भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता और राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिट्स (John Brittas) ने मुस्लिमों के बीच भाजपा के लिए डर फैलाने की मंशा से कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए भारतीय जनता पार्टी जिम्मेदार थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोझिकोड में केरल नदवथुल मुजाहिदीन के एक सम्मेलन के दौरान ब्रिट्स ने विवादित टिप्पणी करने से पहले इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि इस्लामिक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने कार्यक्रम में भाजपा नेता वी मुरलीधरन और गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई (पूर्व केरल भाजपा अध्यक्ष) को आमंत्रित किया गया है।
भाजपा नेताओं की उपस्थिति को देखते हुए कम्युनिस्ट नेता ब्रिट्स ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा चुनाव में वोट हासिल करने के लिए राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की झूठी भावना पैदा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मुस्लिमों से अनुरोध किया कि वे मस्जिदों को नष्ट करने का दावा करने वाली भाजपा की कथित चुनावी रणनीति के झाँसे में न आएँ।
केरल में मुस्लिमों के बीच उन्माद पैदा करने का प्रयास करते हुए जॉन ब्रिट्स ने दावा किया कि भाजपा ने पहले बाबरी मस्जिद को निशाना बनाया और अब ज्ञानवापी मस्जिद और शाही ईदगाह मस्जिद को निशाना बना रही है।
उन्होंने कहा, “मैं एक पत्रकार हूँ जो दुर्भाग्य से 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस का गवाह बना। उस मस्जिद को भारतीय धर्मनिरपेक्षता का एक स्थायी उदाहरण माना जाता था। वो पल मेरे दिमाग में आज भी ताजा हैं।”
जॉन ब्रिट्स ने आगे कहा है, “जब मस्जिद विध्वंस हुई तब मैं साधारण रिपोर्टर था। मैंने तब लिखा था कि बाबरी मस्जिद को नष्ट कर दिया गया। क्या आप जानते हैं कि केरल के कई प्रमुख अखबारों की हेडलाइंस में क्या कहा गया? उन्होंने इसे ‘विवादित ढाँचा’ बताया। किसका विवाद? किसके बीच विवाद?”
कम्युनिस्ट नेता ब्रिट्स ने तब दावा करते हुए कहा कि भाजपा ने जानबूझकर मुस्लिमों को संसद में चुनावी प्रतिनिधित्व से वंचित कर रखा है। साथ ही पूछा कि क्या कुल आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा दुनिया में कहीं भी सरकार बनाने में इस तरह से वंचित रहा है? बकौल वामपंथी नेता, वास्तव में ऐसा युद्धग्रस्त देशों में भी महसूस नहीं किया जाता। उन्होंने सवाल करते हुए कहा, “भारतीय संसद में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व क्या है? क्या भारत सरकार में कोई प्रतिनिधित्व है? न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व क्या है?”
ब्रिट्स ने कार्यक्रम के आयोजकों पर निशाना साधते हुए कहा, “आपको खुद से पूछना होगा कि क्या वे (संघ परिवार) आपको उस तरह समायोजित करेंगे जिस तरह से आप उनके बारे में सोच रहे हैं। आपको उनसे यह पूछना चाहिए कि यदि आप उनका स्वागत कर रहे हैं तो वे आपका स्वागत करेंगे।”