केंद्र सरकार ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (US Commission for International Religious Freedom) की टीम को वीजा देने से मना कर दिया है। यह टीम भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का आकलन करने के लिए आना चाहती थी। इस पर सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि भारतीयों के संविधान संरक्षित अधिकारों पर किसी विदेशी संस्था को बोलने का हक नहीं है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 1 जून को भाजपा सांसद निशिकांत दूबे को लिखे एक पत्र में USCIRF को जमकर लताड़ लगायी है। उन्होंने अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) पारित होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंधों की माँग उठाने के मुद्दे को उठाया था।
India is a secular and sovereign country and any attempts to malign India’s reputation by falsifying the extent of religious freedom in our country won’t be tolerated. Furthermore, India is capable of handling its internal issues. @narendramodi @AmitShah @JPNadda @ANI @PTI_News pic.twitter.com/zq9Vzdhdrn
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 10, 2020
उल्लेखनीय है कि ‘यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम यानी, USCIRF ने इसी साल अप्रैल माह में अमेरिकी सरकार को सलाह दी थी कि वह धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में भारत को ‘कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न’ यानी विशेष चिंता वाले देशों में शामिल करे।
निशिकांत दूबे ने पिछले साल लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल (CAA) पास होने के बाद USCIRF द्वारा गृह मंत्री अमित शाह पर पाबंदी लगाने की माँग के मुद्दे उठाया था। इसके अलावा गत बुधवार को जारी अमेरिका की आधिकारिक ‘2019 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट’ में भी भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों और भेदभाव पर चिंता जताई गई है।
विदेश मंत्री जयशंकर द्वारा भाजपा सांसद निशिकांत दूबे को लिखे इस पत्र में कहा गया है कि USCIRF भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति के संबंध में पूर्वग्रहयुक्त, गलत और भ्रामक टिप्पणियाँ करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि हम इस तरह की बातों का संज्ञान नहीं लेते और पहले भी भारत के बारे में गलत जानकारी देने वाली रिपोर्ट्स का खंडन कर चुके हैं, जिस कारण हम इस तरह की संस्थाओं की बातों को तवज्जो नहीं देते।
जयशंकर ने आगे कहा – “विदेश मंत्रालय पहले ही USCIRF के बयान को गलत और गैरजरूरी बताकर अस्वीकृत कर चुका है। हम अपनी स्वायत्ता और संविधान के तहत नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों के मामले में किसी विदेशी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेंगे।”
इस संस्था ने पहली बार 2002 के गुजरात दंगों के दौरान भारत को ‘कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न’ में रखने की माँग की थी। USCIRF की सालाना रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में धार्मिक आजादी के उल्लंघन पर अतिरिक्त चिंता करने की जरूरत है और भारत धार्मिक आजादी के उल्लंघन में शामिल है।