Sunday, November 17, 2024
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भगवान राम-सीता के चित्र को चप्पलों से मारने-जलाने वाले पेरियार को जनेऊधारी राहुल गाँधी की पार्टी कर रही नमन

1971 में पेरियार ने एक रैली निकाली थी। रैली में भगवान श्री रामचंद्र और सीता की ऐसी मूर्तियाँ थी, जिस पर कपड़े नहीं पहनाए गए थे। मूर्तियों पर चप्पल की माला पहनाई गई थी और उसके बाद...

आज पेरियार के नाम से विख्यात, ईवी रामास्वामी का जन्मदिन है और इसे मनाने के लिए सबसे पहले कॉन्ग्रेस ही मैदान में कूदी है। 17 सितम्बर को पेरियार के जन्मदिन पर कॉन्ग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर हिन्दू-विरोधी पेरियार की ‘खूबियों’ का महिमामंडन कर उन्हें स्मरण किया है।

कॉन्ग्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा है, “आत्मसम्मान आंदोलन के संस्थापक और द्रविड़ आंदोलन के जनक, पेरियार जाति और लिंग असमानता और भेदभाव के खिलाफ सबसे मजबूत समर्थकों में से एक थे।”

कॉन्ग्रेस ने अपने ट्वीट में पेरियार को तर्क और स्वाभिमान का प्रतीक बताया है। यह बताने की जरूरत शायद ही होगी कि पेरियार को स्मरण करते समय उसके जिन ‘तर्कों’ के प्रति कॉन्ग्रेस ने अपना सम्मान जाहिर किया है, वह ब्राह्मण और हिन्दू विरोध, हिन्दुओं का अपमान और भारत के सांस्कृतिक ढाँचे का तिरस्कार है।

हाल ही में कॉन्ग्रेस का झुकाव पेरियार के प्रति बढ़ा है। इसके पीछे कॉन्ग्रेस का मकसद दक्षिण भारत के वोट बैंक को लक्ष्य बनाना है। उत्तर भारत में हिंदी भाषी वोटर्स को लुभाने के लिए कॉन्ग्रेस खुद को हिंदुत्व से जोड़ने की हर संभव अदाकारी कर के शायद अपना आँकलन कर चुकी है और यही वजह है कि उन्हें अगले कुछ दशकों तक भी उत्तर भारत में अपना कोई भविष्य नजर नहीं आता। ऐसे में, ‘तमिलनाडु तमिलों के लिए’ जैसा नारा देने वाले पेरियार, जिसकी पहचान ही हिन्दू और हिंदुत्व का विरोध है, कॉन्ग्रेस का आदरणीय हो जाता है, तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

कॉन्ग्रेस आज यह तथ्य भी नकारना चाहती है कि जिन्ना की ही तरह पेरियार भी महात्मा गाँधी विरोधी बन चुके थे। द्रविड़ आंदोलनों के अगुआ रहे पेरियार ने ब्राह्मणों के प्रति विरोध जताया था।

यह वही कॉन्ग्रेस है, जो कभी जनेऊ पहनती है तो कभी सड़क पर गाय को काटने वाली कौम के साथ खड़ी नजर आती है। हिन्दू और हिन्दुओं की आस्था के प्रति पेरियार की विचारधारा भी कॉन्ग्रेस से भिन्न नहीं रही। अंतर सिर्फ इतना रहा कि पेरियार ने कॉन्ग्रेस की तरह कभी जनेऊ और धोती पहनकर ब्राह्मणों के वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास नहीं किया। पेरियार ने हमेशा से ही हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित कर ब्राह्मणों के खिलाफ हमलावर रहने का संदेश देते हुए ही अपनी पहचान बनाई।

हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करने वाला पेरियार

पेरियार ने ताउम्र हिन्दू धर्म को लज्जित और अपमानित किया। कभी भगवानों का अपमान किया तो कभी हिन्दुओं के धर्म ग्रंथों को जलाने का संदेश दिया। पेरियार के प्रति हिन्दुओं के प्रति विचार उनके इस एक बयान से भी समझे जा सकते हैं –

“मैंने सब कुछ किया, मैंने गणेश आदि सभी ब्राह्मण देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तोड़ डालीं। राम आदि की तस्वीरें भी जला दीं। मेरे इन कामों के बाद भी मेरी सभाओं में मेरे भाषण सुनने के लिए यदि हजारों की गिनती में लोग इकट्ठा होते हैं तो साफ है कि ‘स्वाभिमान तथा बुद्धि का अनुभव होना जनता में, जागृति का सन्देश है।”

यही नहीं, पेरियार ने कहा था कि उन देवताओं को नष्ट कर दो जो तुम्हें शूद्र कहे, उन पुराणों और इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवता को शक्ति प्रदान करते हैं।

