कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election 2023) नजदीक आने के साथ ही राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी कॉन्ग्रेस (Congress) ने अमूल को कर्नाटक के मिल्क ब्रांड ‘नंदिनी’ (Amul vs. Nandini) के खिलाफ खड़ा करके दूध को लेकर गंदी राजनीति शुरू कर दी है।
राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) के खिलाफ अपना हमला जारी रखते हुए कन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) रविवार (9 अप्रैल 2023) को ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से पूछा कि क्या उनकी यात्रा का उद्देश्य ‘राज्य को लूटना’ था।
सिद्धारमैया ने पूछा, “आपका कर्नाटक आने का उद्देश्य कर्नाटक को देना है या कर्नाटक को लूटना है? आप पहले ही कन्नड़ लोगों से बैंक, बंदरगाह और हवाई अड्डे छिन चुके हैं। अब क्या आप नंदिनी (KMF) को आप भी हमसे चुराने की कोशिश कर रहे हैं?”
कॉन्ग्रेस नेता ने कहा, “यह गुजरात का बड़ौदा बैंक था, जिसने हमारे विजया बैंक की को अपने में मिला लिया। बंदरगाहों और हवाईअड्डों को गुजरात के अडानी को सौंप दिया गया। अब, गुजरात का अमूल हमारे KMF (नंदिनी) को खाने की योजना बना रहा है। मिस्टर नरेंद्र मोदी, क्या हम गुजरातियों के दुश्मन हैं?”
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आगे कहा, “नरेंद्र मोदी ने युवाओं को साल में 2 करोड़ नौकरियाँ देने के बजाय हमारे बैंकों, बंदरगाहों और हवाईअड्डों से कन्नड़ लोगों की नौकरियाँ छीन लीं। अब कर्नाटक बीजेपी अमूल को केएमएफ देकर हमारे किसानों की संभावनाओं को नुकसान पहुँचाना चाहती है।”
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के अवसर पर एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कर्नाटक के मैसूर और चामराजनगर जिलों में गए थे। इसके बाद रविवार (11 अप्रैल 2023) को पीएम मोदी के चुनावी दौरे से पहले पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने ट्वीट किए।
It was Gujarat's Baroda Bank that subsumed our Vijaya Bank.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) April 9, 2023
Ports & Airports were handed over to Gujarat's Adani.
Now, AMUL from Gujarat is planning to eat our KMF (Nandini).
Mr @narendramodi,
Are we the enemies for Gujaratis?#SaveNandini
अमूल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 5 अप्रैल को कर्नाटक में आने को लेकर एक इन्फोग्राफिक पोस्ट किया था। इसे कॉन्ग्रेस ने चुनाव से होकर गुजर रहे राज्य में भाजपा से मुकाबला करने के के रूप में देखा। कॉन्ग्रेस ने तुरंत अमूल इन्फोग्राफिक और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दिसंबर 2022 के भाषण को जोड़ा दिया। इस भाषण में अमित शाह ने अमूल और नंदिनी के बीच अधिक सहयोग का आह्वान किया था।
मांड्या में एक मेगा-डेयरी संयंत्र का उद्घाटन करते हुए अमित शाह ने कहा था, “अमूल और केएमएफ मिलकर यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेंगे कि राज्य के हर गाँव में एक प्राथमिक डेयरी हो। 47 वर्षों में कर्नाटक ने डेयरी क्षेत्र में प्रगति की है और कारोबार 4 करोड़ रुपए से बढ़कर 25,000 करोड़ रुपए हो गया है। अमूल और केएमएफ को कर्नाटक में सहकारी डेयरी को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना होगा।”
दरअसल, नंदिनी दूध ब्रांड का स्वामित्व कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) के पास है। अब अमित शाह के इस भाषण को इससे जोड़कर कॉन्ग्रेस ने अमूल द्वारा राज्य के स्थानीय डेयरी ब्रांड नंदिनी के अधिग्रहण के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए इस्तेमाल किया। जब मामला बढ़ गया और विवाद में बदल गया तो कॉन्ग्रेस को इसमें राजनीतिक लाभ नजर लाभ आने लगा और इसके लिए इस विवाद को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया।
कॉन्ग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कर्नाटक के बाजार में अमूल के प्रवेश में एक बड़ी साजिश का की बात कही थी। उन्होंने कहा था, “हम अपने दूध और अपने किसानों की रक्षा करना चाहते हैं। हमारे पास पहले से ही नंदिनी है जो अमूल से बेहतर ब्रांड है… हमें किसी अमूल की जरूरत नहीं है… हमारा पानी, हमारा दूध और हमारी मिट्टी मजबूत है।’
कर्नाटक में जब अमूल आया, तब कॉन्ग्रेस की सरकार
कॉन्ग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अमूल-नंदिनी विवाद का उद्देश्य राज्य के चुनावों से पहले वहाँ के मतदाताओं के बीच क्षेत्रीय तनाव को भड़काकर लाभ लेना है। हालाँकि, बीजेपी को बैकफुट पर लाने की जल्दबाजी में सिद्धारमैया शायद ये भूल गए कि अमूल ने साल 2017 में ही राज्य में अपना विस्तार किया था। उस वक्त कॉन्ग्रेस सत्ता में थी।
