नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा और राजसभा में पास होते ही क़ानून बन गया। इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए लेकिन ये सवाल लाजिमी है कि इस विरोध प्रदर्शन को हिंसक और उग्र बनाने में किसका हाथ है? सबसे बड़ी हिंसा पश्चिम बंगाल में हुई जहाँ घंटों ट्रेनों व यात्रियों को बंधक बनाया गया। जुमे की नमाज के बाद हज़ारों की संख्या में निकली भीड़ ने रेलवे स्टेशनों को तहस-नहस कर दिया। सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जा रही है कि संशोधित नागरिकता क़ानून मुस्लिमों के ख़िलाफ़ भेदभाव कर रहा है। क्या आपको पता है कि इस क़ानून के विरोध के लिए एक व्हाट्सप्प ग्रुप है, जहाँ सारी रणनीति तैयार की जा रही है?
मैंने एक व्हाट्सप्प ग्रुप “Anti-CAA Protest (Law St)” का हिस्सा बनने की इच्छा जाहिर की तो किसी से कुछ न बताने की शर्त पर मुझे इसमें जोड़ दिया गया। इस ग्रुप का उद्देश्य है क़ानून की पढाई करने वाले छात्रों के लिए व्हाट्सप्प ग्रुप, जिसमें संशोधित नागरिकता क़ानून का विरोध किया जाएगा। नीचे इस ग्रुप का बायो देखिए, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि यहाँ केंद्र सरकार के इस क़ानून का विरोध किया जाएगा और अन्य लोगों को भी जोड़ने की सलाह दी गई है:
इस ग्रुप में वैसे ही मैसेज आ रहे थे, जिनका इस्तेमाल वामपंथी प्रपंचों के लिए किया जाता है। इस ग्रुप के एडमिन्स पर एक नज़र डालिए। रीतम सिंह इसका पहला एडमिन है, जिसकी फेसबुक प्रोफाइल ये रही:
लेकिन, यहाँ से कुछ साफ़ नहीं होता। हाँ, जैसे ही आप उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर जाते हैं, वह कॉन्ग्रेस के झंडे वाला अंगवस्त्र पहने दीखता है और सबकुछ साफ़ हो जाता है। ये देखिए:
बाद में हमें पता चलता है कि रीतम कॉन्ग्रेस के छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) का नेशनल RTI सेल कॉर्डिनेटर है। ये देखिए:
इस ग्रुप का दूसरी एडमिन भी कॉन्ग्रेस से ही जुडी हुई हैं। उनका नाम श्रीमंजित है। ये देखिए:
इसी तरह इस व्हाट्सप्प ग्रुप के एडमिन्स कॉन्ग्रेस, एनएसयूआई और कॉन्ग्रेस के अन्य संगठनों से जुड़े लोग थे। इनमें से कई ऐसे हैं जो आरे मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे थे। जब मैंने एडमिन्स के एनएसयूआई से होने की बात कही तो ग्रुप के लोगों ने समझाया कि ये आंदोलन राजनीतिक नहीं है। ये देखिए:
रीतम सिंह का मैसेज काफ़ी कुछ बता रहा था। जिस तरह से उसने असम के विरोध प्रदर्शन की तर्ज पर सबकुछ करने की सलाह दी, उससे उसके इरादे नेक नहीं लग रहे थे। इस पूरे ग्रुप का उद्देश्य ये था कि कॉन्ग्रेस के जुड़ाव को किसी तरह छिपाया जाए और इसे जनता का न्यूट्रल विरोध प्रदर्शन के रूप में पेश किया जाए। साज़िश रची जा रही थी कि 19 दिसंबर को सभी लॉ कॉलेजों में उपद्रव हो और संशोधित नागरिकता क़ानून का विरोध प्रदर्शन किया जाए। कर्नाटक युथ कॉन्ग्रेस का प्रवक्ता आरोन मिर्ज़ा भी इस ग्रुप का सदस्य था। ये देखिए:
इसी तरह योगेंद्र यादव के ‘स्वराज इंडिया’ से जुड़ा ऋषभ रंजन भी इस ग्रुप का सदस्य है, जो मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट का विरोधी वकील था। इस ग्रुप में रवीश कुमार और अमानतुल्लाह ख़ान जैसों के कांटेक्ट नंबर भी शेयर किए गए हैं, जिन्हें आपात स्थिति में मदद के लिए कहा जा सकता है। ये देखिए:
कुल मिला कर इस ग्रुप का उद्देश्य यही था कि 19 दिसंबर को लॉ कॉलेजों में हिंसा भड़काई जाए। जामिया के छात्रों की तरह उपद्रव किया जाए, उससे भी बड़ा। इस ग्रुप में कॉन्ग्रेस और कई एनएसयूआई के लोग एडमिन के रूप में जुड़े हैं, जो किसी राजनीतिक दल से अपनी पहचान छिपा कर इस कथित आंदोलन को न्यूट्रल साबित करना चाहते हैं।
(यह लेख ऑपइंडिया की संपादक नुपुर शर्मा के विस्तृत अंग्रेजी लेख का संक्षिप्त अनुवाद है।)