कॉन्ग्रेस पार्टी से शुक्रवार (26 अगस्त 2022) को इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद ने ऐलान किया है कि वो जम्मू-कश्मीर में नई पार्टी का गठन करेंगे। उन्होंने अपना यह बयान भाजपा से जुड़ने के कयासों पर दिया। इस बीच जम्मू-कश्मीर में 5 अन्य कॉन्ग्रेस नेताओं ने भी गुलाम नबी आजाद के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा दिया।
गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कॉन्ग्रेस के हर पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा से जुड़ने के कयासों का खंडन करते हुए इंडिया टुडे से बात की। उन्होंने कहा, “मैं जम्मू-कश्मीर जाऊँगा और राज्य में अपनी खुद की पार्टी बनाऊँगा। उसकी राष्ट्रीय संभावनाओं पर बाद में विचार करेंगे।” मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर में नई पार्टी बनाने की बात आजाद ने ऐसे समय में कही है जब प्रदेश में कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं।
5 अन्य नेताओं ने छोड़ी कॉन्ग्रेस
बता दें कि गुलाम नबी आजाद के पार्टी से हटने के बाद जिन पाँच नेताओं व पूर्व विधायकों ने उनके समर्थन में अपना इस्तीफा दिया है। उनके नाम जीएम सरूरी, हाजी अब्दुल राशिद, मोहम्मद अमीन भट्ट, गुलजार अहमद वानी और चौधरी मोहम्मद अकरम हैं। इनके अलावा पूर्व मंत्री आर एस चिब, पूर्व मंत्री जुगल किशोर शर्मा और महासचिव अशवनी हांडा ने भी त्याग पत्र दे दिया है।
We the 5 ex-MLAs (GM Saroori, Haji Abdul Rashid, Mohd Amin Bhat, Gulzar Ahmad Wani and Choudhary Mohd Akram) are resigning from the Congress party in support of Ghulam Nabi Azad. Now, only JKPC president will be left alone: J&K Congress leader GM Saroori pic.twitter.com/SBruwhslHa
— ANI (@ANI) August 26, 2022
गुलाम नबी आजाद के पत्र में राहुल गाँधी को बनाया गया निशाना
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने कॉन्ग्रेस को छोड़ने के साथ ही सोनिया गाँधी को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने राहुल गाँधी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने बताया कि कैसे राहुल गाँधी के राजनीति में प्रवेश के बाद हालात बदले। अनुभवी नेताओं को किनारे कर दिया गया और चाटुकारों की अनुभवहीनों मंडली पार्टी को चलाने लगी।
बचकाना हरकत, रिमोट कंट्रोल मॉडल, चापलूसों की मंडली… राहुल गॉंधी के 2013-2022 तक की ‘राजनीति’ का गुलाम नबी आजाद ने 5 पन्नों में किया पोस्टमार्टम#GhulamNabiAzad #RahulGandhi #Congress https://t.co/wdaC8PzwkX
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) August 26, 2022
पूर्व कॉन्ग्रेस नेता ने राहुल गाँधी द्वारा सरकारी अध्यादेश को फाड़ने की घटना को बेहद बचकाना कहा। उन्होंने कहा कि ये अध्यादेश प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने पारित किया था। इस तरह उसे फाड़ देने से भारत सरकार की गरिमा विकृत हुई और 2014 के चुनावों में इस घटना ने यूपीए की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।