जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बॉंटने के केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ छह लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शीर्ष अदालत में याचिका में दाखिल करने वाले रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों और नौकरशाहों में पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक का नाम भी शामिल है।
काक का जिक्र वामपंथी एक्टिविस्ट कविता कृष्णन के सोशल मीडिया पर वायरल हुए लीक ईमेल में भी था। स्क्रीनशॉट्स के रूप में लीक मेल में जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मिला विशेष दर्जा हटने के विरोध की रणनीति का ब्यौरा मौजूद है। स्क्रीनशॉट में कविता कृष्णन कपिल काक, जस्टिस शाह के बारे में बात करतीं, उनका नाम लेतीं नज़र आती हैं। हालॉंकि उनका संदर्भ किस बात से था यह मेल में साफ नहीं था। लेकिन, मेल लीक होने के अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद से दोनों मामले जोड़कर देखे जा रहे हैं।
Six petitioners, including former Air Vice Marshal Kapil Kak and Retired Major General Ashok Mehta, have moved the Supreme Court challenging the J&K Reorganisation Bill & the abrogation of Article 370. https://t.co/Sw7HI7YjZw
— ANI (@ANI) August 17, 2019
काक सहित छह लोगों ने आर्टिकल 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका पर रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक मेहता, मनमोहन सरकार में कश्मीर पर वार्ताकार रहीं राधा कुमार, जम्मू और कश्मीर कैडर से संबंधित पूर्व आईएएस अधिकारी हिंडल हैदर तैयबजी, पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अभिताभ पांडे के भी हस्ताक्षर हैं।
Ex Air Vice-Marshal Kapil Kak (a Kashmiri Pandit) explains Kashmir’s accession to India “Kashmiris have not let down India, India has let down Kashmir….” Is he also anti national Modi, Shah, Arnab & Co? https://t.co/3cBfzQ8aIT
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) August 15, 2019
काक रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान के उप निदेशक भी रह चुके हैं। केरल कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी गोपाल पिल्लई जो 2011 में केंद्रीय गृह सचिव के रूप में रिटायर हुए थे भी याचिकाकर्ता हैं।