना है कि सिर्फ विपक्षी दल अपनी भीतर की असुरक्षा को छुपाने के लिए ईवीएम मशीनों पर आरोप लगा रहे हैं।