Sunday, November 17, 2024
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कर्मचारियों को देने के लिए वेतन नहीं, ड्यूटी के घंटे 8 से बढ़ा कर कर दिया 12: वामपंथियों का ‘केरल मॉडल’, मजदूरों के नाम पर ढपली पीटता है लेफ्ट

वामपंथी खुद को मजदूरों का हितैषी बताते फिरते हैं। लेकिन, सत्ता में आने के बाद अब मजदूरों की बात करने वाले वामपंथी राज्य परिवहन के कर्मचारियों के वर्किंग ऑवर में 4 घण्टे की बढ़ोतरी कर रहे हैं।

वामपंथी गला फाड़कर चिल्लाते हुए ‘केरल मॉडल’ का दावा करते हैं। लेकिन, आज पिनराई विजयन के नेतृत्व में चल रही केरल की वामपंथी सरकार के पास राज्य परिवहन के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड नहीं है। जिसके बाद, केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) के कर्मचारियों की ड्यूटी 8 से बढ़ाकर 12 घण्टे करने का फैसला किया गया है।

गौरतलब है कि वामपंथी खुद को मजदूरों का हितैषी बताते फिरते हैं। लेकिन, सत्ता में आने के बाद अब मजदूरों की बात करने वाले वामपंथी राज्य परिवहन के कर्मचारियों के वर्किंग ऑवर में 4 घण्टे की बढ़ोतरी कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल राज्य परिवहन निगम (KSRTC) के करीब 25000 कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण से पिछले कुछ महीनों से आंदोलन कर रहे थे। इस आंदोलन के चलते वेतन संकट को हल करने के लिए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केएसआरटीसी मैनेजमेंट और ट्रेड यूनियन के नेताओं की मंगलवार (5 सितंबर, 2022) को बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद, सरकार ने परिवहन प्राधिकरण के लिए निर्धारित 100 करोड़ के बजट को रिलीज करने का आदेश दिया था। इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि शेष फंड केएसआरटीसी द्वारा मैनेज किया जाएगा।

इस आदेश में सरकार द्वारा वेतन देने के लिए वकायदा शर्त रखी गई है। आदेश में कहा गया है कि सरकार यह फंड इस शर्त पर रिलीज कर रही है कि राज्य परिवहन के कर्मचारियों को 12 घण्टे की सिंगल ड्यूटी करनी होगी।

बताया जा रहा है केरल की वामपंथी सरकार कर्मचारियों की ड्यूटी 8 घण्टे से बढ़ाकर 12 घण्टे करके 1300 अतिरिक्त बसों को चलवाना चाहती है। ऐसा कहा जा रहा है कि ये बसें कर्मचारियों के अभाव में डिपो में खड़ी-खड़ी पड़ी हुई हैं। लेकिन, अब 12 घंटे की ड्यूटी के इन बसों का संचालन किया जा सकेगा। दरअसल, वामपंथी सरकार का मानना है कि कर्मचारियों की ड्यूटी बढ़ाकर करके वह राज्य परिवहन निगम के राजस्व में बढ़ोतरी कर सकती है।

बता दें कि केन्द्र सरकार ने जब नए श्रम कानून पेश किए थे, तब वामपंथियों ने इसका कड़ा विरोध किया था। इस विरोध में कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल थी। कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से कहा गया था कि यह कानून श्रमिकों के शोषण को बढ़ाएँगे। बता दें, श्रम कानून में किसी भी व्यक्ति से 1 दी में 8 घण्टे से अधिक समय की ड्यूटी कराने का प्रावधान नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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