हिमाचल प्रदेश में एक सीट पर हुए राज्यसभा चुनावों में विपक्षी दल भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष मतदान करने वाले कॉन्ग्रेस के 6 विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने गुरुवार (29 फरवरी 2024) को इस मामले में अपना फैसला सुनाया।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया का कहना है, “कॉन्ग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ने वाले छह विधायकों ने अपने खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। मैं घोषणा करता हूँ कि छह लोग तत्काल प्रभाव से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे।”
#WATCH | Himachal Pradesh Assembly Speaker Kuldeep Singh Pathania says, "Six MLAs, who contested on Congress symbol, attracted provisions of anti-defection law against themselves…I declare that the six people cease to be members of the Himachal Pradesh Assembly with immediate… pic.twitter.com/QQt92aM10v
— ANI (@ANI) February 29, 2024
जिन विधायकों की सदस्यता रद्द की गई है, उनमें धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा, गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा, कुटलैहड़ के विधायक देवेंद्र भुट्टो, बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल, सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा और लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर शामिल हैं। इन विधायकों के पास अब हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है।
हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने ट्रिब्यूनल के चेयरमैन के तौर पर पिटीशन की सुनवाई की और 30 पन्नों का फैसला दिया। बता दें कि संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने छह बागी विधायकों के खिलाफ याचिका दायर की थी। व्हिप के मुताबिक बजट पास करने के वक्त बागी विधायक सदन में मौजूद नहीं रहे।
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के 48 घंटे के भीतर ही विधानसभा अध्यक्ष ने 6 बागी विधायकों के खिलाफ एक्शन लिया है। स्पीकर द्वारा इन विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने के बाद सदन की कुल संख्या 68 से घटकर 62 हो गई है। इसके साथ ही बहुमत का आँकड़ा 32 पर आ गया है।
वहीं, 6 विधायकों को निलंबित करने के बाद कॉन्ग्रेस के पास अब कुल 34 विधायक बचे हैं। प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार को दो निर्दलीय और एक अन्य विधायक। समर्थन दे रहे हैं। इस तरह सरकार को कुल 37 विधायकों का समर्थन है। वहीं, विधानसभा में भाजपा के कुल 25 विधायक हैं।
इधर, कॉन्ग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भले इस्तीफा वापस ले लिया हो, लेकिन माना जा रहा है कि उनकी नाराजगी कम नहीं हुई है। सरकार को बचाने के लिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार की सुबह सभी विधायकों को ब्रेकफास्ट के लिए सीएम हाउस बुलाया। हालाँकि, इससे विक्रमादित्य समेत चार विधायकों ने किनारा कर लिया है।
बताया जाता है कि कॉन्ग्रेस के चार विधायक- विक्रमादित्य सिंह, मोहन लाल, नंद लाल और धनीराम ने सीएम हाउस में आयोजित नाश्ते में नहीं पहुँचे। वहीं, कॉन्ग्रेस सरकार में कई ऐसे विधायक हैं, जिनकी निष्ठा वीरभद्र सिंह राजपरिवार की ओर है। भले ही इन लोगों ने क्रॉस वोटिंग ना की हो। इस तरह सुक्खू सरकार को लेकर असमंजस की स्थिति अभी भी बरकरार है।