Sunday, December 22, 2024
HomeराजनीतिSDM का अपहरण कर भट्ठे में झोंकने की कोशिश, दंगों के दौरान हिंदुओं पर...

SDM का अपहरण कर भट्ठे में झोंकने की कोशिश, दंगों के दौरान हिंदुओं पर अत्याचार: कारसेवकों का कातिल था मुन्नन खाँ, जिसे TheWire ने बताया मसीहा

पूर्व सांसद और मुलायम सिंह यादव का करीबी मुन्नन खाँ ना सिर्फ अपने गुर्गों से अयोध्या के कारसेवकों पर गोलियाँ चलवाकर उनका नरसंहार करवाया था, बल्कि उसने एक SDM का भी अपहरण करवा लिया था। तब SDM को ईंट भट्ठे में झोंकने की तैयारी कर ली गई थी। उसने रामजन्मभूमि ट्रस्ट की जमीन पर भी कब्जा कर लिया था।

अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को भगवान राम का विग्रह उनके भव्य मंदिर में विराजमान हो चुका है। दुनिया भर के हिन्दू इस मौके पर उन तमाम रामभक्तों को याद कर रहे हैं, जिनके द्वारा 500 साल तक किए गए संघर्ष के चलते यह दिन आया है। इस मौके पर मुगलों से लेकर मुलायम सिंह यादव तक के काल तक को याद किया गया, जिनमें रामभक्तों पर नरसंहार सहित घनघोर अत्याचार हुए।

इन अत्याचारों की चर्चा में तत्कालीन सांसद एवं बाहुबली मुन्नन खाँ का नाम सबसे ज्यादा लिया जा रहा है। साल 2009 में मर चुके पूर्व सांसद मुन्नन खाँ पर पुलिस की वर्दी पहनकर अपने गुर्गों सहित सन 1990 में कारसेवकों के कत्लेआम का आरोप है। ऑपइंडिया ने गोंडा जाकर मुन्नन खाँ के आपराधिक कारनामों की जानकारी चश्मदीदों से ली।

रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष का मंदिर भी कब्जाना चाहता था मुन्नन खाँ

22 सितंबर 2022 को ऑपइंडिया ने नेपाल सीमा की ग्राउंड कवरेज के दौरान एक खबर प्रकाशित की थी। इस खबर का शीर्षक ‘रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष का मंदिर लैंड जिहाद का शिकार: बॉर्डर UP-नेपाल का… लेकिन जमीन कब्जा के लिए फिलिस्तीनी मॉडल’ था। तब ऑपइंडिया ने बताया था कि बलरामपुर वीर विनय चौराहे पर मौजूद हनुमान गढ़ी मंदिर श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महंत नृत्यगोपाल दास का है।

इस मंदिर के बड़े हिस्से पर कुछ मुस्लिमों ने कब्ज़ा कर रखा है, जिसको वर्तमान महंत महेंद्र दास अथक कोशिश करके थोड़ा-थोड़ा करके वर्षों से छुड़वा रहे हैं। बलरामपुर जिले के सरकारी वकील पवन शुक्ला ने ऑपइंडिया को बताया कि मंदिर पर किए गए अवैध कब्ज़े का सूत्रधार भी मुन्नन खाँ ही था। उसी के आदमियों ने मंदिर से सटाकर 3 दशक पहले अवैध तौर पर अजमेरी होटल खोला था।

तब मंदिर प्रशासन की आपत्ति के बावजूद अजमेरी होटल में मांस-मछली बेचा जाता था। धीरे-धीरे मुन्नन खाँ ने तत्कालीन सपा सरकार में राजनैतिक संरक्षण के जरिए मंदिर की काफी जमीन कब्जा ली। आज भी मंदिर प्रबंधन मुन्नन खाँ के समय में कब्जाई गई जमीनों को पूरी तरह से मुक्त नहीं करवा पाया है। इसके अलावा, बलरामपुर और गोंडा में कई अन्य लोगों की जमीनें हड़पने का आरोप मुन्नन खाँ पर है।

SDM का अपहरण कर के झोंकना चाहता था भट्ठे में

ऑपइंडिया से बात करते हुए सन 1990 में गोली लगने के बावजूद जीवित बच गए कारसेवक महंत रामस्वरूप दास ने मुन्नन खाँ को लेकर कई खुलासे किए। महंत रामस्वरूप दास ने बताया कि सन 1990 के आसपास मुन्नन खाँ बलरामपुर में एक SDM का अपहरण भी कर चुका था। यह अपहरण तब हुआ था, जब वो बलरामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था।