भगवान राम-सीता की नग्न मूर्तियों पर पहनाई थी चप्पल की माला

जनवरी 2020 में एक तमिल पत्रिका तुगलक की पचासवीं सालगिरह के कार्यक्रम में मौजूद तमिल अभिनेता रजनीकांत ने कहा था, “सालेम में, 1971 में पेरियार ने एक रैली निकाली थी। रैली में भगवान श्री रामचंद्र और सीता की ऐसी मूर्तियाँ थी, जिसमें कपड़े नहीं पहनाए गए थे। मूर्तियों पर चप्पल की माला पहनाई गई थी। तब किसी समाचार संस्थान ने इसे प्रकाशित नहीं किया था।”

सालेम की इस रैली में पेरियार पर हिन्दू देवी-देवताओं के अपमान के सम्बन्ध में जब केस दर्ज हुआ तो उनका जवाब था कि वो ऐसा 1930 से करते आ रहे हैं।

‘ब्राह्मणों को खत्म करो’

पेरियार ने ब्रह्मणों के खिलाफ खुली हिंसा का संदेश देते हुए कहा था, “जाति तभी समाप्त होगी, जब ब्राह्मण ख़त्म होंगे। ब्राह्मण हमारे पैरों में उलझा हुआ साँप है। यदि आपको सड़क पर साँप और ब्राह्मण दिखाई देते हैं, तो पहले ब्राह्मण को मारो।

पेरियार के ‘भगवाकरण’ पर राहुल गाँधी ने किया था महिमामंडन

इसी वर्ष, जुलाई माह में तमिलनाडु में पेरियार की एक प्रतिमा पर भगवा रंग चढ़ाने की घटना के बाद कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने हिन्दुओं को लेकर घृणा फैलाने वाले ईवी रामासामी उर्फ ​​’पेरियार’ की प्रशंसा और महिमामंडन करते देखे गए। जुलाई 18, 2020 को एक ट्वीट में राहुल गाँधी ने लिखा, “घृणा की मात्रा किसी भी विशाल प्रतीक को कभी भी प्रभावित नहीं कर सकती है।”

कॉन्ग्रेस का पेरियार प्रेम

यह ध्यान रखने वाली बात है कि दक्षिण भारत में पेरियारवादियों के समर्थन की बदौलत ही 2019 के लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस पार्टी 50 सीटों को पार करने में सफल रही। इस तरह से देखा जाए तो हिन्दुओं के प्रति नफरत फैलाने वाले पेरियार का महिमामंडन कर राहुल गाँधी सिर्फ पेरियार विचारधारा के समर्थकों का एहसान ही वापस कर रहे हैं।

सोनिया गाँधी के नेतृत्व तहत कॉन्ग्रेस पार्टी का लंबा इतिहास बताता है कि एक भी कोई ऐसा हिंदू-विरोधी कार्यकर्ता या ‘बुद्धिजीवी’ नहीं है, जिसे कॉन्ग्रेस पार्टी अपना समर्थन नहीं देती है। सत्ता में UPA के दौरान, सोनिया गाँधी ने अपनी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को उन कार्यकर्ताओं के साथ जोड़ दिया, जिन्होंने विदेशों से फंड प्राप्त किया और विवादित हिंदू-विरोधी सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार किया।

यह भी याद रखने की जरूरत है कि राहुल गाँधी के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस पार्टी ने सिर्फ और सिर्फ हिंदू समुदाय के प्रति अनादर की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाया है, जिसे सोनिया गाँधी ने भलीभाँती सींचने का काम किया।

उदाहरण के लिए, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गाँधी के कार्यकाल के दौरान, केरल में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने देश में कहीं भी गोमांस प्रतिबंध के प्रति अपने विरोध प्रदर्शन में एक बछड़े की निर्मम हत्या की थी। ऐसी परिस्थितियों में, यह बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है कि राहुल गाँधी ने पेरियार का महिमामंडन किया।

हिन्दू विरोधी पेरियार

पेरियार ने रामायण के बारे में कई भ्रम फैलाए। श्री राम पर जातिवादी होने का आरोप लगाने से लेकर यह तक दावा किया गया कि उन्होंने महिलाओं को मार डाला। पेरियार के अनुसार, हिंदू महाकाव्य रामायण और महाभारत को द्रविड़ पहचान को मिटाने के लिए ‘चालाक आर्यों’ द्वारा लिखा गया था। अगर पेरियार की मानें तो, राम, भरत को सिंहासन ना मिलने की साजिश का हिस्सा थे, जो पेरियार के अनुसार दशरथ के योग्य उत्तराधिकारी थे।

राम के प्रति अपनी घृणा के अलावा, पेरियार ने भगवान गणेश की मूर्तियों को भी खंडित किया था। उसने श्री राम के चित्र भी जलाए थे। उसकी मृत्यु के बाद, पेरियारवादियों ने दशहरा के साथ ही ‘रावण लीला’ को वार्षिक आयोजन बनाने का प्रयास किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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