अमूल की 2017 की हुई वार्षिक आम बैठक के मिनट्स में साफ लिखा है कि 2017 में ही संस्था ने देश के अन्य भागों के साथ-साथ उत्तरी कर्नाटक के शहरों में अमूल दूध को लॉन्च कर दिया है। पिछले सात वर्षों में इस सहकारी संस्था की बिक्री कैसे बढ़ी, इसका विवरण साझा किया था।
इसमें कहा गया था, “हमने चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश के कई शहरों, सिलीगुड़ी सहित उत्तर बंगाल, उत्तरी कर्नाटक के शहर और हाल ही में जबलपुर में अमूल दूध लॉन्च करके अपने नए उत्पाद का विस्तार किया।” अमूल की 43वीं सालाना आम बैठक के मिनट्स को यहाँ पढ़ा जा सकता है।
यह बैठक 15 जून 2017 को हुई थी और कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया 13 मई 2013 से 17 मई 2018 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे। यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि अमूल ने 2017 में कर्नाटक में एंट्री की और उस समय कॉन्ग्रेस सत्ता में थी।
कर्नाटक BJP के नेताओं ने नंदिनी का बचाव किया
इसके अतिरिक्त कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार (10 अप्रैल 2023) को स्पष्ट किया कि उनकी सरकार ने नंदिनी को राष्ट्रीय स्तर पर नंबर एक बनाने के लिए सभी प्रकार के उपाय किए हैं। नंदिनी को कर्नाटक का गौरव बताते हुए बोम्मई ने कहा, “नंदिनी की बाजार पहुँच व्यापक है। अमूल से डरने की जरूरत नहीं है।” उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस हर चीज का राजनीतिकरण कर रही है, जो राज्य के हित में नहीं है।
कर्नाटक के सहकारिता मंत्री एसटी सोमशेखर ने रविवार (11 अप्रैल 2023) को दोहराया कि KMF का अमूल में विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा, “हम दूसरे राज्यों में भी जा रहे हैं और मार्केटिंग कर रहे हैं… हम अमूल को प्रतियोगिता में पीछे रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।”
इसका अर्थ यह है कि कर्नाटक कॉन्ग्रेस का प्रोपेगेंडा पूरी तरह झूठ है कि अमूल कर्नाटक में प्रवेश करके नंदिनी को जड़ से उखाड़ने का प्रयास और कन्नड़ की पहचान और संस्कृति को कम करने कोशिश कर रहा है और मोदी सरकार अमूल को समर्थन कर वहाँ के किसानों को नुकसान पहुँचा रही है। उपभोक्ता वस्तुओं की पूरे देश में मार्केटिंग की जाती है। इस तरह कॉन्ग्रेस का फैलाया यह झूठ निराधार है।
गुजरात और वहाँ के उत्पादों से कॉन्ग्रेस को नफरत
कॉन्ग्रेस पार्टी का गुजरात और गुजरातियों के प्रति तिरस्कार कोई नई बात नहीं है। नरेंद्र मोदी के पीएम बनते ही यह सब सामने आ गया। चूँकि देश को चलाने वाले दो शीर्ष व्यक्ति (नरेंद्र मोदी और अमित शाह) गुजराती हैं, इसलिए कॉन्ग्रेस सभी गुजरातियों को बुरा दिखाने की कोशिश करती है। अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भारत को ‘नफरत मुक्त’ बनाने का वादा राहुल गाँधी ने किया था, लेकिन कई मौकों पर वे इस नफरत से उबर नहीं पाए।
राहुल गाँधी अतीत में अनगिनत मौकों पर भूल गए कि गुजरात भारत का हिस्सा है। उन्होंने गुजरातियों का अपमान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। साल 2021 में असम चुनाव के दौरान राहुल गाँधी ने कहा था कि असम के चाय श्रमिकों की अतिरिक्त मजदूरी दर को फंड देने के लिए वह गुजराती चाय व्यापारियों से पैसे लेंगे।
सितंबर 2021 में जब अधिकारी ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ करने में व्यस्त थे, उस समय राहुल गाँधी ने फिर से गुजरातियों पर हमला किया और उन्हें ड्रग एडिक्ट हैं। इन ड्रग्स का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग के लिए किया जाता है।
इसी तरह 2019 के चुनावों से पहले एक चुनावी रैली में राहुल गाँधी ने गुजरात में एक पूरे समुदाय का मज़ाक उड़ाया था। उन्होंने कहा था, “नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी… कैसे इन सभी का उपनाम मोदी है? सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?” राहुल गाँधी को अब इस मामले में दोषी ठहराया जा चुका है और वे जमानत पर हैं।
जब पुलिस ने हाल ही में गुजरात के एक ठग को गिरफ्तार किया तो गुजरात और गुजरातियों को बदनाम करने के लिए कॉन्ग्रेस तंत्र ऐक्टिव हो गया। इस ठग ने खुद को जम्मू-कश्मीर में होटल सुविधाओं में सुधार की जिम्मेदारी सौंपे गए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के सदस्य के रूप में पेश किया था
कॉन्ग्रेस नेता सिद्धारमैया ने अब वहीं से मोर्चा सँभाला है, जहाँ उनके सुप्रीमो ने छोड़ा था। उन्होंने वोटरों को आकर्षित करने और कर्नाटक में पार्टी को फिर से स्थापित करने के लिए इस नए गुजराती विरोधी बयानबाजी को फैलाना शुरू कर दिया है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस को नहीं पता है कि कर्नाटक में पैर जमाने की हताशा में वे आग से खेल रहे हैं। इसका असर कर्नाटक में रहने वाले गुजरातियों के जीवन पर पड़ सकता है।