जम्मू-कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के बाद फिर सियासत गरमा गई है। उस महत्वपूर्ण बैठक के बाद अब पहली बार गुपकार गुट की भी बैठक हुई। रविवार (4 जुलाई 2021) को नेशनल कॉन्ग्रेस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के आवास पर गुपकार की मीटिंग की संपन्न हुई। मीटिंग के बाद गुपकार गठबंधन ने सोमवार (5 जुलाई 2021) को कहा कि पिछले महीने पीएम नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के नतीजे से निराशा हुई है। इससे जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक बंदियों की रिहाई जैसे विश्वास बहाली के उपायों की कमी दिखाई दी। इसके साथ, यह भी कहा गया कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद ही विधानसभा चुनाव हों।
Jammu & Kashmir: Leaders of People’s Alliance for Gupkar Declaration (PAGD) hold a meeting at the residence of its Chairman Farooq Abdullah in Srinagar pic.twitter.com/hvMwyinS28
— ANI (@ANI) July 4, 2021
इस बैठक में गठबंधन की उपाध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, एमवाई तारिगामी, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी, जावेद मुस्तफा मीर और मुजफ्फर अहमद शाह शामिल थे। सभी नेता 24 जून को दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हाल ही में हुई बैठक पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए थे।
गठबंधन ने सभी संवैधानिक, कानूनी और राजनीतिक साधनों का उपयोग करते हुए 5 अगस्त 2019 को हुए फैसले को उलटने के लिए एक साथ लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें कहा गया इन परिवर्तनों को पूर्ववत करने के लिए इनका संघर्ष जारी रहेगा।
गठबंधन के सभी सदस्यों ने राजनीतिक व अन्य कैदियों को जेलों से रिहा करने के लिए ठोस कदम उठाने जैसे किसी भी महत्वपूर्ण विश्वास निर्माण उपायों के अभाव में दिल्ली की बैठक के परिणाम पर निराशा व्यक्त की।
बैठक में कहा गया कि जहाँ तक राज्य का दर्जा बहाल करने का सवाल है, यह संसद के पटल पर भाजपा की प्रतिबद्धता रही है और उसे अपने वचन का सम्मान करना चाहिए। इसलिए कोई भी विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के बाद ही होना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए गठबंधन ने इस मुद्दे पर एक सामान्य स्थिति लाने के लिए जम्मू-कश्मीर में अन्य राजनीतिक दलों तक पहुँचने का फैसला किया है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 24 जून 2021 को जम्मू-कश्मीर पर एक बैठक हुई थी। इसमें आठ दलों के 14 नेताओं ने शिरकत की थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी बैठक में मौजूद थे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में लोकतंत्र की मजबूती और सर्वांगीण विकास पर जोर दिया। बैठक के दौरान राज्य का दर्जा देने और विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई।
करीब तीन घंटे चली बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आपस में चर्चा करना ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता है। उन्होंने कहा कि वे ‘दिल्ली की दूरी’ और ‘दिल की दूरी’ को मिटाना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव कराना उनकी प्राथमिकता में है।