देश हर पाँच साल पर होने वाले सबसे बड़े त्योहार यानि आम चुनाव की दहलीज पर है। पीएम मोदी की सरकार के 10 साल पूरे होने को हैं। अब वे अपने तीसरे कार्यकाल के लिए मैदान में हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपनी योजनाओं की सफलता के बल पर लोगों से वोट माँग रहे हैं। यह सरकार इन योजनाओं पर कितना खरी उतरी है, ऑपइंडिया अगले कुछ दिनों में इनकी पड़ताल आपके सामने रखेगा। इस कड़ी में प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) पर बात सबसे पहले होगी।
सबसे पहले प्रधानमंत्री जनधन योजना को चुनने के पीछे भी एक कारण है। कारण यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद सबसे पहले इसी बड़ी योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का ऐलान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से किया था।
इस योजना की आधिकारिक शुरुआत 28 अगस्त 2014 को हुई थी। इसका योजना का उद्देश्य देश के हर घर में कम-से-कम एक बैंक खाता सुनिश्चित करवाना था। इसके आधार पर सरकार आगे की योजनाओं का क्रियान्वयन करना चाहती थी, जो लाभदायक भी सिद्ध हुआ।
क्यों लाई गई PM जनधन योजना?
दरअसल, पीएम मोदी को पता था कि जब तक सरकारी सहायता लोगों तक सीधे नहीं पहुँचेगी तब तक भ्रष्टाचार कम नहीं होगा और मदद सीधे पहुँचे, इसके लिए लोगों के पास बैंक खाते होने जरूरी थे। देश की आजादी के लगभग 7 दशक पूरे होने और बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद भी एक बड़ी आबादी के पास बैंक सुविधाओं का एक्सेस नहीं था। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2011 तक भारत की लगभग 70% आबादी बैंक खाते की सुविधा से महरूम थी।
देश की आबादी का बड़ा हिस्सा सिर्फ इसलिए खाता नहीं खुलवा सकता था, क्योंकि उसके पास उसमें जमा करने के लिए न्यूनतम राशि भी नहीं थी। यह इस राह में सबसे बड़ा रोड़ा था। जब देश में लोगों के पास खाते नहीं थे तो एटीएम जैसी सुविधाओं की बात ही छोड़ दी जाए। इसमें भी हमारा देश दुनिया के बाक़ी विकासशील देशों से कहीं पीछे थे।
साल दर साल बदली तस्वीर
मोदी सरकार ने यह सभी समस्याएँ इसी एक योजना के जरिए सुलझाने की सोची और 28 अगस्त 2014 को जनधन योजना शुरू हो गई। यह भी अनोखी बात थी कि कोई योजना ऐलान के मात्र दो सप्ताह के भीतर जमीन पर उतर आई हो। इसके लिए सरकारी बैंकों ने गाँवों में अपने कैम्प लगाए। बैंक मित्र नियुक्त किए गए, जो कि गरीब एवं वंचित तबके के लोगों को इसके बारे में जागरूक कर उनके खाते खुलवाते।
योजना के अंतर्गत सरकार ने खाता खोलने के लिए कोई न्यूनतम राशि रखने की शर्त हटा दी। सिर्फ आधार एवं अन्य पहचान पत्र पर बैंकों ने खाते खोले। जनधन योजना के शुरू ही हिट हो गई। गाँव-गाँव में लगे कैम्प असर दिखाने लगे। जनधन योजना की रिपोर्ट बताती है कि योजना चालू होने के एक महीने के भीतर ही 3.3 करोड़ से अधिक खाते खुले। इनमें से 1.8 करोड़ से अधिक खाते ग्रामीण इलाकों में खोले गए थे।
मात्र एक वर्ष में जनधन योजना के अंतर्गत 17.9 करोड़ खाते खोले गए। उससे भी बड़ी सफलता यह रही कि इनमें से 60% खाते ग्रामीण इलाकों में खोले गए थे। एक माह के भीतर ही देश के 1 करोड़ लोगों को रुपे ATM कार्ड भी दे दिए गए। एक साला पूरा होते-होते देश में इस योजना के अंतर्गत खोले जाने वाले खातों की संख्या लगभग 18 करोड़ पहुँच गई। इसमें से लगभग 11 करोड़ खाते ग्रामीण क्षेत्रों में खोले गए थे।
वर्तमान स्थिति के अनुसार, जनधन योजना के अंतर्गत 51 करोड़ से अधिक खाते देश भर में खोले जा चुके हैं। अब देश की बहुत बड़ी आबादी के पास बैंक खाते और ATM है। इस योजना के तहत देश में 35 करोड़ से अधिक रुपे एटीएम जारी किए जा चुके हैं। इन कार्ड की खासियत यह है कि इन पर आमजनों को कोई चार्ज नहीं देना पड़ता, जबकि पहले विदेशी कम्पनियों के कार्ड पर सालाना फीस देनी पड़ती थी।
खाते खुले तो पहुँची सीधी मदद
जनधन खातों का सबसे बड़ा लाभ देश की आम जनता को सरकारी लाभ लेने में रहा है। सरकार द्वारा लोगों के खाते में सीधे लाभ भेजने में बीते 10 वर्षों में खासी तेजी आई है। रिपोर्ट बताती है कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के तहत जहाँ 2013-14 में मात्र 10.8 करोड़ लोगों को सीधे सहायता राशि भेजी जा रही थी। वहीं, कोरोनाकाल के दौरान यह संख्या 98 करोड़ पहुँच गई। 98 करोड़ लाभार्थियों को अलग-अलग योजनाओं के तहत सहायता राशि उपलब्ध करवाई गई। यह इसीलिए संभव हो पाया, क्योंकि अब इन सबके पास बैंक खाता है।
जनधन योजना से बैंकों की भी सुधरी हालत
प्रधानमंत्री जनधन योजना से सिर्फ लोगों को ही नहीं, बल्कि बैंकों को भी फायदा हुआ है। लोगों द्वारा छोटी-छोटी बचत को बैंक में जमा करने के कारण अब बैंकों के पास अधिक पूँजी आ रही है। रिपोर्ट बताती है कि जनधन योजना के अंतर्गत खोले गए खातों में देश के लोगों ने ₹2 लाख करोड़ से अधिक की धनराशि जमा कर रखी है। इस धनराशि के आने से बैंकों को अपना संचालन करने में आसानी हुई है।
यह योजना लोगों की बचत को बढ़ाने और बैंक के द्वार तक लाने में ही नहीं, बल्कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना, किसान सम्मान निधि, शौचालय योजना और अनेकों ऐसी योजनाओं का लाभ दिलाने का आधार बनी है। इसने भारत में वित्तीय क्रान्ति लाने में बड़ी भूमिका निभाई है। ऐसे में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई यह योजना ऑपइंडिया की पड़ताल में सफल साबित होती है। हालाँकि, अभी भी इसमें नवाचार की गुंजाइश है।