अपराध की दुनिया से नजदीकी संबंध रखने वाला मुन्नन खाँ का मूल काम ईंट भट्ठे चलवाना था। उसके गुर्गे जब SDM का अपहरण करके लाए तो उन्हें भट्ठे में झोंकने की कोशिश की थी। हालाँकि, समय पर प्रशासन सक्रिय हो गया और SDM की जान बच पाई थी। महंत का यह भी दावा है कि मुन्नन खाँ की मुलायम सिंह यादव से करीबी के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी।

दंगों में रोक दी थी हिन्दुओं की रसद

सन 1985 के आसपास मुन्नन खाँ गोंडा के कटरा विधानसभा से विधायक था। गोंडा के विहिप नेता राकेश वर्मा ने ऑपइंडिया को बताया कि तब सन 1988 के आसपास गोंडा के करनैलगंज में हिन्दुओं की शोभायात्रा के दौरान कट्टरपंथी मुस्लिमों ने दंगे शुरू कर दिए थे। तब माँ दुर्गा की प्रतिमाओं पर पत्थरबाजी हुई थी, जिसमें मुन्नन खाँ की भी संलिप्तता बताई जा रही है।

इन दंगों में पुलिस ने हिन्दुओं का ही दमन किया था। तब लम्बे समय तक कर्फ्यू लगा रहा था और करनैलगंज के हिन्दुओं को सब्ज़ी सहित खाने के अन्य सामानों के लाले पड़ गए थे। ऐसे में करनैलगंज के आसपास के कस्बों में रहने वाले हिन्दुओं ने दंगा प्रभावित क्षेत्रों में खाने-पीने का सामान पहुँचाने का प्रयास किया था। राकेश का आरोप है कि मुन्नन खाँ ने प्रशासन पर दबाव डालकर खाने के सामान को रास्ते में ही रुकवा दिया था।

उस दौरान सारी राहत सामग्री तालाबों में फेंकवा दी गई थी। आरोप तो यह भी है कि मुन्नन खाँ ने इन दंगों में हिन्दुओं पर अपने गुर्गों से हमला करवाया था। बकौल राकेश वर्मा, कर्फ्यू के बावजूद मुस्लिमों की दुकानें खुली रहती थीं। वो आराम से सारी रात बाजारों में घूमते रहते थे। राकेश ने इस सभी एकतरफा प्रशासनिक पक्षपात के लिए तत्कालीन सरकार की तुष्टिकरण की नीति को जिम्मेदार बताया।

भाईचारे का रूप दिखाकर पीठ में घोंपा छुरा

गुड्डू नाम से पहचाने जाने वाले विश्व हिंदू परिषद के नेता राकेश वर्मा ने हमें आगे बताया कि मुन्नन खाँ मूल रूप से ईंट भट्ठों का कारोबार करता था। वो पहली बार साल 1985 में गोंडा के कटरा विधानसभा से जनता दल के टिकट पर विधायक बना था। कटरा हिन्दू बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र है। हिन्दुओं के आगे मुन्नन खाँ भाईचारे का मसीहा बनकर आया था।

मुन्नन खाँ ने हिंदुओं से तमाम टूटे-फूटे मंदिरों के जीर्णोद्धार का वादा किया था। चुनाव से पहले बाकायदा मंदिरों के आगे अपने भट्ठे से मँगवाकर ईंटें गिरवाई थीं। जब मुन्नन खाँ चुनाव जीत गया तब उसने अपना व्यवहार एकदम से बदल लिया और खुलेआम हिन्दू विरोधी हरकतें करने लगा। यहाँ तक कि उसने मंदिरों के आगे से वो सभी ईंटें वापस उठवा ली थीं, जो उसने चुनाव से पहले गिरवाई थीं।

खुद को कहलवाता था शेर-ए-मुन्नन

राकेश वर्मा ने बताया कि साल 1989 में गोंडा की खोरहसा पुलिस चौकी पर एक मुस्लिम व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुलवाया गया था। घर लौटने के बाद उस व्यक्ति की किन्हीं कारणों से मौत हो गई थी। तब मुन्नन खाँ मृत मुस्लिम का शव लेकर बलरामपुर चला गया था। वहाँ उसने मृतक की लाश दिखाकर माहौल को साम्प्रदायिक बनाया और एकतरफा मुस्लिमों का वोट हासिल किया था।

