झारखंड हाई कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तगड़ा झटका लगा है। उन्होंने ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी को गलत बताते हुए याचिका दाखिल की थी, लेकिन उसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को सही बताया है। इस मामले में हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट का रुख करने का निर्देश दिया था।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने ये फैसला सुनाया। झारकंड हाई कोर्ट ने ये फैसला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू से पहले दिया है, जिसमें 6 मई को सुनवाई होनी थी। हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख ये कहते हुए किया था कि हाई कोर्ट इस मामले में फैसला सुनाने में देरी कर रही है। दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट इस मामले में सुनवाई 28 फरवरी 2024 को ही पूरी कर ली थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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— Live Law (@LiveLawIndia) May 3, 2024
वहीं, हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। वो तभी से ईडी की हिरासत में हैं। 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो पहले हाई कोर्ट में जाएँ।
चाचा के श्राद्ध में शामिल होने के लिए 1 दिन की छूट
इस बीच, हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को एक दिन की अंतरिम जमानत दी है, ताकि वो अपने चाचा राजा राम सोरेन के श्राद्ध समारोह में शामिल हो सके। राजा राम सोरेन का निधन पिछले महीने हुआ था। जस्टिस आर मुखोपाध्याय की बेंट ने सोरेन को न्यायिक हिरासत में रहते हुए श्राद्ध कर्मी में शामिल होने की अनुमति दी है, साथ ही निर्देश भी दिया है कि उन्हें मीडिया से बातचीत करने की अनुमति नहीं होगी।
इस मामले में उन्होंने पीएमएलए कोर्ट में 27 अप्रैल को अंतरिम जमानत की याचिका दाखिल की थी, जो कोर्ट ने खारिज कर दी थी। सोरेन ने याचिका में अपने शिबू सोरेन के भाई यानी अपने चाचा के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति माँगी थी।
गौरतलब है कि राँची में जमीन घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ जाँच चल रही है। इस मामले में 8.5 करोड़ की संपत्ति अपराधिक स्रोतों से जमा किए गए पैसों से खरीदी गई, जिसपर सोरेन ने अवैध तरीके से कब्जा कर लिया। इस मामले में जमीन के मूल रिकॉर्ड को छिपाने और इस आपराधिक रिकॉर्ड को छिपाने में भानु प्रताप व अन्य लोगों के साथ मिलीभगत की।
बता दें कि पिछले साल सितंबर में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में ईडी के समन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 226 के तहत इस मामले में सुनवाई नहीं की और कहा कि इसकी अपील अन्य केसों में की जा सकती है। इसके बाद सोरेन ने अपनी याचिका वापस ले ली ती।