Sunday, June 30, 2024
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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट से जमानत: ED ने किया था विरोध, कहा था- प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जाँच कर सकते हैं प्रभावित

हेमंत सोरेन की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग​​​​​​ का मामला नहीं बनता है। उन्होंने तर्क दिया कि यह पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध का मसला है। ED ने अपनी चार्जशीट में जिस जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात कही है, वह सिर्फ अनुमान पर आधारित है।

झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार (28 जून 2024) को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी। आदेश की कॉपी जेल में पहुँचते ही हेमंत सोरेन के बाहर आने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और वे 29 जून को जेल से बाहर आ सकते हैं। हेमंत सोरेन को इस मामले में 31 जनवरी 2024 की रात को प्रवर्तन निदेशाललय (ED) ने गिरफ्तार किया था।

इस मामले में सुनवाई 13 जून को सुनवाई पूरी हो चुकी थी। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने दोनों पक्षों के दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया, वह दोषी नहीं हैं और जमानत पर रिहा किए जाने दौरान याचिकाकर्ता द्वारा कोई अपराध किए जाने की कोई आशंका नहीं है।

हेमंत सोरेन के वरिष्ठ वकील अरुणाभ चौधरी ने बताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को जमानत दे दी गई है। आज कोर्ट के आदेश की कॉपी चली जाएगी और कल वे बाहर आ सकते हैं। बता दें कि 48 वर्षीय हेमंत सोरेन इस समय राँच के बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं।

बता दें कि हेमंत सोरेन की रिहाई का ED ने विरोध किया था। सुनवाई के दौरान 13 जून को ईडी की ओर से पेश वकील एसवी राजू ने कहा था कि हेमंत सोरेन को जमानत नहीं दी जानी चाहिए। वे प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर उन्हें जमानत मिली तो वे राज्य की मशीनरी का इस्तेमाल करके जाँच को प्रभावित कर सकते हैं।

वहीं, हेमंत सोरेन की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग​​​​​​ का मामला नहीं बनता है। उन्होंने तर्क दिया कि यह पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध का मसला है। ED ने अपनी चार्जशीट में जिस जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात कही है, वह सिर्फ अनुमान पर आधारित है।

इससे पहले हेमंत सोरेन के वकील ने कोर्ट को बताया कि जिस 8.86 एकड़ जमीन को लेकर ईडी कार्रवाई कर रही है, वह उनके नाम है ही नहीं। वकील ने तर्क दिया ईडी सिविल मामले को क्रिमिनल बना रही है। ऐसे में उन्हें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर जमानत दी जाए।

वहीं, प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में तर्क दिया था कि मंत सोरेन ने अवैध तरीके से बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है। यह पीएमएलए-2002 में निहित प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग है। एसवी राजू ने कहा था कि जिस जमीन को लेकर जानकारी नहीं होने की बात बता रहे हैं, दरअसल वह जमीन उनके नाम से ही है।

बताते चलें कि यह पूरा मामला राँची के बरियातू में स्थित 8.86 एकड़ जमीन से जुड़ा है। ईडी का आरोप है कि इस जमीन पर हेमंत सोरेन ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। एजेंसी ने हेमंत सोरेन, राज कुमार पाहन, हिलारियास कच्छप तथा बिनोद सिंह के खिलाफ 30 मार्च को विशेष पीएमएलए अदालत में आरोपपत्र दायर किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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