बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री रह चुके हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) के चीफ जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया है। उन्होंने भगवान राम को मानने से इनकार करते हुए उन्हें केवल तुलसीदास रचित रामचरितमानस और महर्षि वाल्मीकि की रामायण का एक पात्र मात्र करार दिया है। मांझी ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों से पूजा-पाठ नहीं करने और मांसाहार करने वाले ब्राह्मणों से दूर रहने की अपील की है।
बिहार सरकार में एनडीए के सहयोगी मांझी सुर्खियों में बने रहने के लिए अक्सर इस तरह के बयान देते रहते हैं। वो ब्राह्मणों पर भी विवादित बयान दे चुके हैं। गुरुवार (14 अप्रैल 2022) को संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती थी और जीतन राम मांझी को बिहार के जमुई के एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया। अपना नंबर आते ही मांझी स्टेज से हिंदू सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ बयानबाजी करने लगे। उन्होंने भगवान राम को काल्पनिक पात्र करार देते हुए कहा, “मैं राम को भगवान नहीं मानता।”
उन्होंने कहा, “रामायण में राम को लेकर अच्छी बातें लिखी गई हैं, इसलिए मैं उसे मानता हूँ, लेकिन राम को नहीं मानता। राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे, लेकिन हमारे घरों में कोई खाना नहीं खाता है।” उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों से पूजा-पाठ छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि पूजा करने से कोई बड़ा थोड़े हो जाता है।
ब्राह्मणों पर भी दिया विवादित बयान
मांझी ने ब्राह्मणों से पूजा-पाठ नहीं कराने को लेकर कहा कि मांस खाने वाले, शराब पीने वाले और झूठ बोलने वाले ब्राह्मणों से दूर ही रहना चाहिए। ऐसे ब्राह्मणों से पूजा कराना पुण्य नहीं, पाप है। उन्होंने कहा कि भारत के असली लोग केवल अति पिछड़े, दलित और आदिवासी हैं। ऊँची जाति वाले लोग भारत के मूल निवासी नहीं, बल्कि बाहरी हैं।
पहले भी दे चुके हैं बेतुके बयान
हालाँकि, जीतन राम मांझी के बयानों पर आश्चर्य व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है। वह पहले भी इस तरह की विवादित टिप्पणियाँ करते रहे हैं। पिछले साल दिसंबर 2021 में मांझी ने एक भोज आयोजित किया था और कहा था कि इस भोज में वही ब्राह्मण शामिल होगा, जिसने कोई पाप नहीं किया हो।