कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) मामले में राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार के मुखिया सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी है। राज्यपाल ने बीते दिनों MUDA भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कैबिनेट की राय माँगी थी। हालाँकि, राज्य कैबिनेट ने इसे कॉन्ग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश बताया है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राय माँगने पर गुरुवार (15 अगस्त) को कैबिनेट बैठक हुई थी। इसमें राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी गई। इसके बाद राज्यपाल ने इस संबंध में कानूनी विशेषज्ञों से राय ली और फिर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी।
Karnataka Governor Thaawarchand Gehlot grants permission to prosecute CM Siddaramaiah in MUDA scam: Raj Bhavan sources
— Press Trust of India (@PTI_News) August 17, 2024
MUDA भ्रष्टाचार मामले में शिकायतकर्ताओं ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 और 19 तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी माँगी थी। भ्रष्टाचार विरोधी एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम समेत कई शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि MUDA में अवैध आवंटन से राज्य को 45 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
शिकायत में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती, बेटे और MUDA के आयुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाने की माँग की गई थी। बता दें कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा इस घोटाले की जाँच की माँग लंबे समय से करती आ रही है। भाजपा ने इस साल जुलाई में मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए सीद्धारमैया की इस्तीफे तथा सीबीआई जाँच की माँग की थी।
क्या है MUDA घोटाला?
शॉर्ट में MUDA (मुडा) कहलाने वाला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण कर्नाटक की विकास एजेंसी है, जो मैसूर में शहरी विकास और बुनियादी ढाँचे का विकास करती है। यह दिल्ली के DDA और नोएडा के Noida ऑथिरिटी की तरह ही है। इन एजेंसियों की तरह ही MUDA भी लोगों को किफायती कीमत पर आवास उपलब्ध कराने का काम करता है।
शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए MUDA एक योजना लेकर आई थी। साल 2009 में पहली बार लागू की गई इस योजना का नाम 50:50 था। इसमें जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50 प्रतिशत के हकदार थे। यह 30’x40’ आयाम के लगभग 9 विकसित भूखंडों के बराबर है और वे इसे मौजूदा बाजार दर पर किसी को भी बेचने के लिए स्वतंत्र थे।
50:50 योजना में घोटाला
आरोप है कि ये भूखंड अवैध रूप से उन लोगों को आवंटित किए, गए जो खुद को भूमिहीन बता रहे थे। इस घोटाले में बिचौलियों की भूमिका के अलावा MUDA अधिकारियों की सक्रिय मिलीभगत का भी संदेह है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 जून 2024 को दो भूमिहीनों को भूखंड आवंटित करने के आदेश किए गए थे।
इनमें तत्कालीन MUDA आयुक्त दिनेश कुमार ने 8.14 एकड़ भूमि के मूल मालिक के उत्तराधिकारी को 98,206 वर्ग फुट विकसित भूमि आवंटित की। इस भूमि को MUDA ने गोकुलम लेआउट के विकास के लिए अधिग्रहित किया था। मैसूर में गोकुलम लेआउट के लिए अधिग्रहण की कार्यवाही 1968 में शुरू हुई थी।
सीएम सिद्धारमैया की पत्नी को दिया गया लाभ
राज्य में जब भाजपा की सरकार आई तो उसने साल 2020 में इस योजना को बंद कर दिया। आरोप है कि इस योजना के बंद हो जाने के बाद भी MUDA ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। इस योजना के तहत वर्तमान सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को लाभ पहुँचाया गया। MUDA के इस घोटाले में प्राधिकरण के आयुक्त पर भी आरोप हैं।
पार्वती की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई। मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने साल 1996 में खरीदा था। इसके बाद उन्होंने साल 2010 में इसे पार्वती को उपहार में दे दिया था। आरोप है कि MUDA ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही इस पर देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी।
बाद में पार्वती ने जमीन अधिग्रहण का दावा करते हुए मुआवजे के लिए आवेदन किया। उनकी जमीन के बदले पार्वती को मैसूर के एक महंगे इलाके विजयनगर III और IV फेज में उन्हें 14 साइटें आवंटित की गईं। यह आवंटन 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। इस आवंटन में विपक्ष मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी पर घोटाले का आरोप लगा रहा है।