केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गाँधी परिवार के गैर-सरकारी संगठन राजीव गाँधी फाउंडेशन (RGF) का FCRA (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम) लाइसेंस रद्द कर दिया है। आरोप है कि ये ट्रस्ट विदेशी फंडिंग कानून का उल्लंघन करता पाया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2020 के जुलाई में गृह मंत्रालय द्वारा गठित मंत्रालय की समिति की जाँच की रिपोर्ट पर यह निर्णय लिया गया है। समिति की जाँच मुख्य रूप से इस पर थी कि क्या संगठनों ने आयकर दाखिल करते वक्त दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की या विदेशों से प्राप्त धन का शोधन किया। जाँच पूरी होने के बाद गृह मंत्रालय ने अपना निर्णय लिया।
मालूम हो कि राजीव गाँधी फाउंडेशन के साथ राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट का लाइसेंस भी कैंसिल कर दिया गया है।
BREAKING: Home ministry cancels registration of Rajiv Gandhi Foundation and Rajiv Gandhi Charitable Trust under the Foreign Contribution (Regulation) Act @HMOIndia
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) October 23, 2022
बताया जा रहा है कि राजीव गाँधी फाउंडेशन का लाइसेंस रद्द करने की सूचना उनके पदाधिकारियों को भेज दी गई है। संगठन ने अभी इस मामले पर अपनी कोई टिप्पणी नहीं दी है।
चीन से मिला संगठन को फंड, गाँधी परिवार ने खुद डील की
साल 2020 में इसी संगठन को लेकर सामने आया था कि कैसे आरजीएफ को चीनी सरकार से 2006 और बाकी सालों में पैसे मिले। 2008 में कॉन्ग्रेस पार्टी और चीन की कन्युनिस्ट पार्टी के बीच मेमोरेंडम भी साइन हुआ ता कि वो हर विकास मुद्दे पर एक दूसरे की राय लेंगे। खास बात ये थी कि इसे राहुल गाँधी ने साइन किया था जो 2020 में चीन विवाद के बाद मोदी सरकार पर सवाल उठाते मिले थे।
Rajiv Gandhi Charitable Trust is chaired by Sonia Gandhi with Rahul Gandhi, Ashok Ganguly, Bansi Mehta and Deep Joshi as its trustees
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) October 23, 2022
बता दें कि इस संगठन की अध्यक्ष सोनिया गाँधी हैं। वहीं ट्रस्टियों में अशोक गांगुली, बंसी महता, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम, और राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी का नाम शामिल है। राजीव गाँधी फाउंडेशन की शुरुआत साल 1991 में हुई थी। कथिततौर पर यह संगठन साल 1991 से 2009 तक स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिलाओं और बच्चों, विकलांग सहायता आदि सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने का दावा करता था।
हालाँकि कुछ समय पहले यह संगठन विवादों में आ गया। ये भी खुलासा हुआ था कि इस संगठन को 1991-1992 में कॉन्ग्रेस सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने 100 करोड़ रुपए बजट से देने की कोशिश की थी। मगर विपक्ष के हंगामे के बाद इस पैसे को फाउंडेशन को नहीं दिया जा सका।
वित्त मंत्री रहते हुए RGF को 100 करोड़ देना चाहते थे मनमोहन सिंह
1991-92 में भारतीय संसद की केंद्रीय बजट की चर्चा के संग्रहीत अभिलेख के एक सेक्शन में देखा जा सकता है कि जब तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने राजीव गाँधी फाउंडेशन को 100 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की थी, जिसपर विपक्षी दलों ने भारी हंगामा करते हुए सवाल खड़ा दिया था।
मनमोहन सिंह द्वारा बनाए गए 1991-92 के केंद्रीय बजट दस्तावेज में एक और प्रावधान भी था। इसमें कहा गया कि 5 साल की अवधि में राजीव गाँधी फाउंडेशन को 100 करोड़ रुपए की राशि दान की जाएगी। यह राशि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास, साक्षरता के प्रचार, पर्यावरण की सुरक्षा, सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने, दलितों के उत्थान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से संबंधित अनुसंधान और कार्रवाई कार्यक्रमों की पहल करने, महिलाओं और विकलांग व्यक्तियों, प्रशासनिक सुधार और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका के लिए बताई गई थी।
मेहुल चोकसी ने दिया दान
इसके अलावा राजीव गॉंधी फाउंडेशन (RGF) को मिले दान को लेकर एक खुलासा ये हुआ था कि इसे दान देने वालों में एक नाम मेहुल चोकसी का भी था। मेहुल चोकसी वही शख्स है जो पंजाब नेशनल बैंक के हज़ारों करोड़ रुपए के घोटाले में अभियुक्त है। पीएनबी घोटाले के तहत नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर 13 हज़ार करोड़ रुपए के ग़बन का आरोप है।