Friday, September 29, 2023
Homeराजनीतिसिंधिया के BJP में जाते ही जमीन घोटाले की जॉंच फिर से, 2 साल...

सिंधिया के BJP में जाते ही जमीन घोटाले की जॉंच फिर से, 2 साल पहले बंद कर दी गई थी फाइल

इससे पहले कमलनाथ सरकार पर खतरा मॅंडराते ही बीजेपी विधायक संजय पाठक के खिलाफ कार्रवाइयों का सिलसिला शुरू हो गया था। उनके रिसॉर्ट का एक हिस्सा तोड़ दिया गया था। खदानें सील कर दी गई थी। उन्होंने खुद की हत्या की आशंका तक जताई थी।

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर फिर से बदले की भावना से काम करने और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। असल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद आर्थिक अपराध प्ररोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने जमीन घोटाले मामले में फिर से अपनी जाँच शुरू कर दी है। 10 हजार करोड़ रुपए के जमीन घोटाले में सिंधिया के खिलाफ फाइल दो साल पहले ही बंद की जा चुकी है। इसी तरह के आरोप प्रदेश सरकार पर संजय पाठक के मामले में भी लगा था। कमलनाथ सरकार पर खतरा मॅंडराते ही पाठक के खिलाफ कार्रवाइयों का सिलसिला शुरू हो गया था। उन्होंने खुद की हत्या की आशंका तक जताई थी।

अब सिंधिया को लेकर प्रदेश सरकार घेरे में है। सिंधिया ने कहा है कि जॉंच बदलने की भावना से दोबारा शुरू की गई है। उन्हें कानून पर भरोसा है और कमलनाथ सरकार को करारा जवाब मिलेगा।

दैनिक भास्कर मे प्रकाशित संबंधित खबर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्य प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ की गई एक शिकायत के तथ्यों का फिर से जाँच करने का फैसला किया। इसमें ग्वालियर में एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि सिंधिया ने संपत्ति के दस्तावेजों में हेरफेर कर 6,000 फुट की जमीन का हिस्सा शिकायतकर्ता को बेचा था।

इस मामले के संबंध में पहली दफा 26 मार्च 2014 में शिकायत दर्ज की गई थी। लेकिन इसकी जाँच के बाद इस केस को 2018 में बंद कर दिया गया था। एक अधिकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता ने 12 मार्च को फिर से आवेदन दिया है और अब उसी आधार पर शिकायत के तथ्यों को फिर से जाँच की जाएगी। ईओडब्लयू की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि सुरेंद्र श्रीवास्तव ने सिंधिया और उनके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि उन्होंने एक रजिस्ट्री दस्तावेज में हेरफेर कर वर्ष 2009 में ग्वालियर के महलगांव में 6,000 फुट जमीन उसे बेची।

गौर करने वाली बात है कि सिंधिया के खिलाफ पहली बार जब इस मामले में शिकायत की गई उस समय राज्य में शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी। तब सिंधिया भी कॉन्ग्रेस में हुआ करते थे। मामले की जॉंच के बाद फाइल बंद भी बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुआ था। अब इस मामले को दोबारा ऐसे वक्त में खोला गया है जब सिंधिया बीजेपी में जा चुके हैं और उनके समर्थक विधायकों के इस्तीफे के कारण कमलनाथ सरकार का गिरना तय लग रहा है।

दोबारा जाँच को अधिकारी भले शिकायतकर्ता की माँग बता रहे हैं, लेकिन कॉन्ग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी के मुताबिक ये बदले की भावना से किया गया है। उन्होंने कहा, “सिंधिया जी के खिलाफ बदले की भावना से जो ईओडब्ल्यू की प्रक्रिया की जा रही है। उससे कुछ होने वाला नहीं है।” चतुर्वेदी ने बताया कि यह मामला सबूतों के अभाव में एक बार खत्म हो चुका है, फिर भी बदले की भावना से यह सब किया जा रहा है।

इससे पहले विजयराघवगढ़ से विधायक संजय पाठक के बांधवगढ़ स्थित रिसॉर्ट का एक हिस्सा जिला प्रशासन ने तोड़ दिया। जबलपुर में आयरन की उनकी 2 खदानें भी सील कर दी थी। पाठक ने सरकार पर विपक्ष में रहने की सजा के तहत कार्रवाई के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था, “मेरे ऊपर काफी दबाव बनाया जा रहा है। मुझे बीजेपी छोड़कर कॉन्ग्रेस में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। अगर मैं ऐसा नहीं करता हूँ तो मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी। मेरी जान को लगातार खतरा है। मैं मर जाऊँगा लेकिन बीजेपी नहीं छोड़ूँँगा।”

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

देश में PM मोदी का जलवा बरकरार, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के बीच ज्यादा लोकप्रिय: 2024 में तीसरी बार BJP सरकार की वापसी के...

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता लगातार बनी हुई है, इंडियाबुल्स-इप्सॉस के सर्वे में सामने आया है कि वह महिलाओं में अधिक लोकप्रिय हैं।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम: महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण को मिला कानूनी रूप, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक के नाम से महिला आरक्षण बिल को 19 सितंबर को लोकसभा में पेश किया था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
276,896FollowersFollow
419,000SubscribersSubscribe