खुद को वैज्ञानिक संस्था बताने वाली ‘केरल शास्त्र साहित्य परिषद (KSSP)’ ने ‘यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC)’ की आलोचना की है। UGC को सिर्फ इसीलिए भला-बुरा कहा गया है, क्योंकि उसने देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को ‘कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा’ में बैठने के लिए उत्साहित करने को कहा था। ये परीक्षा ‘राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (RKA)’ द्वारा ली जा रही है, जिसमें गौ विज्ञान से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
केरल के उक्त परिषद ने आरोप लगाया है कि गौ विज्ञान में कुछ भी वैज्ञानिक नहीं है और ये अंधविश्वास पर आधारित है। KSSP ने इस परीक्षा के लिए जारी किए गए स्टडी मटेरियल को भी नकार दिया है। बता दें कि RKA मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी विभाग मंत्रालय के अंतर्गत आता है। 2019 में गठित की गई इस संस्था का उद्देश्य है गायों का संरक्षण, सुरक्षा और विकास करना। इसमें पूरा गोवंश आता है।
हालाँकि, कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि ये परीक्षा अनिवार्य है। छात्रों के ऊपर है कि वो स्वेच्छा से फॉर्म भरें और इसमें बैठें। KSSP ने आरोप लगाया है कि ये केंद्र सरकार के ‘अकादमिक भगवाकरण’ का एक हिस्सा है। स्थानीय गोवंश और उसके फायदों के बारे में जानकारी देने के लिए इस परीक्षा के आयोजन की घोषणा जनवरी 5, 2021 को की गई थी। फरवरी 12 को UGC के सचिव रजनीश जैन ने सर्कुलर भेजा था।
KSSP ने कहा, “इस परीक्षा के लिए स्टडी मटेरियल को कई भारतीय भाषाओं में प्रकाशित किया गया है, जिसमें मलयालम भी शामिल है। इसमें कई बड़ी गलतियों की लंबी सूची है। अधिकतर तथ्यों का न तो कोई वैज्ञानिक आधार है, और न ही उनका कोई तुक है। वेबसाइट पर दावा किया गया है कि भारतीय गायों के दूध में हल्का पीलापन इसीलिए होता है, क्योंकि उसमें सोना का अंश होता है। साथ ही दावा किया गया है कि गोदुग्ध परमाणु रेडिएशन से रक्षा करता है।”
The outfit said it was an attempt to spread superstition and to saffronise the education sector in the country.https://t.co/zjz4od4gH1
— Hindustan Times (@htTweets) February 21, 2021
KSSP ने आगे आरोप लगाया, “ये भी लिखा है कि भोपाल गैस हादसे में कई लोग इसीलिए बच गए, क्योंकि उनके घर बनाने में गाय के गोबर का इस्तेमाल किया गया था। रेडिएशन से बचने के लिए भारत और रूस में न्यूक्लियर रिएक्टरों में इसे रिएक्शन प्रिवेंटर के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।” परिषद का कहना है कि गोमूत्र से कुष्ठ रोग और छय रोग ठीक होने की बात बताई गई है, जो झूठ है।
परिषद ने केंद्र सरकार पर विज्ञान के नाम पर प्रोपेगंडा फैलाने का आरोप मढ़ा। बता दें कि ये परीक्षा गुरुवार (फरवरी 25, 2021) को ही होनी थी और इसके लिए रविवार को मॉक टेस्ट होना था, लेकिन फ़िलहाल इसे रद्द कर दिया गया है और जल्द ही नई तारीख़ जारी की जाएगी। इसके लिए 5 लाख उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था। गाय को लेकर व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए ये परीक्षा ली जा रही है। बता दें कि कोरोना वायरस के खिलाड़ लड़ाई में भी गायों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च हो रहे हैं।