राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर गहराते संकट के बीच अपने गुट के विधायकों सहित बागी सुर लेकर दिल्ली पहुँचे उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पुराने कॉन्ग्रेसी नेता व साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की।
इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कॉन्ग्रेस और अशोक गहलोत पर निशाना साधा। सिंधिया ने ट्वीट किया, “यह देखकर दुखी हूँ कि मेरे पुराने सहयोगी सचिन पायलट को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दरकिनार किया जा रहा है। यह दिखाता है कि कॉन्ग्रेस में प्रतिभा और क्षमता पर कम ही भरोसा किया जाता है।”
Sad to see my erstwhile colleague, @SachinPilot too, being sidelined and persecuted by Rajasthan CM, @ashokgehlot51 . Shows that talent and capability find little credence in the @INCIndia .
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) July 12, 2020
इधर उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ विवाद के बाद राजस्थान में जारी संकट को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने आज रात कॉन्ग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के वफादार लोगों ने आरोप लगाया है कि डिप्टी सीएम सचिन पायलट भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में हैं, उनके साथ बातचीत कर रहे हैं।
Chief Minister of Rajasthan & Congress leader Ashok Gehlot calls a meeting of party MLAs and ministers in #Jaipur tonight.
— ANI (@ANI) July 12, 2020
(file pic) pic.twitter.com/3G18GAet2P
राजस्थान के डेप्युटी सीएम सचिन पायलट के बागी तेवरों से जयपुर से लेकर दिल्ली तक सियासी पारा चढ़ा हुआ है। पायलट दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। उनके साथ 23 से 24 विधायक बताए जा रहे हैं। जयपुर में सीएम अशोक गहलोत का शनिवार रात से ही विधायकों, नेताओं के साथ बैठकों का सिलसिला जारी है।
गहलोत और पायलट के बीच जारी खींचतान अब आर-पार की लड़ाई का रूप लेती जा रही है। अब मामला राज्य के स्तर से ऊपर जा चुका है और अगर आलाकमान ने समय रहते प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया तो राज्य कांग्रेस में जारी यह सत्ता संघर्ष पार्टी के लिए महँगा पड़ सकता है।
राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार की हालत इतनी पतली हो गई है कि प्रशासन ने वहाँ सख्ती के नाम पर बॉर्डर ही सील कर दिया। ऊपरी तौर पर तो कहा जा रहा है कि ये कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए ये फैसला लिया गया है, लेकिन इसे कॉन्ग्रेस के भीतर भारी अंदरूनी फूट को दबाने और विधायकों को बाहर जाने से रोकने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।
वैसे तो 2018 में गहलोत सरकार बनने के बाद से ही जब-तब सीएम और डेप्युटी सीएम में अनबन की खबरें छनकर आती रही हैं। पिछले महीने हुए राज्यसभा चुनाव के बाद से ही सूबे का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। हालाँकि, इस बार की खींचतान कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के ट्वीट से लगाया जा सकता है।
उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए आगाह किया है कि क्या पार्टी तभी जागेगी जब अस्तबल से उनके घोड़े निकल जाएँगे। उन्होंने इशारों भरे इस ट्वीट से पार्टी आलाकमान को भी संदेश दिया है कि वक्त रहते अगर सही फैसला नहीं लिया गया तो पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है।