बीते दिनों चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की लक्षद्वीप यात्रा का जिक्र करके मामले को दोबारा से जीवित कर दिया। आइएनएस विराट पर पूरे परिवार सहित छुट्टी मनाने पहुँचे राजीव गाँधी की यात्रा ‘वृत्तांत’ पर उस समय इंडियन एक्सप्रेस और इंडियन टुडे ने स्टोरी कवर की थी। अब चूँकि इन दिनों इस मामले ने तूल पकड़ा हुआ है तो इंडियन एक्सप्रेस ने उस पूरे समय को दोबारा से याद किया और बताया कि कैसे उस समय स्टोरी छपने के बाद राजीव गाँधी ने इंडियन एक्सप्रेस से बदला लेने की ठान ली थी।
निरूपमा सुब्रह्मण्यन द्वारा इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए लेख में राजीव गाँधी की उन छुट्टियों पर कवर हुई स्टोरी पर प्रकाश डाला गया। इस लेख की हेडलाइन ही स्पष्ट करती है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस किस्से पर बात करके हमारे समक्ष सवाल छोड़े हैं ताकि हम पूछें कि वास्तव में अपने पद की शक्तियों का दुरुपयोग किसने किया है?
By raking up INS Viraat, PM Modi has provided a reminder that we must ask questions of those who wield power https://t.co/2P5U7H5sVO pic.twitter.com/h61o5tk1v9
— The Editor News (@TheEditorNews) May 13, 2019
लेख में सुब्रह्मण्यन ने न केवल राजीव गाँधी की उन छुट्टियों को याद किया, बल्कि राजीव गाँधी की उन जरूरतों पर सवाल भी दागे जिनके कारण उन्होंने (राजीव) देश को जरूरी न समझकर, साल भर के लिए छुट्टी पर जाना आवश्यक समझा था। खास बात ये है कि इस रिपोर्ट में निरूपमा ने यह भी बताया कि किस तरह INS विराट पर छुट्टियाँ बिताने के बाद राजीव गाँधी और उनकी सरकार ने इंडियन एक्सप्रेस को सबक सिखाने की सोची थी।
इसका कारण उन दिनों इंडियन एक्सप्रेस में छपा एक कार्टून था। इस कार्टून में राजीव गाँधी नारियल के पेड़ के नीचे बैठकर नारियल पी रहे थे और कह रहे थे,“Ah! To get away from it all!” और देश उनसे पूछ रहा था “कब?”
इस कार्टून के प्रकाशित होने के बाद राजीव गाँधी और उनकी सरकार ने कई महीनों बाद इंडियन एक्सप्रेस पर निशाना साधते हुए एंटी डिफेमेशन बिल 1988 पेश करने की कोशिश की थी जिसका मीडिया समूहों ने जमकर
विरोध किया था। लेकिन, जुलाई 1988 में राजीव गाँधी ने अपमानजनक लेखन पर अंकुश लगाने के लिए एक कड़ा बिल पास कर ही दिया। हालाँकि बाद में मीडिया की प्रतिक्रिया ने उन्हें बिल को रद्द करने के लिए मजबूर कर दिया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कार्टून के छपने के बाद दफ्तर के परिसर में कई बार रेड पड़ी। इसकी फर्जी जाँच करने के लिए कि संस्थान ने कस्टम ड्यूटी से बचने की कोशिश की है। गौरतलब है कि इस लेख में
सुब्रह्मण्यन ने अपने अनुभव साझा करते हुए यह भी बताया है कि उस दौरान इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली कार्यालय में रेड मारने के लिए दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के इतने सिपाही तैनात किए गए थे जितने टैक्स रेड में कहीं भी नहीं भेजे जाते होंगे।