उत्तराखंड में जोशीमठ और कोश्याकुटोली को नई पहचान मिली है। उत्तराखंड सरकार द्वारा भेजे गए नाम परिवर्तन के प्रस्ताव को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद चमोली जिले के जोशीमठ को ज्योतिर्मठ और नैनीताल जिले की कोश्याकुटोली तहसील का नाम बदलकर श्री कैंची धाम तहसील कर दिया गया है। बता दें कि पिछले साल ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बात का ऐलान जनसभा में किया था कि उत्तराखंड सरकार इन दोनों जगहों के नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेज रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते वर्ष कैंची धाम मंदिर की स्थापना दिवस (15 जून) समारोह के मौके पर कोश्याकुटोली तहसील को कैंची धाम के नाम पर करने की घोषणा की थी। इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने ये प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया था, जो मंजूर हो गया। भारत सरकार की ओर से मंजूरी मिलने के बाद सभी औपचारिकताएँ पूरी गई और अब उत्तराखंड सरकार ने नाम बदलने का आधिकारिक ऐलान कर दिया है।
मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami ने विगत वर्ष जोशीमठ का नाम बदलकर ज्योतिर्मठ करने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप प्रस्ताव बनाकर भारत सरकार को भेज दिया गया था। अब केंद्र ने ज्योतिर्मठ तहसील के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, स्थानीय जनता ने इस फैसले का स्वागत किया है। pic.twitter.com/KO5ctXVYDn
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) June 12, 2024
बीते कई सालों से स्थानीय लोग चमोली जिले में स्थित जोशीमठ का नाम बदलने की माँग कर रहे थे। ऐसे में मुख्यमंत्री धामी ने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए जोशीमठ तहसील को ज्योतिर्मठ नाम देने का फैसला लिया था। बता दें कि ज्योतिर्मठ हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व रखता है। ज्तोतिर्मठ आदि गुरु शंकराचार्य की तपोस्थली रही है। माना जाता है कि वो यहाँ आठवीं शताब्दी में आए थे और अमर कल्पवृक्ष के नीचे तपस्या के बाद उन्हें दिव्य ज्ञान ज्योति की प्राप्ति हुई थी। ज्योतेश्वर महादेव और दिव्य ज्ञान ज्योति की वजह से ही इस जगह को ज्योर्तिमठ का नाम दिया गया था। ये जगह बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और केदारनाथ जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों का प्रवेश द्वार भी है।
वहीं, कोश्याकुटोली तहसील का नाम श्री कैंची धाम हो जाने से बाबा नीम करौली के भक्तों में भारी उत्साह है। श्रद्धालुओं का कहना है कि देश दुनिया के लाखों भक्तों की बाबा नीब करौली महाराज के प्रति भारी आस्था है। कैंची धाम के विकास के लिए इसे मानसखण्ड मन्दिरमाला मिशन में भी शामिल किया गया है।