विहिप नेता राकेश वर्मा ने हमें आगे बताया कि आखिरकार मुन्नन खाँ की उन चुनावों में जीत हुई। तब मुन्नन खाँ निर्दलीय सांसद चुना गया था। राकेश वर्मा ने बताया कि उन्हें अच्छे से याद है कि विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) की सरकार में मुन्नन खाँ अपनी गाडी पर लालबत्ती लगाकर चलता था। उसके साथ काफिले में चल रहे अन्य वाहन हूटर बजाया करते थे।

राकेश वर्मा का यह भी दावा है कि वीपी सिंह सरकार में मुन्नन खाँ को लोक शिकायत कमेटी का सदस्य बनाया था। मुन्नन खाँ का तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से सीधा संबंध था। इसी के डर से जिले का कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मुन्नन के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था।

जंगली जानवर से कहीं अधिक था खतरनाक

राकेश वर्मा सन 1990 के दशक को याद करते हैं। तब मुन्नन खाँ के काफिले में सैकड़ों लोग हुआ करते थे, जो सड़कों पर जुलूस निकाला करते थे। इन जुलूस में ‘शेर ए मुन्नन जिंदाबाद’ के नारे लगा करते थे। मुन्नन के जुलूस को रोकने की हिम्मत कोई नहीं करता था। राकेश वर्मा मुन्नन खाँ को गोंडा का अतीक अहमद मानते हैं। बकौल राकेश, आज भी मुन्नन खाँ के फैन मौजूद हैं। इसी वजह से लोग उसके खिलाफ बोलने से डरते हैं।

उत्तर प्रदेश पुलिस में इंस्पेक्टर पद पर तैनात और गोंडा जिले के मूल निवासी एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर मुन्नन खाँ के कई गुनाह गिनवाए। उन्होंने बताया, “अपने जमाने में मुन्नन खाँ किसी जंगली जानवर से अधिक खतरनाक था।” बलरामपुर जिले के सरकारी वकील पवन शुक्ला के मुताबिक, मुन्नन खाँ की ही सरपरस्ती में रिज़वान जहीर जैसे वर्तमान अपराधी पले-बढ़े थे।

बुढ़ापे में हुआ पागल या पालगपन का नाटक ?

ऑपइंडिया ने गोंडा जिले के स्थानीय निवासियों से मुन्नन खाँ के बारे में और अधिक जानकारी जुटाई। लोगों का कहना है कि जीवन के अंतिम समय में मुन्नन खाँ पागल हो गया था और सकड़ों पर आवारा घूमा करता था। कुछ लोग इसे उसके घोर आपराधिक जीवन के बाद मिला ईश्वरीय दंड बताते हैं। वहीं कुछ अन्य लोगों ने बताया कि मुन्नन खाँ अंतिम सांस तक एक शातिर अपराधी की तरह सोचता था।

पागलपन वाली हरकत भी गोंडा के तमाम लोग मुन्नन पर दर्ज तमाम मुकदमों से बचने का हथकंडा मानते हैं। मुन्नन के डर से आज भी कैमरे पर बोलने से डरते कई लोगों ने बताया कि मुन्नन खाँ जानता था कि उसे कई मुकदमों में कड़ी सजा और यहाँ तक कि फाँसी या उम्रकैद भी मिल सकती है। इसलिए उसने जीवन के अंतिम समय में पागल बनकर कानून को गुमराह करने की साजिश रची।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बाल उखाड़े, चाकू घोंपा, कपड़े फाड़ सड़क पर घुमाया: बंगाल में मुस्लिम भीड़ ने TMC की महिला कार्यकर्ता को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, पीड़िता ने...

बंगाल में टीएमसी महिला वर्कर की हथियारबंद मुस्लिम भीड़ ने घर में घुस कर पिटाई की। इस दौरान उनकी दुकान लूटी गई और मकान में भी तोड़फोड़ हुई।

जिस कॉपर प्लांट को बंद करवाने के लिए विदेशों से आया पैसा, अब उसे शुरू करने के लिए तमिलनाडु में लोग कर रहे प्रदर्शन:...

स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद होने से 1,500 प्रत्यक्ष और 40,000 अप्रत्यक्ष नौकरियाँ चली गईं। इससे न केवल स्थानीय लोगों पर असर पड़ा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा प्रभाव हुआ।
- विज्ञापन -