अपने बयानों की वजह से सुर्ख़ियों में रहने वाले मेघालय के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने विवादास्पद बयान दिया है। प्रेपगेंडा पोर्टल द वायर के लिए करण थापर को दिए इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने कहा कि फरवरी 2019 में पुलवमा में हुआ आतंकी हमला गृहमंत्रालय की लापरवाही का नतीजा था। मलिक ने दावा किया कि सीआरपीएफ ने अपने जवानों के लिए एयरक्राफ्ट की माँग की थी। गृहमंत्रालय ने इसकी मंजूरी नहीं दी। साथ ही जिस रास्ते से होकर जवानों का काफिला गुजरने वाला था वहाँ अच्छे से जाँच नहीं की गई। गृह मंत्रालय पहले ही इन आरोपों से इनकार कर चुकी है।
अपने इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने यह भी दावा किया कि पीएम मोदी को जम्मू-कश्मीर के बारे में जानकारी नहीं है। पीएम को भ्रष्टाचार से भी बहुत नफरत नहीं है। इसी इंटरव्यू के दौरान सत्यपाल मलिक अपने एक विवादास्पद बयान से पलट भी गए। पिछले साल हरियाणा की एक सभा में मलिक ने दावा किया था कि पीएम से मुलाकात के दौरान उन्होंने किसानों की मौत का मुद्दा उठाया था और पीएम से उनका झगड़ा हो गया था। इसके बाद उन्होंने मुझे अमित शाह से मिलने के लिए कहा था।
जब वे अमित शाह से मिले तो शाह ने उनसे कहा, “सत्यपाल, उन्हें कुछ लोगों ने गुमराह कर दिया है। आप इसकी चिंता न करें। आप मिलते रहें। एक दिन उन्हें समझ आ जाएगा।” सत्यपाल मलिक ने इंटरव्यू के दौरान स्वीकार किया कि ऐसा कुछ वास्तव में नहीं हुआ था बल्कि सब उनके दिमाग की उपज थी। उस दौरान मलिक के इस बयान को लेकर विपक्ष ने पीएम को घेरने की खूब कोशिश की थी।
सितंबर 2022 में बोले किसानों और सरकार के बीच लड़ाई होगी
जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर किए जाने के बाद से ही सत्यपाल मलिक भाजपा के खिलाफ बयान दे रहे हैं। सितंबर 2022 में सत्यपाल मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए किसानों को भड़काने का काम किया था। उन्होंने कहा था कि यदि सरकार किसानों की एमएसपी की बात नहीं मानती है तो किसान और सरकार के बीच बड़ी लड़ाई होगी। मैं उस लड़ाई में राज्यपाल के पद से इस्तीफा देकर कूद पड़ूँगा। उन्होंने कहा था कि इस बार जबरदस्त लड़ाई होगी। देश के किसान को आप पराजित नहीं कर सकते। किसानों को डरा नहीं सकते।
जून 2022 में किसानों को अंबानी-अडानी के खिलाफ भड़काया
12 जून, 2022 को जयपुर में राष्ट्रीय जाट संसद को संबोधित करते हुए सत्यपाल मलिक ने किसानों को भड़काते हुए कहा था कि अडानी ने किसानों की फसल सस्ते दाम पर खरीदने और महँगे दामों पर बेचने के लिए पानीपत में बड़ा गोदाम बनाया है। अडानी का ऐसा गोदाम उखाड़ फेंको। डरने की जरूरत नहीं है, मैं आपके साथ जेल चलूँगा। अडानी और अंबानी मालदार कैसे हो गए हैं, जब तक इन लोगों पर हमला नहीं होगा, तब तक ये लोग रुकेंगे नहीं।”
मई 2022 में बोले देश विनाश की ओर जा रहा
8 मई 2022 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर में सत्यपाल मलिक ने किसानों को दोबारा आंदोलन के लिए भड़काने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन खत्म कराने को लेकर जो वादे किए गए हैं सरकार उन्हें पूरा नहीं कर रही है। मलिका ने कहा था, “अगर किसानों की बात नहीं सुनी गई तो मुझे डर है कि इन्हें कहीं दोबारा मैदान में न उतरना पड़े। जिन सवालों का कोई मतलब नहीं है केवल उन पर बहस हो रही है। देश विनाश की ओर जा रहा है। आज सवाल महँगाई और बेरोजगारी पर होने चाहिए, लेकिन लोगों को यह ध्यान ही नहीं रहा। पेट्रोल और डीजल का हाल कोई नहीं पूछ रहा। टैक्स के बारे में कोई बात नहीं कर रहा।”
मार्च 2022 में किसानों को हिंसा के लिए उकसाया
सत्यपाल मलिक ने 12 मार्च 2022 को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान किसानों को हिंसा के लिए भड़काया था। उन्होंने कहा था कि अगर किसानों की माँगें नहीं मानी गईं तो वो उन्हें मनवाने के लिए हिंसा का रास्ता अपना सकते हैं। दिल्ली को मेरी सलाह है कि उनके साथ न भिड़े, वे खतरनाक लोग हैं। किसान जो चाहते हैं, उसे हासिल कर के रहेंगे।
मार्च 2022 में पीएम मोदी पर साधा निशाना
8 मार्च 2022 को जाट विकास संस्थान की ओर से राजस्थान के चूरू मलिक ने कहा था कि किसान आंदोलन में 700 किसान मर गए। कोई कुतिया भी मर जाती है, तो दिल्ली से प्रधानमंत्री की चिट्ठी जाती है। लेकिन 700 किसानों के लिए कोई शोक संदेश नहीं गया। मैं गवर्नरशिप का पीरियड खत्म होने के बाद पूरे देश में घूमूँगा। किसानों को एकत्रित करूँगा। ताकि आगे हम माँगने वाले नहीं, देने वाले बनें।
इंदिरा गाँधी और जनरल वैद्य के हत्यारों का गुणगान
नवंबर 2021 में सत्यपाल मलिका का एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियों में वे कह रहे थे कि यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए होते तो उनका हाल इंदिरा गाँधी जैसा होता। इतना ही नहीं वीडियो में मलिक का बयान सुनकर ऐसा लग रहा था कि वे इंदिरा गाँधी और जनरल वैद्य की हत्या करने वालों का गुणगान कर रहे हैं। उन्होंने धमकी देते हुए कहा था किअगर आपको लगता है कि किसान प्रदर्शनकारी अपने आप वापस चले जाएँगे तो ये आपकी गलतफहमी है।