मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर फिर से बदले की भावना से काम करने और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। असल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद आर्थिक अपराध प्ररोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने जमीन घोटाले मामले में फिर से अपनी जाँच शुरू कर दी है। 10 हजार करोड़ रुपए के जमीन घोटाले में सिंधिया के खिलाफ फाइल दो साल पहले ही बंद की जा चुकी है। इसी तरह के आरोप प्रदेश सरकार पर संजय पाठक के मामले में भी लगा था। कमलनाथ सरकार पर खतरा मॅंडराते ही पाठक के खिलाफ कार्रवाइयों का सिलसिला शुरू हो गया था। उन्होंने खुद की हत्या की आशंका तक जताई थी।
अब सिंधिया को लेकर प्रदेश सरकार घेरे में है। सिंधिया ने कहा है कि जॉंच बदलने की भावना से दोबारा शुरू की गई है। उन्हें कानून पर भरोसा है और कमलनाथ सरकार को करारा जवाब मिलेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्य प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ की गई एक शिकायत के तथ्यों का फिर से जाँच करने का फैसला किया। इसमें ग्वालियर में एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि सिंधिया ने संपत्ति के दस्तावेजों में हेरफेर कर 6,000 फुट की जमीन का हिस्सा शिकायतकर्ता को बेचा था।
भोपाल- आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EWO) ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कथित जमीन घोटाले मामले में फिर से जांच शुरू की। 10 हजार करोड़ की जमीन के घोटाले का है मामला। एक ही जमीन को कई बार बेचने का आरोप है, सरकारी जमीन को भी बेचने का आरोप है। 2014 में मामले की जांच हो चुकी है। (फाइल फोटो) pic.twitter.com/zamGPCffBH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 13, 2020
इस मामले के संबंध में पहली दफा 26 मार्च 2014 में शिकायत दर्ज की गई थी। लेकिन इसकी जाँच के बाद इस केस को 2018 में बंद कर दिया गया था। एक अधिकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता ने 12 मार्च को फिर से आवेदन दिया है और अब उसी आधार पर शिकायत के तथ्यों को फिर से जाँच की जाएगी। ईओडब्लयू की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि सुरेंद्र श्रीवास्तव ने सिंधिया और उनके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि उन्होंने एक रजिस्ट्री दस्तावेज में हेरफेर कर वर्ष 2009 में ग्वालियर के महलगांव में 6,000 फुट जमीन उसे बेची।
गौर करने वाली बात है कि सिंधिया के खिलाफ पहली बार जब इस मामले में शिकायत की गई उस समय राज्य में शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी। तब सिंधिया भी कॉन्ग्रेस में हुआ करते थे। मामले की जॉंच के बाद फाइल बंद भी बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुआ था। अब इस मामले को दोबारा ऐसे वक्त में खोला गया है जब सिंधिया बीजेपी में जा चुके हैं और उनके समर्थक विधायकों के इस्तीफे के कारण कमलनाथ सरकार का गिरना तय लग रहा है।
दोबारा जाँच को अधिकारी भले शिकायतकर्ता की माँग बता रहे हैं, लेकिन कॉन्ग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी के मुताबिक ये बदले की भावना से किया गया है। उन्होंने कहा, “सिंधिया जी के खिलाफ बदले की भावना से जो ईओडब्ल्यू की प्रक्रिया की जा रही है। उससे कुछ होने वाला नहीं है।” चतुर्वेदी ने बताया कि यह मामला सबूतों के अभाव में एक बार खत्म हो चुका है, फिर भी बदले की भावना से यह सब किया जा रहा है।
इससे पहले विजयराघवगढ़ से विधायक संजय पाठक के बांधवगढ़ स्थित रिसॉर्ट का एक हिस्सा जिला प्रशासन ने तोड़ दिया। जबलपुर में आयरन की उनकी 2 खदानें भी सील कर दी थी। पाठक ने सरकार पर विपक्ष में रहने की सजा के तहत कार्रवाई के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था, “मेरे ऊपर काफी दबाव बनाया जा रहा है। मुझे बीजेपी छोड़कर कॉन्ग्रेस में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। अगर मैं ऐसा नहीं करता हूँ तो मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी। मेरी जान को लगातार खतरा है। मैं मर जाऊँगा लेकिन बीजेपी नहीं छोड़ूँँगा।”