जेएनयू के छात्र सोमवार को एक बार फिर फीस वृद्धि वापसी लेने की मॉंग को लेकर सड़क पर उतरे। उन्होंने राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने की कोशिश की। पुलिस की सख्ती के कारण ऐसा हो नहीं पाया। लाठीचार्ज कर पुलिस ने छात्रों को तितर-बितर कर दिया।
#WATCH: Police resorted to lathicharge after a clash with protesting Jawaharlal Nehru University (JNU) students, who were marching towards Rashtrapati Bhawan to meet President over fee hike issue. pic.twitter.com/sAbuN05n2q
— ANI (@ANI) December 9, 2019
पुलिस ने सुबह से ही किसी भी प्रकार के उत्पात से निपटने की पूरी तैयारी कर रखी थी। पिछले महीने फ़ीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ जेएनयू कैम्पस के अंदर हुआ प्रदर्शन काफ़ी हिंसक हो गया था, इसलिए पुलिस ने सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शन को लेकर पूरी मुस्तैदी दिखाई। जेएनयू की तरफ जाने वाली सड़कों पर आवागमन रोक दिया गया। कम्युनिस्ट SFI और बिरसा अम्बेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) के बैनर तले होने वाले मार्च को लेकर सुरक्षा-व्यवस्था इतनी कड़ी थी कि दिल्ली मेट्रो भी लोक कल्याण मार्ग और उद्योग भवन स्टेशनों पर नहीं रुकी। इन दोनों स्टेशनों के अलावा केंद्रीय सचिवालय स्टेशन पर भी मेट्रो में घुसने और उससे निकलने के रास्ते बंद कर दिए गए।
यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बाद फीस में हुई बढ़ोतरी को एक नहीं, दो-दो बार कम भी किया गया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेएनयू में सामान्य कामकाज बहाल करने और प्रदर्शनरत छात्रों तथा प्रशासन के बीच मध्यस्थता करने के तरीकों को तलाश करने के लिए तीन सदस्यीय समिति भी गठित की। उस समिति ने मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। लेकिन मंत्रालय के फैसले का इंतज़ार किए बिना छात्रावास की फीस को लेकर, जो ₹10 और ₹20 से बढ़ाकर मासिक ₹300 कर दी गई है, छात्रों के कुछ संगठन फिर सड़क पर उतर आये हैं।
लाठीचार्ज के कारण के बारे में लाइव हिंदुस्तान ने दिल्ली यातायात पुलिस के हवाले से दावा किया है कि इस प्रदर्शन और लम्बे मार्च के चलते बाबा गंगनाथ मार्ग पूरी तरह ठप हो गया था। गौरतलब है कि इलाके में बाबा गंगनाथ मार्ग बहुत ही महत्वपूर्ण सड़क है और इस पर ट्रैफिक रुक जाने का मतलब है सैकड़ों-हज़ारों लोगों की दिनचर्या में रुकावट पड़ जाना। इसके पहले वामपंथी छात्र संगठनों ने संसद के शीत सत्र के पहले दिन (18 नवंबर, 2019 को) संसद का भी घेराव करने की कोशिश की थी- वह भी बिना किसी पूर्वानुमति के। उस समय भी पुलिस ने बल प्रयोग किया था। 100 के करीब प्रदर्शनकारियों को पुलिस की निषेधाज्ञा की अवहेलना के आरोप में हिरासत में भी लिया था।