Sunday, November 17, 2024
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कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में भी लागू किया कोटा, कन्नड़ भाषियों को नौकरियों में 50-75% रिजर्वेशन: हरियाणा के ऐसे ही फॉर्मूले को हाई कोर्ट ने बताया था ‘असंवैधानिक’

बिल के अनुसार कर्नाटक में जन्मा या कर्नाटक में पिछले 15 वर्षों से रह रहा कोई भी व्यक्ति कन्नड़ माना जाएगा और इसे इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। कन्नड़ आरक्षण का लाभ लेने के लिए व्यक्ति को 12वीं पास होना चाहिए और इस दौरान उसके पास कन्नड़ एक विषय के तौर पर होनी जरूरी है।

कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने राज्य में निजी संस्थानों में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण लागू करने का फैसला लिया है। सिद्दारमैया कैबिनेट ने इस संबंध में एक बिल पर मुहर लगाई है। इस बिल में कहा है गया है कि राज्य की गैर प्रबंधकीय नौकरियों में 75% और प्रबंधकीय नौकरियों में 50% आरक्षण कन्नड़ भाषाई लोगों को दिया जाएगा।

मंगलवार (15 जुलाई, 2024) को बेंगलुरु में हुई राज्य कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी फैक्ट्रियों और दफ्तरों में नौकरी पर रखे जाने वाले लोग अब कन्नड़ ही होने चाहिए। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी दफ्तरों और फैक्ट्रियों में काम पर रखे जाने वाले ग्रुप सी और ग्रुप डी (सामान्यतः क्लर्क और चपरासी या फैक्ट्री के कामगार) के 75% लोग कन्नड़ होने चाहिए। इसके अलावा, बिल के अनुसार इससे ऊँची नौकरियों में 50% नौकरियाँ कन्नड़ लोगों को मिलनी चाहिए।

बिल के अनुसार कर्नाटक में जन्मा या कर्नाटक में पिछले 15 वर्षों से रह रहा कोई भी व्यक्ति कन्नड़ माना जाएगा और इसे इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। कन्नड़ आरक्षण का लाभ लेने के लिए व्यक्ति को 12वीं पास होना चाहिए और इस दौरान उसके पास कन्नड़ एक विषय के तौर पर होनी जरूरी है। यदि उसके पास यह नहीं है तो उसे कन्नड़ सीखनी होगी।

बिल में यह भी कहा गया है कि यदि कम्पनियों को अपनी नौकरियों के लिए गैर कन्नड़ लोगों की भर्ती करना आवश्यक हो जाता है और कन्नड़ भाषाई उपलब्ध नहीं है, तो उन्हने छूट दी जा सकती है। इसके लिए कम्पनियों को आवेदन देना होगा और इस पर सरकार का निर्णय अंतिम होगा।

बिल में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी स्थिति में किसी भी दफ्तर, कम्पनी या फैक्ट्री में ऊँचे पदों पर काम करने वाले कन्नड़ 25% से कम नहीं होने चाहिए। इसके अलावा इनकी संख्या निचली नौकरियों में 50% रहनी ही चाहिए। ऐसा ना करने पर कम्पनियों को ₹25,000 तक का जुर्माना झेलना पड़ेगा। इस बिल को कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब विधानसभा के चालू सत्र में पेश किया जाएगा।

100% आरक्षण का ट्वीट किया, फिर हटाया

जहाँ बिल में अधिकतम 75% आरक्षण की बात की गई है, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने एक ट्वीट में C और D ग्रुप की नौकरियों में 100% आरक्षण की बात कही। उन्होंने लिखा, एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “कल कैबिनेट की बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में “C और D” ग्रेड पदों पर 100% कन्नड़ लोगों को नियुक्त करना जरूरी बनाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई।”

उन्होंने आगे लिखा, “यह हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को उनकी मातृभूमि में आरामदायक जीवन जीने का अवसर दिया जाए और कन्नड़ भूमि में नौकरियों से बाहर होने से बचाया जाए। हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नडिगाओं के कल्याण की देखभाल करना है।” यह ट्वीट बाद में डिलीट कर दिया गया।

हरियाणा ने भी उठाया था कदम, हाई कोर्ट ने कर दिया था रद्द

कर्नाटक ऐसा पहला राज्य नहीं है जिसने स्थानीय लोगों को निजी नौकरियों में आरक्षण देने का निर्णय लिया हो। इससे पहले जनवरी, 2022 में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने राज्य के भीतर निजी नौकरियों में 75% पद स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया था। इस संबंध में हरियाणा ने कानून भी बनाया था। इस कानून को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नवम्बर, 2023 में असंवैधानिक करार दे दिया था और इसे रद्द कर दिया था।

हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हरियाणा ने कहा था कि बिल को रद्द करने के लिए जो कारण बताए गए हैं, वह सही नहीं हैं। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी, 2024 में केंद्र से भी जवाब माँगा था। अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ही लंबित है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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