कॉन्ग्रेस नेता सलमान निज़ामी ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर एक बार फिर से पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया है। जहाँ कॉन्ग्रेस आलाकमान, गुलाम नबी आज़ाद, अधीर रंजन चौधरी जैसे नेता मोदी सरकार को घेरने में लगे हैं, वहीं निज़ामी ने केंद्र को अप्रत्यक्ष रूप से क्लीन चिट देते हुए कश्मीर के ही स्थानीय नेतृत्व को कटघरे में खड़ा किया है। इस बार उनके निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती हैं।
लाशों का गिनाया हिसाब
निज़ामी ने केंद्र/राष्ट्रपति शासन और मुफ़्ती-अब्दुल्ला शासन के समय हुई बड़ी अशान्तियों में मारे गए लोगों की संख्या की तुलना की है। ट्विटर पर उन्होंने लिखा, “उमर अब्दुल्ला के समय फैली अशांति में 200 लोग मारे गए, महबूबा मुफ़्ती के समय फैली अशांति में 260 लोग मारे गए, 2019 की अशांति में शून्य मारे गए।”
निज़ामी आगे लिखते हैं, “स्थानीय नेता कश्मीर के असली शत्रु हैं, ताकत के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। हमने अनुभव किया है, हमने झेला है। अब आत्मविवेचन का समय है।”
“पूरे हिंदुस्तान में किसी ने कश्मीरी मुस्लिमों को हाथ भी नहीं लगाया”
इसके पहले भी सलमान निज़ामी ने कश्मीरियों को आईना दिखाया था। जम्मू-कश्मीर से 370 के पर कुतरने और इसे कट्टरपंथियों के बीच जिहादी मानसिकता को बढ़ावा दे रहे लोगों द्वारा ‘हिन्दू सरकार की गुंडागर्दी’ के रूप में दिखाने की कोशिशों के बीच निज़ामी ने ट्वीट कर इस तथ्य की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया कि जहाँ बाकी पूरे देश में कश्मीरी मुस्लिम सुरक्षित हैं, वहीं खुद कश्मीर में 370 खत्म होने के बाद से दो बेग़ुनाह मुस्लिमों को जान से मारा जा चुका है।
Lets talk abt present- In last 22 days, Kashmir is undr Curfew. Pak sponsored Militants killed a Gujjar (Muslim), Stone pelters killed a Kashmiri (Muslim) driver.
— Salman Nizami (@SalmanNizami_) August 27, 2019
Not a Single Kashmiri Muslim ws assaulted across India. Now, blame Hindus? NO. We are wrong hre. Accept the reality!