Sunday, April 28, 2024
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जम्मू-कश्मीर: PM मोदी का ग्रासरूट डेमोक्रेसी पर जोर, जानिए राज्य का दर्जा और विधानसभा चुनाव कब

5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेट्स खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज (24 जून 2021) को जम्मू-कश्मीर पर एक बैठक हुई। इसमें आठ दलों के 14 नेताओं ने शिरकत की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी बैठक में मौजूद थे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में लोकतंत्र की मजबूती और सर्वांगीण विकास पर जोर दिया। बैठक के दौरान राज्य का दर्जा देने और विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई।

करीब तीन घंटे चली बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आपसी चर्चा करना ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता है। उन्होंने कहा कि वे ‘दिल्ली की दूरी’ और ‘दिल की दूरी’ को मिटाना चाहते हैं।जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव कराना उनकी प्राथमिकता में है।

उन्होंने कहा, “मैंने सभी नेताओं को कहा है कि यह जम्मू और कश्मीर के लोग ही हैं जिन्हें वहाँ का राजनैतिक नेतृत्व प्रदान किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनकी महत्वाकांक्षाएँ पूरी हों।” पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली सबसे पहली प्राथमिकता है। यह सुनिश्चित किया जाए कि परिसीमन की प्रक्रिया तेजी से पूर्ण हो जिससे चुनाव संपन्न हो सकें और जम्मू-कश्मीर को एक निर्वाचित सरकार मिल सके।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम सभी जम्मू और कश्मीर के बेहतर भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं और बैठक में सभी ने लोकतंत्र और संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्होंने यह भी कहा कि जैसा कि संसद में यह वादा किया गया था कि जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया जाएगा, यह तभी संभव है जब केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन और शांतिपूर्ण चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो सके।

कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बैठक समाप्त होने के बाद कहा कि लगभग 80% पार्टियों ने अनुच्छेद 370 के बारे में चर्चा की लेकिन यह मुद्दा न्यायालय में है। उन्होंने कहा कि उनकी माँग यह है कि जम्मू-कश्मीर में चुनावों के माध्यम से लोकतंत्र की बहाली हो और जम्मू -कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास हो और सभी राजनैतिक कैदी रिहा किए जाएँ।

हालाँकि अपने स्वभाव के अनुसार पीडीपी की महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया। उन्होंने बैठक के बाद मीडिया से चर्च करते हुए अनुच्छेद 370 पर अपनी बात रखी। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जो हुआ वो अस्वीकार्य है और वो कोर्ट में इसकी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा पीएम मोदी को बता दिया गया है कि लड़ाई जारी रहेगी। कुछ ऐसे निर्णय हैं जो जम्मू -कश्मीर के हित में नहीं हैं और उन्हें पलटने की जरूरत है।

वहीं महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 5 अगस्त 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर के लोग बहुत मुश्किल में हैं। जिस असंवैधानिक और गैर-कानूनी तरीके से अनुच्छेद 370 को हटाया गया है, जम्मू-कश्मीर के लोग कभी भी उसका समर्थन नहीं करेंगे। मुफ्ती ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की शांति के लिए उन्हें (पीएम मोदी) पाकिस्तान से बात करनी चाहिए और पाकिस्तान के साथ व्यापार शुरू करने का भी प्रयास करना चाहिए।

अन्य नेताओं ने भी बैठक में अपने-अपने विचार रखे। सभी ने जम्मू और कश्मीर में शांति और लोकतंत्र की बहाली सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की। गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेट्स खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था। इसके बाद विभिन्न दलों के साथ केंद्र सरकार की इस तरह की यह पहली बैठक थी जिसमें जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री ने शिरकत की। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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