गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अहमदाबाद की जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने मुस्लिमों से एकजुट रहने की अपील की है। इस दौरान उन्होंने 2012 की याद दिलाई, जब एक मुस्लिम बहुल सीट से भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। इसके अलावा शाही इमाम ने बताया कि मुस्लिमों को एक हो कर वोट डालने के प्रयास सोशल मीडिया से भी किए जा रहे हैं। शब्बीर अहमद ने ये बयान शनिवार (3 दिसंबर, 2022) को दिया है।
‘ABP न्यूज़’ से बात करते हुए इमाम शब्बीर ने बताया कि मुस्लिमों के वोटों के बँटवारे के चलते साल 2012 में अहमदाबाद की जमालपुरा सीट पर भी भाजपा ने कब्ज़ा जमा लिया था। इमाम के मुताबिक, इसकी वजह मुस्लिम वोटों का आपस से विभाजन था। इस बार को लेकर शब्बीर ने कहा है कि मुस्लिम उसी को जिताएँ जो उनका प्रतिनिधित्व करता हो। खुद शब्बीर भी दूसरे, यानी कि अंतिम चरण के चुनाव में 5 दिसंबर, 2022 को अपना वोट अहमदाबाद में डालेंगे।
साल 2012 में जमालपुरा सीट से कॉन्ग्रेस पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था। उनके विरोध में एक स्थानीय नेता साबिर काबलीवाला भी चुनाव लड़े थे। काबलीवाला को लगभग 30 हजार वोट मिले थे। इस खींचतान में भाजपा प्रत्याशी ने 6000 वोटों से जीत दर्ज कर ली थी। एक बार फिर से काबलीवाला उसी जमालपुरा से चुनावी मैदान में हैं। इस बार वो ओवैसी की पार्टी AIMIM से प्रत्याशी हैं।
Big Breaking: Shahi Imam of Jama Masjid Ahmedabad has told ABP news that Muslims are sending WhatsApp messages to each other.
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) December 3, 2022
He said that the Muslim vote should not be divided like in 2012, otherwise BJP will win! pic.twitter.com/ZYpECSz0nn
ओवैसी की पार्टी की गुजरात चुनावों में एंट्री पर सवाल खड़े करते हुए इमाम शब्बीर ने पूछा कि वो विधानसभा में क्या करने जा रहे हैं? बकौल शाही इमाम, मुस्लिमों की भाजपा से दुश्मनी है तो ऐसे समय पर उन्हें कॉन्ग्रेस से भी शत्रुता नहीं करनी चाहिए। इमाम ने खुले तौर पर मुस्लिमों से एकजुट हो कर कॉन्ग्रेस को वोट देने की अपील की। इमाम की इस बयानबाजी पर भाजपा उम्मीदवार भूषण अशोक मित्तल ने ऑपइंडिया से बात की।
मित्तल ने कहा कि मुस्लिम समझ चुके हैं कि कॉन्ग्रेस उन्हें वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। भाजपा प्रत्याशी ने आगे कहा कि ऐसे में कॉन्ग्रेस के पास अपने वोट बैंक को बचाने के लिए सीमित विकल्प ही बचे हैं।