झारखण्ड स्थित बरही के विधायक उमाशंकर अकेला ने दंडाधिकारी कौशल किशोर के साथ बदसलूकी की है। विधायक के साथ चल रहे उनके समर्थकों ने भी दंडाधिकारी के साथ अभद्र व्यवहार किया। ये घटना चतरा-हजारीबाग सीमा के पास बने परसौनी नाका की है। रविवार (मई 3, 2020) को दोपहर 12 बजे विधायक वहाँ से गुजर रहे थे और उन्होंने नाका खोलने को कहा। मना करने पर उन्होने अधिकारी को ‘औकात में रहने’ की हिदायत दी।
विधायक और दंडाधिकारी के बीच आधे घंटे तक बहस होती रही। बता दें कि कोरोना वायरस के कारण अभी पूरे देश भर में लॉकडाउन चल रहा है और अधिकतर जिलों ने अभी सीमाएँ सील कर रखी हैं। झारखण्ड में भी सरकारी आदेश को देखते हुए चतरा जिले की सीमा से आवागमन को बंद कर के रखा गया है। विधायक उमाशंकर अकेला इटखोरी के रास्ते अपने क्षेत्र के पथलगड्डा गाँव जा रहे थे। उनकी गाड़ी परसौनी के पास लगाए गए अस्थायी चेकनाका पर पहुँची, तो ये वाकया हुआ।
असल में दंडाधिकारी भी विधायक से परिचित नहीं थे और उन्हें नहीं जानते थे। उमाशंकर अकेला अचानक पहुँचे और नाका खोलने की जिद करने लगे। दंडाधिकारी ने उन्हें वरीय अधिकारियों के आदेश के बारे में बताया और कहा कि गाड़ी के नंबर की एंट्री करने के बाद ही नाका खोला जाएगा। विधायक को ये रास नहीं आया और उन्होंने गुस्से में बुरा-भला कहना शुरू कर दिया। विधायक के एक अर्दली ने दंडाधिकारी का मास्क नोच कर फेंक दिया।
विधायक ने दंडाधिकारी को औकात में रहने की नसीहत देते हुए पूछा कि तुमने मुझे प्रणाम क्यों नहीं किया? अधिकारी ने कहा कि वो बस अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। विधायक ने अधिकारी को प्रोटोकॉल समझने की भी हिदायत दी। बाद में वहाँ पहुँचे बीडीओ ने मामले को शांत कराया और विधायक को जाने दिया, तब जाकर मामला शांत हुआ। विधायक ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि अधिकारी को मेरे साथ गार्ड देख कर ही समझ जाना चाहिए था कि मैं वीआईपी हूँ।
उन्होंने कहा कि वो कुछ बुरा-भला नहीं कह रहे थे, बस प्रोटोकॉल समझा रहे थे। उन्होंने इस बात पर आक्रोश जताया कि उनके गार्ड द्वारा परिचय दिए जाने के बावजूद दंडाधिकारी ने नाका नहीं खोला। विधायक ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि दंडाधिकारी उनके सामने माथे पर चश्मा लगा कर बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ये सही नहीं है। विधायक ने कहा कि उन्होंने अधिकारी को प्रोटोकॉल समझने की नसीहत दी है।
बता दें कि विधायक अकेला चंदवारा थाना क्षेत्र में वर्ष 2016 में हुए सांप्रदायिक विवाद मामले में आरोपित रहे हैं और इसके लिए उन्हें कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा था। विधायक इसके लिए जेल भी गए थे। उन्होंने अपने समर्थकों सहित रैली की तरह जाकर कोडरमा में आत्मसमर्पण किया था। जेल से निकलने के बाद बरही चौक पर उनका फूल-मालाओं से भव्य स्वागत किया गया था। वो 2019 में कॉन्ग्रेस के टिकट पर जीते थे।
इससे पहले हैदराबाद में ऐसी ही घटना सामने आई थी, जब ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पार्षद मोहम्मद मुर्तजा ने एक पुलिसकर्मी के साथ बदसलूकी करते हुए कहा था कि पहले जाकर मंदिरों को बंद कराओ, फिर मस्जिद के पास आना। सवाल पूछने पर पार्षद ने न्यूज़ एंकर अमीश देवगन को भी धमकाया था।